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'''तालजंघ'''  [[हिन्दू]] पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] के अनुसार एक ब्रह्मद्रोही दानव था, [[महाभारत वन पर्व]] के अनुसार माननीय [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का सम्मान न करने के कारण ही महान [[असुर]] [[वातापि |वातापि]] और उसी प्रकार तालजंघ ब्रह्मदण्ड से मारे गये थे।<ref>महाभारत वन पर्व 303.1-17</ref>
'''तालजंघ'''  [[हिन्दू]] पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] के अनुसार एक ब्रह्मद्रोही दानव था, [[महाभारत वन पर्व]] के अनुसार माननीय [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का सम्मान न करने के कारण ही महान् [[असुर]] [[वातापि |वातापि]] और उसी प्रकार तालजंघ ब्रह्मदण्ड से मारे गये थे।<ref>महाभारत वन पर्व 303.1-17</ref>





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तालजंघ एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- तालजंघ (बहुविकल्पी)

तालजंघ हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार एक ब्रह्मद्रोही दानव था, महाभारत वन पर्व के अनुसार माननीय ब्राह्मणों का सम्मान न करने के कारण ही महान् असुर वातापि और उसी प्रकार तालजंघ ब्रह्मदण्ड से मारे गये थे।[1]


इन्हें भी देखें: महाभारत, वातापि एवं महाभारत वन पर्व


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 52 |

  1. महाभारत वन पर्व 303.1-17

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