"भारतीय दंड संहिता": अवतरणों में अंतर
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'''भारतीय दंड संहिता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indian Penal Code'', संक्षिप्त नाम: आई.पी.सी. अथवा IPC) [[भारत]] में भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्राविधान करती है। किन्तु यह संहिता [[भारतीय सेना]] पर लागू नहीं होती। [[जम्मू एवं कश्मीर]] राज्य में यह संहिता लागू नहीं होती है। जम्मू एवं कश्मीर में 'रणबीर दण्ड संहिता' (RPC) लागू होती है। भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् [[1862]] में लागू हुई। इसके बाद भारत के स्वतन्त्र होने के | '''भारतीय दंड संहिता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indian Penal Code'', संक्षिप्त नाम: आई.पी.सी. अथवा IPC) [[भारत]] में भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्राविधान करती है। किन्तु यह संहिता [[भारतीय सेना]] पर लागू नहीं होती। [[जम्मू एवं कश्मीर]] राज्य में यह संहिता लागू नहीं होती है। जम्मू एवं कश्मीर में 'रणबीर दण्ड संहिता' (RPC) लागू होती है। भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् [[1862]] में लागू हुई। इसके बाद भारत के स्वतन्त्र होने के पश्चात् इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे। [[पाकिस्तान]] और [[बांग्लादेश]] ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह संहिता तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों जैसे- [[बर्मा]], [[श्रीलंका]], [[मलेशिया]], [[सिंगापुर]] आदि में भी लागू की गयी थी। | ||
==दंड संहिता की धाराएँ== | ==दंड संहिता की धाराएँ== | ||
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* धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड | * धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड | ||
* धारा 4 राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार | * धारा 4 राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार | ||
* धारा 5 कुछ विधियों पर इस | * धारा 5 कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना | ||
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| अध्याय 2 | | अध्याय 2 | ||
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* धारा 83 सात वर्ष से उपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य | * धारा 83 सात वर्ष से उपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य | ||
* धारा 84 विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्य | * धारा 84 विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्य | ||
* धारा 85 ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के | * धारा 85 ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है | ||
* धारा 86 किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है | * धारा 86 किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है | ||
* धारा 87 सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान हो | * धारा 87 सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान हो | ||
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* धारा 92 सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य | * धारा 92 सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य | ||
* धारा 93 सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना | * धारा 93 सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना | ||
* धारा 94 वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों | * धारा 94 वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है | ||
* धारा 95 तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य | * धारा 95 तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य | ||
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* धारा96 निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें | * धारा96 निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें | ||
* धारा97 शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार | * धारा97 शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार | ||
* धारा98 ऐसे ब्यक्ति का कार्य के | * धारा98 ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृतख्त्ति आदि हो | ||
* धारा99 कार्य, जिनके | * धारा99 कार्य, जिनके विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार | ||
* धारा100 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है | * धारा100 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है | ||
* धारा101 कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है | * धारा101 कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है | ||
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* धारा104 ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है | * धारा104 ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है | ||
* धारा105 सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना | * धारा105 सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना | ||
* धारा106 घातक हमले के | * धारा106 घातक हमले के विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है | ||
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| अध्याय 5 | | अध्याय 5 | ||
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| अध्याय 6 | | अध्याय 6 | ||
| राज्य के | | राज्य के विरुद्ध अपराधें के विषय में | ||
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* धारा 121 भारत सरकार के | * धारा 121 भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना | ||
* धारा 121 क धारा 121 दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र | * धारा 121 क धारा 121 दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र | ||
* धारा 122 भारत सरकार के | * धारा 122 भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करना | ||
* धारा 123 युद्ध करने की परिकल्पना को सुनकर बनाने के आशय से छुपाना | * धारा 123 युद्ध करने की परिकल्पना को सुनकर बनाने के आशय से छुपाना | ||
* धारा 124 किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना | * धारा 124 किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना | ||
* धारा 124 क राजद्रोह | * धारा 124 क राजद्रोह | ||
* धारा 125 भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के | * धारा 125 भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरुद्ध युद्ध करना | ||
* धारा 126 भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना | * धारा 126 भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना | ||
* धारा 127 धारा 125 व 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करना | * धारा 127 धारा 125 व 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करना | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://www.theindiankanoon.com/2012/09/indian-penal-code-in-hindi.html भारतीय दण्ड संहिता, 1860] | *[http://www.theindiankanoon.com/2012/09/indian-penal-code-in-hindi.html भारतीय दण्ड संहिता, 1860] | ||
*[http://www.dabangvakil.com/ List of Indian Penal Codes with Sections and the Titles] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{न्याय व्यवस्था}} | |||
[[Category:न्यायपालिका]][[Category:भारत का संविधान]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]] | [[Category:न्यायपालिका]][[Category:भारत का संविधान]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]] | ||
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10:22, 13 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
भारतीय दंड संहिता (अंग्रेज़ी: Indian Penal Code, संक्षिप्त नाम: आई.पी.सी. अथवा IPC) भारत में भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्राविधान करती है। किन्तु यह संहिता भारतीय सेना पर लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर राज्य में यह संहिता लागू नहीं होती है। जम्मू एवं कश्मीर में 'रणबीर दण्ड संहिता' (RPC) लागू होती है। भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1862 में लागू हुई। इसके बाद भारत के स्वतन्त्र होने के पश्चात् इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह संहिता तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों जैसे- बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी लागू की गयी थी।
दंड संहिता की धाराएँ
अध्याय | नाम | धाराएं |
---|---|---|
अध्याय 1 | उद्देशिका |
|
अध्याय 2 | साधारण स्पष्टीकरण |
|
अध्याय 3 | दण्डों के विषय में |
|
अध्याय 4 | साधारण अपवाद |
|
निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में |
| |
अध्याय 5 | दुष्प्रेरण के विषय में |
|
अध्याय 5 क | आपराधिक षडयंत्र |
|
अध्याय 6 | राज्य के विरुद्ध अपराधें के विषय में |
|
अध्याय 7 | सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय में |
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- शेष अध्याय एवं धाराएँ अभी निर्माणाधीन हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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