"छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-9": अवतरणों में अंतर

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*उपराह्न में आदित्य 'प्रतिहार' है।  
*अस्त होते सूर्य का रूप ही 'निधन' हैं आदित्य-रूप साम की इसी प्रकार उपासना करनी चाहिए।  
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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-9
छान्दोग्य उपनिषद का आवरण पृष्ठ
छान्दोग्य उपनिषद का आवरण पृष्ठ
विवरण 'छान्दोग्य उपनिषद' प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार छन्द है।
अध्याय द्वितीय
कुल खण्ड 24 (चौबीस)
सम्बंधित वेद सामवेद
संबंधित लेख उपनिषद, वेद, वेदांग, वैदिक काल, संस्कृत साहित्य
अन्य जानकारी सामवेद की तलवकार शाखा में छान्दोग्य उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही छान्दोग्य उपनिषद में लिये गये हैं।

छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरे का यह नौवाँ खण्ड है।

  • इस खण्ड में बताया गया है कि 'आदित्य' सदा ही सम रहता है। वह साम है। वह सभी के प्रति समभाव वाला है। उदयमान सूर्य 'प्रस्ताव' है। सभी मनुष्य और पशु-पक्षी उसके अनुगामी हैं।
  • मध्याह्न में आदित्य 'उद्गीथ' है। समस्त देवगण उसके इसी रूप के अनुगामी हैं।
  • उपराह्न में आदित्य 'प्रतिहार' है।
  • अस्त होते सूर्य का रूप ही 'निधन' है। आदित्य-रूप साम की इसी प्रकार उपासना करनी चाहिए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1

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