"तुम्हें उदास सा पाता हूँ -साहिर लुधियानवी": अवतरणों में अंतर
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हुआ ही क्या जो ज़माने ने तुम को छीन लिया | हुआ ही क्या जो ज़माने ने तुम को छीन लिया | ||
यहाँ पर कौन हुआ है किसी का सोचो तो | यहाँ पर कौन हुआ है किसी का सोचो तो | ||
मुझे क़सम है मेरी | मुझे क़सम है मेरी दु:ख भरी जवानी की | ||
मैं ख़ुश हूँ मेरी मोहब्बत के फूल ठुकरा दो | मैं ख़ुश हूँ मेरी मोहब्बत के फूल ठुकरा दो | ||
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ये जंग और ये मेरे वतन के शोख़ जवाँ | ये जंग और ये मेरे वतन के शोख़ जवाँ | ||
ख़रीदी जाती हैं उठती जवानियाँ जिनकी | |||
ये बात बात पे | ये बात बात पे क़ानून और ज़ब्ते की गिरफ़्त | ||
ये ज़ीस्क़ ये ग़ुलामी ये दौर-ए-मजबूरी | ये ज़ीस्क़ ये ग़ुलामी ये दौर-ए-मजबूरी | ||
ये ग़म हैं बहोत मेरी ज़िंदगी मिटाने को | ये ग़म हैं बहोत मेरी ज़िंदगी मिटाने को |
14:08, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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तुम्हें उदास-सा पाता हूँ मैं कई दिन से |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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