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इससे पहले की ग्यारहवीं लोकसभा का कार्यकाल बहुत छोटा था। यह सिर्फ़ डेढ़ वर्ष ही चल पाई। [[प्रधानमंत्री]] [[इंद्र कुमार गुजराल]] की अल्पमत वाली सरकार<ref>मई, 1996 के आम चुनावों से 18 महीनों के भीतर संयुक्त मोर्चा की दूसरी सरकार</ref> [[28 नवम्बर]], [[1997]] को गिर गई, क्योंकि सीताराम केसरी के नेतृत्व वाली [[कांग्रेस]] ने वर्ष [[1991]] में प्रधानमंत्री [[राजीव गांधी]] की हत्या में शामिल होने के विवाद के चलते सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इस प्रकार नये चुनावों की घोषणा कर दी गई।
इससे पहले की ग्यारहवीं लोकसभा का कार्यकाल बहुत छोटा था। यह सिर्फ़ डेढ़ वर्ष ही चल पाई। [[प्रधानमंत्री]] [[इंद्र कुमार गुजराल]] की अल्पमत वाली सरकार<ref>मई, 1996 के आम चुनावों से 18 महीनों के भीतर संयुक्त मोर्चा की दूसरी सरकार</ref> [[28 नवम्बर]], [[1997]] को गिर गई, क्योंकि सीताराम केसरी के नेतृत्व वाली [[कांग्रेस]] ने वर्ष [[1991]] में प्रधानमंत्री [[राजीव गांधी]] की हत्या में शामिल होने के विवाद के चलते सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इस प्रकार नये चुनावों की घोषणा कर दी गई।
==बारहवीं लोकसभा का गठन==
==बारहवीं लोकसभा का गठन==
[[10 मार्च]], [[1998]] को बारहवीं लोकसभा का गठन हुआ। [[भाजपा]] नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले गठबंधन को नौ दिन बाद शपथ दिलाई गई। किंतु यह लोकसभा केवल 413 दिन ही चल सकी, जो उस तिथि तक का सबसे कम समय था। एक व्यवहार्य विकल्प की कमी के फलस्वरूप तब विघटन हो गया, जब 13 महीने पुरानी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को [[17 अप्रैल]] को मात्र एक मत से बेदखल कर दिया गया। यह 5वीं बार हुआ, जब लोकसभा कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और उसे पहले ही भंग कर दिया गया। [[4 दिसम्बर]], [[1997]] को [[लोकसभा]] के विघटन के बाद समय से पहले ही सभी लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुए।
[[10 मार्च]], [[1998]] को बारहवीं लोकसभा का गठन हुआ। [[भाजपा]] नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले गठबंधन को नौ दिन बाद शपथ दिलाई गई। किंतु यह लोकसभा केवल 413 दिन ही चल सकी, जो उस तिथि तक का सबसे कम समय था। एक व्यवहार्य विकल्प की कमी के फलस्वरूप तब विघटन हो गया, जब 13 महीने पुरानी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को [[17 अप्रैल]] को मात्र एक मत से बेदख़ल कर दिया गया। यह 5वीं बार हुआ, जब लोकसभा कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और उसे पहले ही भंग कर दिया गया। [[4 दिसम्बर]], [[1997]] को [[लोकसभा]] के विघटन के बाद समय से पहले ही सभी लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुए।
==गठबंधन की रणनीति==
==गठबंधन की रणनीति==
चुनाव सम्पन्न हो जाने के पश्चात गठबंधन की रणनीति ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 265 सीटों का कार्यकारी बहुमत प्रदान किया। इस संदर्भ में [[15 मार्च]] को [[राष्ट्रपति]] [[के. आर. नारायणन]] ने अटल बिहारी वाजपेयी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार 19 मार्च को अटल बिहारी वाजपेयी ने फिर से प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
चुनाव सम्पन्न हो जाने के पश्चात् गठबंधन की रणनीति ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 265 सीटों का कार्यकारी बहुमत प्रदान किया। इस संदर्भ में [[15 मार्च]] को [[राष्ट्रपति]] [[के. आर. नारायणन]] ने अटल बिहारी वाजपेयी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार 19 मार्च को अटल बिहारी वाजपेयी ने फिर से प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।


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07:50, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

बारहवीं लोकसभा का गठन 10 मार्च, 1998 को हुआ। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले गठबंधन को नौ दिन बाद शपथ दिलाई गई। बारहवीं लोकसभा केवल 413 दिन ही चल सकी।

पूर्व लोकसभा का अल्पकाल

इससे पहले की ग्यारहवीं लोकसभा का कार्यकाल बहुत छोटा था। यह सिर्फ़ डेढ़ वर्ष ही चल पाई। प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की अल्पमत वाली सरकार[1] 28 नवम्बर, 1997 को गिर गई, क्योंकि सीताराम केसरी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में शामिल होने के विवाद के चलते सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इस प्रकार नये चुनावों की घोषणा कर दी गई।

बारहवीं लोकसभा का गठन

10 मार्च, 1998 को बारहवीं लोकसभा का गठन हुआ। भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले गठबंधन को नौ दिन बाद शपथ दिलाई गई। किंतु यह लोकसभा केवल 413 दिन ही चल सकी, जो उस तिथि तक का सबसे कम समय था। एक व्यवहार्य विकल्प की कमी के फलस्वरूप तब विघटन हो गया, जब 13 महीने पुरानी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को 17 अप्रैल को मात्र एक मत से बेदख़ल कर दिया गया। यह 5वीं बार हुआ, जब लोकसभा कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और उसे पहले ही भंग कर दिया गया। 4 दिसम्बर, 1997 को लोकसभा के विघटन के बाद समय से पहले ही सभी लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुए।

गठबंधन की रणनीति

चुनाव सम्पन्न हो जाने के पश्चात् गठबंधन की रणनीति ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 265 सीटों का कार्यकारी बहुमत प्रदान किया। इस संदर्भ में 15 मार्च को राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने अटल बिहारी वाजपेयी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार 19 मार्च को अटल बिहारी वाजपेयी ने फिर से प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मई, 1996 के आम चुनावों से 18 महीनों के भीतर संयुक्त मोर्चा की दूसरी सरकार

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