"यश चोपड़ा": अवतरणों में अंतर
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'''यश राज चोपड़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yash Raj Chopra'', जन्म: 27 सितम्बर, 1932) भारतीय हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक एवं फ़िल्म निर्माता हैं। यश चोपड़ा को हिन्दी सिनेमा का “किंग ऑफ रोमांस” कहा जाता है। [[दीवार (फ़िल्म)|दीवार]], कभी कभी, डर, चांदनी, सिलसिला, दिल तो पागल है, वीर जारा जैसी अनेकों बेहतरीन और रोमांटिक फ़िल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए हैं। | '''यश राज चोपड़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yash Raj Chopra'', जन्म: [[27 सितम्बर]], [[1932]]; मृत्यु: [[21 अक्टूबर]], [[2012]]) भारतीय [[हिन्दी सिनेमा]] के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक एवं फ़िल्म निर्माता हैं। यश चोपड़ा को [[हिन्दी सिनेमा]] का “किंग ऑफ रोमांस” कहा जाता है। [[दीवार (फ़िल्म)|दीवार]], कभी कभी, डर, चांदनी, सिलसिला, दिल तो पागल है, वीर जारा जैसी अनेकों बेहतरीन और रोमांटिक फ़िल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
यश चोपड़ा का जन्म [[27 सितंबर]], [[1932]] को [[लाहौर]] में हुआ था जो अब [[पाकिस्तान]] में है। स्वतंत्रता के बाद वह [[भारत]] आ गए। उनके बड़े भाई बी. आर. चोपड़ा बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता निर्देशक थे। बड़े भाई की प्रेरणा पर ही उन्होंने भी फ़िल्मों में हाथ आजमाया और आज यश चोपड़ा का परिवार बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बैनरों में से एक है। उनके बेटे आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा भी फ़िल्मों से ही जुड़े हुए हैं। यश चोपड़ा ने अपने भाई के साथ सह निर्देशक के तौर पर काम करना शुरू किया। अपने भाई बी. आर चोपड़ा के बैनर तले उन्होंने लगातार पांच फ़िल्में निर्देशित की। इन फ़िल्मों में ‘एक ही रास्ता’, ‘साधना’ और ‘नया दौर’ शामिल हैं।<ref name="JJ">{{cite web |url=http://entertainment.jagranjunction.com/2011/09/27/yash-chopra-biography-and-films-yash-raj/ |title=यश चोपड़ा : रोमांस को पर्दे पर उतारने वाला जादूगर |accessmonthday=28 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिन्दी }} </ref> | यश चोपड़ा का जन्म [[27 सितंबर]], [[1932]] को [[लाहौर]] में हुआ था जो अब [[पाकिस्तान]] में है। स्वतंत्रता के बाद वह [[भारत]] आ गए। उनके बड़े भाई बी. आर. चोपड़ा बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता निर्देशक थे। बड़े भाई की प्रेरणा पर ही उन्होंने भी फ़िल्मों में हाथ आजमाया और आज यश चोपड़ा का परिवार बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बैनरों में से एक है। उनके बेटे आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा भी फ़िल्मों से ही जुड़े हुए हैं। यश चोपड़ा ने अपने भाई के साथ सह निर्देशक के तौर पर काम करना शुरू किया। अपने भाई बी. आर चोपड़ा के बैनर तले उन्होंने लगातार पांच फ़िल्में निर्देशित की। इन फ़िल्मों में ‘एक ही रास्ता’, ‘साधना’ और ‘नया दौर’ शामिल हैं।<ref name="JJ">{{cite web |url=http://entertainment.jagranjunction.com/2011/09/27/yash-chopra-biography-and-films-yash-raj/ |title=यश चोपड़ा : रोमांस को पर्दे पर उतारने वाला जादूगर |accessmonthday=28 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिन्दी }} </ref> | ||
==फ़िल्मी सफर== | ==फ़िल्मी सफर== | ||
यश चोपड़ा ने 1959 में पहली बार अपने भाई के बैनर तले ही बनी फ़िल्म ‘धूल का फूल’ का निर्देशन किया। इसके बाद उन्होंने भाई के ही बैनर तले 'धर्म पुत्र' को भी निर्देशित किया। दोनों ही फ़िल्में औसत कामयाब रहीं पर इसमें यश चोपड़ा की मेहनत सबको नजर आई। वर्ष 1965 में आई फ़िल्म ‘वक्त’ यश चोपड़ा की पहली हिट फ़िल्म साबित हुई। इस फ़िल्म का गीत “ऐ मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं” दर्शकों को आज भी याद है। फ़िल्म 'इत्तेफाक' उनकी उन चुनिंदा फ़िल्मों में से है जिसमें उन्होंने कॉमेडी और रोमांस के अलावा थ्रिलर पर भी काम किया था। | यश चोपड़ा ने [[1959]] में पहली बार अपने भाई के बैनर तले ही बनी फ़िल्म ‘धूल का फूल’ का निर्देशन किया। इसके बाद उन्होंने भाई के ही बैनर तले 'धर्म पुत्र' को भी निर्देशित किया। दोनों ही फ़िल्में औसत कामयाब रहीं पर इसमें यश चोपड़ा की मेहनत सबको नजर आई। वर्ष [[1965]] में आई फ़िल्म ‘वक्त’ यश चोपड़ा की पहली हिट फ़िल्म साबित हुई। इस फ़िल्म का गीत “ऐ मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं” दर्शकों को आज भी याद है। फ़िल्म 'इत्तेफाक' उनकी उन चुनिंदा फ़िल्मों में से है जिसमें उन्होंने कॉमेडी और रोमांस के अलावा थ्रिलर पर भी काम किया था। | ||
====यश राज बैनर की स्थापना==== | ====यश राज बैनर की स्थापना==== | ||
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1973 में उन्होंने फ़िल्म निर्माण में कदम रखा और यश राज बैनर की स्थापना की। इसकी शुरूआत [[राजेश खन्ना]] अभिनीत ‘दाग’ जैसी सुपरहिट फ़िल्म से की। इस फ़िल्म की कामयाबी ने उन्हें बॉलीवुड में नया नाम दिया। इसके बाद आई 1975 की फ़िल्म '[[दीवार (फ़िल्म)|दीवार]]' जिसमें [[अमिताभ बच्चन]] ने अभिनय किया था। इस फ़िल्म की सफलता ने यश चोपड़ा को कामयाब निर्देशकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। जहां उनकी फ़िल्मों में काम करने के लिए अभिनेता उनके घर के चक्कर लगाने लगे। इसके बाद तो यश चोपड़ा ने 'सिलसिला', ‘कभी-कभी’ जैसी फ़िल्मों में अमिताभ के साथ ही काम किया। हालांकि 80 के दशक की शुरूआत में यश चोपड़ा को असफलता का कड़वा स्वाद भी चखना पड़ा पर 1989 में आई 'चांदनी' ने उन्हें दुबारा एक सफल और हिट निर्देशक बना डाला। 1991 में आई 'लम्हे' भी इसी दौर की एक सुपरहिट फ़िल्म साबित हुई। | [[1973]] में उन्होंने फ़िल्म निर्माण में कदम रखा और यश राज बैनर की स्थापना की। इसकी शुरूआत [[राजेश खन्ना]] अभिनीत ‘दाग’ जैसी सुपरहिट फ़िल्म से की। इस फ़िल्म की कामयाबी ने उन्हें बॉलीवुड में नया नाम दिया। इसके बाद आई [[1975]] की फ़िल्म '[[दीवार (फ़िल्म)|दीवार]]' जिसमें [[अमिताभ बच्चन]] ने अभिनय किया था। इस फ़िल्म की सफलता ने यश चोपड़ा को कामयाब निर्देशकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। जहां उनकी फ़िल्मों में काम करने के लिए अभिनेता उनके घर के चक्कर लगाने लगे। इसके बाद तो यश चोपड़ा ने 'सिलसिला', ‘कभी-कभी’ जैसी फ़िल्मों में अमिताभ के साथ ही काम किया। हालांकि 80 के दशक की शुरूआत में यश चोपड़ा को असफलता का कड़वा स्वाद भी चखना पड़ा पर [[1989]] में आई 'चांदनी' ने उन्हें दुबारा एक सफल और हिट निर्देशक बना डाला। [[1991]] में आई 'लम्हे' भी इसी दौर की एक सुपरहिट फ़िल्म साबित हुई। | ||
इसके बाद उन्होंने 1995 में बतौर निर्माता फ़िल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में दांव लगाया। शाहरुख खान और काजोल के अभिनय से सजी यह फ़िल्म बॉलीवुड में नया इतिहास रच गई। इसके बाद 1997 में उन्होंने फ़िल्म ‘दिल तो पागल है’ का निर्देशन किया। कुछ सालों तक वह निर्देशन से दूर रहे और फिर लौटे 2004 की सुपरहिट फ़िल्म 'वीर जारा' को लेकर।<ref name="JJ"/> | इसके बाद उन्होंने [[1995]] में बतौर निर्माता फ़िल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में दांव लगाया। शाहरुख खान और काजोल के अभिनय से सजी यह फ़िल्म बॉलीवुड में नया इतिहास रच गई। इसके बाद [[1997]] में उन्होंने फ़िल्म ‘दिल तो पागल है’ का निर्देशन किया। कुछ सालों तक वह निर्देशन से दूर रहे और फिर लौटे [[2004]] की सुपरहिट फ़िल्म 'वीर जारा' को लेकर।<ref name="JJ"/> | ||
====किंग ऑफ़ रोमांस==== | ====किंग ऑफ़ रोमांस==== | ||
बॉलीवुड में रोमांस के अलग-अलग स्वरूप को परदे पर ढालने वाले यश चोपड़ा ने रोमांस को जितने [[रंग|रंगों]] में दिखाया उतना बॉलीवुड का कोई निर्देशक नहीं दिखा सका, इसीलिए यश चोपड़ा को बॉलीवुड का रोमांस किंग यानी ‘किंग ऑफ़ रोमांस’ कहा जाता है। यश चोपड़ा ने रोमांस को जुनूनी तौर पर, पागलपन के तौर पर, कुर्बानी के तौर पर, दु:ख-दर्द बांटने के तौर पर, कॉमेडी और थ्रिलर के साथ यानी हर तरह से प्यार को दिखाने की कोशिश की। यश चोपड़ा वहीं शख्सियत हैं जिन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर प्यार और रोमांस की नई परिभाषा गढ़ी। | बॉलीवुड में रोमांस के अलग-अलग स्वरूप को परदे पर ढालने वाले यश चोपड़ा ने रोमांस को जितने [[रंग|रंगों]] में दिखाया उतना बॉलीवुड का कोई निर्देशक नहीं दिखा सका, इसीलिए यश चोपड़ा को बॉलीवुड का रोमांस किंग यानी ‘किंग ऑफ़ रोमांस’ कहा जाता है। यश चोपड़ा ने रोमांस को जुनूनी तौर पर, पागलपन के तौर पर, कुर्बानी के तौर पर, दु:ख-दर्द बांटने के तौर पर, कॉमेडी और थ्रिलर के साथ यानी हर तरह से प्यार को दिखाने की कोशिश की। यश चोपड़ा वहीं शख्सियत हैं जिन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर प्यार और रोमांस की नई परिभाषा गढ़ी। | ||
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* धूल का फूल (1959) | * धूल का फूल (1959) | ||
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* चक दे इंडिया (2007) | * चक दे इंडिया (2007) | ||
* रब ने बना दी जोड़ी (2008) | * रब ने बना दी जोड़ी (2008) | ||
* मेरे ब्रदर की दुल्हन (2011) | * मेरे ब्रदर की दुल्हन (2011) | ||
* जब तक है जां (2012) | * जब तक है जां (2012) | ||
==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
यश चोपड़ा को अब तक 11 बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1964 में प्रदर्शित फ़िल्म 'वक्त' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद वह 1969 में फ़िल्म 'इत्तेफाक' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, 1973 में 'दाग' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, 1975 में 'दीवार' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, 1991 में 'लम्हे' सर्वश्रेष्ठ निर्माता, 1995 में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' सर्वश्रेष्ठ निर्माता, 2001 में वह फ़िल्म जगह के सर्वोच्च सम्मान '[[दादा साहब फालके पुरस्कार]] से भी सम्मानित किए गए। 2005 में उन्हें भारत सरकार द्वारा '[[पद्म भूषण]]' से भी सम्मानित किया गया। | यश चोपड़ा को अब तक 11 बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें [[1964]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'वक्त' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद वह [[1969]] में फ़िल्म 'इत्तेफाक' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, [[1973]] में 'दाग' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, [[1975]] में 'दीवार' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, [[1991]] में 'लम्हे' सर्वश्रेष्ठ निर्माता, [[1995]] में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' सर्वश्रेष्ठ निर्माता, [[2001]] में वह फ़िल्म जगह के सर्वोच्च सम्मान '[[दादा साहब फालके पुरस्कार]] से भी सम्मानित किए गए। [[2005]] में उन्हें भारत सरकार द्वारा '[[पद्म भूषण]]' से भी सम्मानित किया गया। | ||
फ़िल्म निर्माता यश चोपड़ा को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए फ्रांस का सर्वोच्च ऑफिसियर डी ला लेजन पुरस्कार भी प्रदान किया गया। स्विस सरकार ने उन्हें “स्विस एंबेसडरर्स अवार्ड 2010” से सम्मानित किया है। | फ़िल्म निर्माता यश चोपड़ा को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए फ्रांस का सर्वोच्च ऑफिसियर डी ला लेजन पुरस्कार भी प्रदान किया गया। स्विस सरकार ने उन्हें “स्विस एंबेसडरर्स अवार्ड 2010” से सम्मानित किया है। | ||
==समाचार== | |||
;21 अक्टूबर 2012, रविवार | |||
===='रोमांस के बादशाह' यश चोपड़ा का निधन==== | |||
'रोमांस के बादशाह' फ़िल्म निर्माता यश चोपड़ा का निधन [[21 अक्टूबर]] [[2012]], [[रविवार]] को [[मुंबई]] के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया था। फ़िल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगों ने उनकी मौत को भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी हानि बताया। गौरतलब है कि प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा 80 साल के थे और उन्हें [[डेंगू]] से पीड़ित होने के बाद लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यश चोपड़ा ने बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बैनर [[यशराज फ़िल्म्स]] की नींव रखी। यश चोपड़ा ने बॉलीवुड के सुपरस्टार [[दिलीप कुमार]], [[राजेश खन्ना]], [[अमिताभ बच्चन]] और शाहरुख खान के साथ के कई फ़िल्में बनाईं। '[[दीवार (फ़िल्म)|दीवार]]', 'सिलसिला', '[[त्रिशूल (फ़िल्म)|त्रिशूल]]', 'चांदनी', 'लम्हे' और 'डर', 'वीर ज़ारा' जैसी उनकी अनेक फ़िल्मों ने लोगों का ख़ूब मनोरंजन किया और यह अपने-अपने समय की सुपरहिट फ़िल्में रहीं। | |||
====समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें==== | |||
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/10/121021_yash_chopra_tribute_sdp.shtml बी.बी.सी. हिन्दी ] | |||
*[http://www.livehindustan.com/news/entertainment/entertainmentnews/article1-amitabh-bacchan-director-saharukh-khan-indian-cinema-28-28-273790.html लाइव हिन्दुस्तान डॉट कॉम] | |||
*[http://khabar.ndtv.com/news/show/film-producer-director-yash-chopra-dead-27777 ख़बर एनडीटीवी] | |||
*[http://khabar.ibnlive.in.com/news/84202/6/23 आई.बी.एन ख़बर] | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://www.merikhabar.com/News/%E0%A4%AF%E0%A4%B6_%E0%A4%9A%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%8B_%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8____N35758.html यश चोपड़ा को मिला किशोर सम्मान] | *[http://www.merikhabar.com/News/%E0%A4%AF%E0%A4%B6_%E0%A4%9A%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%8B_%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8____N35758.html यश चोपड़ा को मिला किशोर सम्मान] |
05:17, 27 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
यश चोपड़ा
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पूरा नाम | यश राज चोपड़ा |
अन्य नाम | किंग ऑफ़ रोमांस |
जन्म | 27 सितंबर, 1932 |
जन्म भूमि | लाहौर पाकिस्तान |
मृत्यु | 21 अक्टूबर, 2012 (उम्र- 80 वर्ष) |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | पामेला चोपड़ा |
संतान | आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक |
मुख्य फ़िल्में | दीवार, दाग़, कभी कभी, डर, चांदनी, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, दिल तो पागल है, वीर जारा आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | 11 बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार, पद्म भूषण, दादा साहब फालके पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | यश चोपड़ा के पुत्र आदित्य चोपड़ा प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक और दूसरे पुत्र उदय चोपड़ा अभिनेता हैं। |
अद्यतन | 20:10, 28 सितम्बर 2012 (IST)
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यश राज चोपड़ा (अंग्रेज़ी: Yash Raj Chopra, जन्म: 27 सितम्बर, 1932; मृत्यु: 21 अक्टूबर, 2012) भारतीय हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक एवं फ़िल्म निर्माता हैं। यश चोपड़ा को हिन्दी सिनेमा का “किंग ऑफ रोमांस” कहा जाता है। दीवार, कभी कभी, डर, चांदनी, सिलसिला, दिल तो पागल है, वीर जारा जैसी अनेकों बेहतरीन और रोमांटिक फ़िल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए हैं।
जीवन परिचय
यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर, 1932 को लाहौर में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। स्वतंत्रता के बाद वह भारत आ गए। उनके बड़े भाई बी. आर. चोपड़ा बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता निर्देशक थे। बड़े भाई की प्रेरणा पर ही उन्होंने भी फ़िल्मों में हाथ आजमाया और आज यश चोपड़ा का परिवार बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बैनरों में से एक है। उनके बेटे आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा भी फ़िल्मों से ही जुड़े हुए हैं। यश चोपड़ा ने अपने भाई के साथ सह निर्देशक के तौर पर काम करना शुरू किया। अपने भाई बी. आर चोपड़ा के बैनर तले उन्होंने लगातार पांच फ़िल्में निर्देशित की। इन फ़िल्मों में ‘एक ही रास्ता’, ‘साधना’ और ‘नया दौर’ शामिल हैं।[1]
फ़िल्मी सफर
यश चोपड़ा ने 1959 में पहली बार अपने भाई के बैनर तले ही बनी फ़िल्म ‘धूल का फूल’ का निर्देशन किया। इसके बाद उन्होंने भाई के ही बैनर तले 'धर्म पुत्र' को भी निर्देशित किया। दोनों ही फ़िल्में औसत कामयाब रहीं पर इसमें यश चोपड़ा की मेहनत सबको नजर आई। वर्ष 1965 में आई फ़िल्म ‘वक्त’ यश चोपड़ा की पहली हिट फ़िल्म साबित हुई। इस फ़िल्म का गीत “ऐ मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं” दर्शकों को आज भी याद है। फ़िल्म 'इत्तेफाक' उनकी उन चुनिंदा फ़िल्मों में से है जिसमें उन्होंने कॉमेडी और रोमांस के अलावा थ्रिलर पर भी काम किया था।
यश राज बैनर की स्थापना
1973 में उन्होंने फ़िल्म निर्माण में कदम रखा और यश राज बैनर की स्थापना की। इसकी शुरूआत राजेश खन्ना अभिनीत ‘दाग’ जैसी सुपरहिट फ़िल्म से की। इस फ़िल्म की कामयाबी ने उन्हें बॉलीवुड में नया नाम दिया। इसके बाद आई 1975 की फ़िल्म 'दीवार' जिसमें अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया था। इस फ़िल्म की सफलता ने यश चोपड़ा को कामयाब निर्देशकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। जहां उनकी फ़िल्मों में काम करने के लिए अभिनेता उनके घर के चक्कर लगाने लगे। इसके बाद तो यश चोपड़ा ने 'सिलसिला', ‘कभी-कभी’ जैसी फ़िल्मों में अमिताभ के साथ ही काम किया। हालांकि 80 के दशक की शुरूआत में यश चोपड़ा को असफलता का कड़वा स्वाद भी चखना पड़ा पर 1989 में आई 'चांदनी' ने उन्हें दुबारा एक सफल और हिट निर्देशक बना डाला। 1991 में आई 'लम्हे' भी इसी दौर की एक सुपरहिट फ़िल्म साबित हुई। इसके बाद उन्होंने 1995 में बतौर निर्माता फ़िल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में दांव लगाया। शाहरुख खान और काजोल के अभिनय से सजी यह फ़िल्म बॉलीवुड में नया इतिहास रच गई। इसके बाद 1997 में उन्होंने फ़िल्म ‘दिल तो पागल है’ का निर्देशन किया। कुछ सालों तक वह निर्देशन से दूर रहे और फिर लौटे 2004 की सुपरहिट फ़िल्म 'वीर जारा' को लेकर।[1]
किंग ऑफ़ रोमांस
बॉलीवुड में रोमांस के अलग-अलग स्वरूप को परदे पर ढालने वाले यश चोपड़ा ने रोमांस को जितने रंगों में दिखाया उतना बॉलीवुड का कोई निर्देशक नहीं दिखा सका, इसीलिए यश चोपड़ा को बॉलीवुड का रोमांस किंग यानी ‘किंग ऑफ़ रोमांस’ कहा जाता है। यश चोपड़ा ने रोमांस को जुनूनी तौर पर, पागलपन के तौर पर, कुर्बानी के तौर पर, दु:ख-दर्द बांटने के तौर पर, कॉमेडी और थ्रिलर के साथ यानी हर तरह से प्यार को दिखाने की कोशिश की। यश चोपड़ा वहीं शख्सियत हैं जिन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर प्यार और रोमांस की नई परिभाषा गढ़ी।
बतौर निर्माता-निर्देशक प्रसिद्ध फ़िल्में
वर्ष | फ़िल्म | मुख्य कलाकार |
---|
- धूल का फूल (1959)
- वक़्त 1965)
- दाग़ (1973)
- दीवार (1975)
- त्रिशूल (1978)
- काला पत्थर (1979)
- सिलसिला (1981)
- चांदनी (1989)
- डर (1993)
- ये दिल्लगी (1994)
- दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995)
- दिल तो पागल है (1997)
- मोहब्बतें (2000)
- मेरे यार की शादी है (2002)
- हम तुम (2004)
- धूम (2004)
- वीर ज़ारा (2004)
- बंटी और बबली (2005)
- धूम 2 (2006)
- चक दे इंडिया (2007)
- रब ने बना दी जोड़ी (2008)
- मेरे ब्रदर की दुल्हन (2011)
- जब तक है जां (2012)
सम्मान और पुरस्कार
यश चोपड़ा को अब तक 11 बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1964 में प्रदर्शित फ़िल्म 'वक्त' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद वह 1969 में फ़िल्म 'इत्तेफाक' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, 1973 में 'दाग' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, 1975 में 'दीवार' सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, 1991 में 'लम्हे' सर्वश्रेष्ठ निर्माता, 1995 में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' सर्वश्रेष्ठ निर्माता, 2001 में वह फ़िल्म जगह के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फालके पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। 2005 में उन्हें भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया गया। फ़िल्म निर्माता यश चोपड़ा को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए फ्रांस का सर्वोच्च ऑफिसियर डी ला लेजन पुरस्कार भी प्रदान किया गया। स्विस सरकार ने उन्हें “स्विस एंबेसडरर्स अवार्ड 2010” से सम्मानित किया है।
समाचार
- 21 अक्टूबर 2012, रविवार
'रोमांस के बादशाह' यश चोपड़ा का निधन
'रोमांस के बादशाह' फ़िल्म निर्माता यश चोपड़ा का निधन 21 अक्टूबर 2012, रविवार को मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया था। फ़िल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगों ने उनकी मौत को भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी हानि बताया। गौरतलब है कि प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा 80 साल के थे और उन्हें डेंगू से पीड़ित होने के बाद लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यश चोपड़ा ने बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बैनर यशराज फ़िल्म्स की नींव रखी। यश चोपड़ा ने बॉलीवुड के सुपरस्टार दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के साथ के कई फ़िल्में बनाईं। 'दीवार', 'सिलसिला', 'त्रिशूल', 'चांदनी', 'लम्हे' और 'डर', 'वीर ज़ारा' जैसी उनकी अनेक फ़िल्मों ने लोगों का ख़ूब मनोरंजन किया और यह अपने-अपने समय की सुपरहिट फ़िल्में रहीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 यश चोपड़ा : रोमांस को पर्दे पर उतारने वाला जादूगर (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 28 सितम्बर, 2012।
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