"स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, दिल्ली": अवतरणों में अंतर
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'''स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय''', [[दिल्ली]] के [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] में स्थित है। लाल क़िला, दिल्ली स्थित प्रमुख स्मारकों में से एक है, जिसका निर्माण 1648 ई. | {{सूचना बक्सा संग्रहालय | ||
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'''स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय''', [[दिल्ली]] के [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] में स्थित है। लाल क़िला, दिल्ली स्थित प्रमुख स्मारकों में से एक है, जिसका निर्माण 1648 ई. में [[शाहजहाँ]] द्वारा करवाया गया था। [[मुग़ल साम्राज्य]] के पतन के बाद लाल क़िले पर ब्रिटिश सेना का कब्ज़ा हो गया, जिसमें अनेक संरचनाएं तोड़ डाली और नई संरचनाओं का निर्माण किया। 1945-46 में, एक फौजी अदालत (कोर्ट मार्शल) में आर्इ.एन.ए. के अधिकारियों पर मुकदमा चलाया गया और न्यायालय की कार्यवाहियों ने राष्ट्र भर में इसके प्रति रुचि जगा दी। [[कांग्रेस]] ने आरोपी शाहनवाज़ खान, पी.के. सहगल और जी.एस. ढिल्लों के बचाव के लिए वकीलों की एक समिति का गठन किया। ये दोषी पाए गए लेकिन देशभर में फैले रोष के मद्देनज़र इन्हें माफ कर दिया गया। | |||
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* यह संग्रहालय [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष]] के प्रमुख चरणों की झलक प्रस्तुत करता है। स्वतंत्रता संघर्ष के निम्नलिखित चरण/प्रकरण संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए हैं: | * यह संग्रहालय [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष]] के प्रमुख चरणों की झलक प्रस्तुत करता है। स्वतंत्रता संघर्ष के निम्नलिखित चरण/प्रकरण संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए हैं: | ||
# [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम|1857 के विद्रोह]] की प्रारम्भिक अवस्था | # [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम|1857 के विद्रोह]] की प्रारम्भिक अवस्था |
07:49, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, दिल्ली
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विवरण | स्वतंत्रता संघर्ष में लाल क़िले द्वारा निभाई गई भूमिका को विचारगत रखते हुए आर्मी बैरक में स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की स्थापना की गई। |
राज्य | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली |
नगर | दिल्ली |
स्थापना | 1995 |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | यह संग्रहालय भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के प्रमुख चरणों की झलक प्रस्तुत करता है। |
अद्यतन | 16:20, 11 जनवरी 2015 (IST)
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स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, दिल्ली के लाल क़िले में स्थित है। लाल क़िला, दिल्ली स्थित प्रमुख स्मारकों में से एक है, जिसका निर्माण 1648 ई. में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था। मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद लाल क़िले पर ब्रिटिश सेना का कब्ज़ा हो गया, जिसमें अनेक संरचनाएं तोड़ डाली और नई संरचनाओं का निर्माण किया। 1945-46 में, एक फौजी अदालत (कोर्ट मार्शल) में आर्इ.एन.ए. के अधिकारियों पर मुकदमा चलाया गया और न्यायालय की कार्यवाहियों ने राष्ट्र भर में इसके प्रति रुचि जगा दी। कांग्रेस ने आरोपी शाहनवाज़ खान, पी.के. सहगल और जी.एस. ढिल्लों के बचाव के लिए वकीलों की एक समिति का गठन किया। ये दोषी पाए गए लेकिन देशभर में फैले रोष के मद्देनज़र इन्हें माफ कर दिया गया।
विशेषताएँ
- 15 अगस्त, 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल क़िले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस प्रकार, लाल क़िला स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया। स्वतंत्रता संघर्ष में लाल क़िले द्वारा निभाई गई भूमिका को विचारगत रखते हुए 1995 में एक दो मंजिला आर्मी बैरक में स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की स्थापना की गई।
- यह संग्रहालय भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के प्रमुख चरणों की झलक प्रस्तुत करता है। स्वतंत्रता संघर्ष के निम्नलिखित चरण/प्रकरण संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए हैं:
- 1857 के विद्रोह की प्रारम्भिक अवस्था
- प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम - 1857 ई.
- बीच की अवधि में भारत - 1858-1884 ई.
- कांग्रेस की उत्पत्ति - 1885-1905 ई.
- नरमपंथी और चरमपंथी चरण - 1906-1919 ई.
- गांधी युग का प्रारम्भ 1920-1929 ई.
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान भारत 1930-1939 ई.
- भारत छोड़ो आंदोलन - 1942 ई.
- इंडियन नेशनल आर्मी - 1942 ई.
- भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति - 15 अगस्त, 1947
संग्रहालय में, स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास को छायाचित्रों, दस्तावेजों, चित्रों, अश्मलेखों और बन्दूकों, पिस्तौलों, तलवारों, ढालों, बिल्लों, पदकों, चित्रावलियों, प्रतिमाओं इत्यादि के माध्यम से दर्शाया गया है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, लाल किला (नई दिल्ली) (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 9 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख