"ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी": अवतरणों में अंतर
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खून आपना हो या पराया हो | खून आपना हो या पराया हो | ||
नसल-ऐ-आदम का | नसल-ऐ-आदम का ख़ून है आख़िर, | ||
जंग मशरिक में हो या मगरिब में, | जंग मशरिक में हो या मगरिब में, | ||
अमन-ऐ-आलम का | अमन-ऐ-आलम का ख़ून है आख़िर ! | ||
बम घरों पर गिरे की सरहद पर , | बम घरों पर गिरे की सरहद पर , | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
टैंक आगे बढे की पीछे हटे, | टैंक आगे बढे की पीछे हटे, | ||
कोख धरतीकी बौझ होती है ! | कोख धरतीकी बौझ होती है ! | ||
फ़तह का जश्न हो की हारका सोग, | |||
ज़िंदगी मय्यतोंपे रोंती है ! | |||
जंग तो खुदही एक मसलआ है | जंग तो खुदही एक मसलआ है | ||
जंग क्या मसलोंका हल देगी ? | जंग क्या मसलोंका हल देगी ? | ||
आग और | आग और ख़ून आज बख्शेगी | ||
भूख और एहतयाज कल देगी ! | भूख और एहतयाज कल देगी ! | ||
12:10, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
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खून आपना हो या पराया हो |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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