"साकेत": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=साकेत|लेख का नाम=साकेत (बहुविकल्पी)}}
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=साकेत|लेख का नाम=साकेत (बहुविकल्पी)}}
[[चित्र:Bauddh-Math-Saket.jpg|thumb|250px|बौद्ध मठ, साकेत]]
[[चित्र:Bauddh-Math-Saket.jpg|thumb|250px|बौद्ध मठ, साकेत]]
[[अयोध्या]] के निकट, पूर्व-बौद्धकाल में बसा हुआ नगर जो अयोध्या का एक उपनगर था।  [[वाल्मीकि रामायण]] से ज्ञात होता है कि श्री[[राम]] के स्वर्गारोहण के पश्चात अयोध्या उजाड़ हो गई थी। जान पड़ता है कि कालांतर में, इस नगरी के, [[गुप्त काल|गुप्तकाल]] में फिर से बसने के पूर्व ही साकेत नामक उपनगर स्थापित हो गया था।  वाल्मीकि रामायण तथा [[महाभारत]] के प्राचीन भाग में साकेत का नाम नहीं है।  बौद्ध साहित्य में अधिकतर, अयोध्या के उल्लेख के बजाय सर्वत्र साकेत का ही उल्लेख मिलता है, यद्यपि दोनों नगरियों का साथ-साथ वर्णन भी है।<ref> राइस डेवीज-बुद्धिस्ट इंडिया, पृ0 39</ref> गुप्तकाल में साकेत तथा अयोध्या दोनों ही का नाम मिलता है।  इस समय तक अयोध्या पुन: बस गई थी और [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|चंद्रगुप्त द्वितीय]] ने यहाँ अपनी राजधानी भी बनाई थी।  कुछ लोगों के मत में बौद्ध काल में साकेत तथा अयोध्या दोनों पर्यायवाची नाम थे किंतु यह सत्य नहीं जान पड़ता।  अयोध्या की प्राचीन बस्ती इस समय भी रही होगी किंतु उजाड़ होने के कारण उसका पूर्व गौरव विलुप्त हो गया था।   
[[अयोध्या]] के निकट, पूर्व-बौद्धकाल में बसा हुआ नगर जो अयोध्या का एक उपनगर था।  [[वाल्मीकि रामायण]] से ज्ञात होता है कि श्री[[राम]] के स्वर्गारोहण के पश्चात् अयोध्या उजाड़ हो गई थी। जान पड़ता है कि कालांतर में, इस नगरी के, [[गुप्त काल|गुप्तकाल]] में फिर से बसने के पूर्व ही साकेत नामक उपनगर स्थापित हो गया था।  वाल्मीकि रामायण तथा [[महाभारत]] के प्राचीन भाग में साकेत का नाम नहीं है।  बौद्ध साहित्य में अधिकतर, अयोध्या के उल्लेख के बजाय सर्वत्र साकेत का ही उल्लेख मिलता है, यद्यपि दोनों नगरियों का साथ-साथ वर्णन भी है।<ref> राइस डेवीज-बुद्धिस्ट इंडिया, पृ0 39</ref> गुप्तकाल में साकेत तथा अयोध्या दोनों ही का नाम मिलता है।  इस समय तक अयोध्या पुन: बस गई थी और [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|चंद्रगुप्त द्वितीय]] ने यहाँ अपनी राजधानी भी बनाई थी।  कुछ लोगों के मत में बौद्ध काल में साकेत तथा अयोध्या दोनों पर्यायवाची नाम थे किंतु यह सत्य नहीं जान पड़ता।  अयोध्या की प्राचीन बस्ती इस समय भी रही होगी किंतु उजाड़ होने के कारण उसका पूर्व गौरव विलुप्त हो गया था।   
*वेबर के अनुसार साकेत नाम के कई नगर थे।<ref>इंडियन एंटिक्वेरी, 2,208</ref>  
*वेबर के अनुसार साकेत नाम के कई नगर थे।<ref>इंडियन एंटिक्वेरी, 2,208</ref>  
*[[कनिंघम]] ने साकेत का अभिज्ञान [[फ़ाह्यान]] के शाचे और [[हुएन-सांग|युवानच्वांग]] की विशाखा नगरी से किया है किंतु अब यह अभिज्ञान अशुद्ध प्रमाणित हो चुका है। सब बातों का निष्कर्ष यह जान पड़ता है कि अयोध्या की रामायण-कालीन बस्ती के उजड़ जाने के पश्चात बौद्ध काल के प्रारंभ में (6ठी-5वीं शती ई.पू.) साकेत नामक अयोध्या का एक उपनगर बस गया था जो गुप्तकाल तक प्रसिद्ध रहा और हिन्दू धर्म के उत्कर्ष काल में अयोध्या की बस्ती फिर से बस जाने के पश्चात धीरे-धीरे उसी का अंग बन कर अपना पृथक् अस्तित्व खो बैठा।   
*[[कनिंघम]] ने साकेत का अभिज्ञान [[फ़ाह्यान]] के शाचे और [[हुएन-सांग|युवानच्वांग]] की विशाखा नगरी से किया है किंतु अब यह अभिज्ञान अशुद्ध प्रमाणित हो चुका है। सब बातों का निष्कर्ष यह जान पड़ता है कि अयोध्या की रामायण-कालीन बस्ती के उजड़ जाने के पश्चात् बौद्ध काल के प्रारंभ में (6ठी-5वीं शती ई.पू.) साकेत नामक अयोध्या का एक उपनगर बस गया था जो गुप्तकाल तक प्रसिद्ध रहा और हिन्दू धर्म के उत्कर्ष काल में अयोध्या की बस्ती फिर से बस जाने के पश्चात् धीरे-धीरे उसी का अंग बन कर अपना पृथक् अस्तित्व खो बैठा।   
*ऐतिहासिक दृष्टि से साकेत का सर्वप्रथम उल्लेख बौद्ध [[जातक कथा|जातककथाओं]] में मिलता है। नंदियमिग जातक में साकेत को [[कौशल|कोसल]]-राज की राजधानी बताया गया है।  
*ऐतिहासिक दृष्टि से साकेत का सर्वप्रथम उल्लेख बौद्ध [[जातक कथा|जातककथाओं]] में मिलता है। नंदियमिग जातक में साकेत को [[कौशल|कोसल]]-राज की राजधानी बताया गया है।  
*महावग्ग <ref>महावग्ग 7,11 </ref>में साकेत को [[श्रावस्ती]] से 6 कोस दूर बताया गया है।  
*महावग्ग <ref>महावग्ग 7,11 </ref>में साकेत को [[श्रावस्ती]] से 6 कोस दूर बताया गया है।  
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
'जनस्य साकेतनिवासिनस्तौ द्वावप्यभूतामविनन्द्य सत्वौ, गुरुप्रदेयाधिकनि:स्पृहोऽर्थी नृपोऽर्थिकामादधिकप्रदश्च'<ref>रघु0 13,62</ref> में राम की राजधानी के निवासियों को साकेत नाम से अभिहित किया गया है।   
'जनस्य साकेतनिवासिनस्तौ द्वावप्यभूतामविनन्द्य सत्वौ, गुरुप्रदेयाधिकनि:स्पृहोऽर्थी नृपोऽर्थिकामादधिकप्रदश्च'<ref>रघु0 13,62</ref> में राम की राजधानी के निवासियों को साकेत नाम से अभिहित किया गया है।   


'यां सैकतोत्संगसुखोचितानाम्'<ref>रघु0 13,79</ref> में साकेत के उपवन का उल्लेख है जिसमें लंका से लौटने के पश्चात श्रीराम को ठहराया गया था-
'यां सैकतोत्संगसुखोचितानाम्'<ref>रघु0 13,79</ref> में साकेत के उपवन का उल्लेख है जिसमें लंका से लौटने के पश्चात् श्रीराम को ठहराया गया था-


'साकेतोपवनमुदारमध्युवास'<ref>रघु0 14,13</ref> में साकेत की पुरनारियों का वर्णन है-
'साकेतोपवनमुदारमध्युवास'<ref>रघु0 14,13</ref> में साकेत की पुरनारियों का वर्णन है-

07:34, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

साकेत एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- साकेत (बहुविकल्पी)
बौद्ध मठ, साकेत

अयोध्या के निकट, पूर्व-बौद्धकाल में बसा हुआ नगर जो अयोध्या का एक उपनगर था। वाल्मीकि रामायण से ज्ञात होता है कि श्रीराम के स्वर्गारोहण के पश्चात् अयोध्या उजाड़ हो गई थी। जान पड़ता है कि कालांतर में, इस नगरी के, गुप्तकाल में फिर से बसने के पूर्व ही साकेत नामक उपनगर स्थापित हो गया था। वाल्मीकि रामायण तथा महाभारत के प्राचीन भाग में साकेत का नाम नहीं है। बौद्ध साहित्य में अधिकतर, अयोध्या के उल्लेख के बजाय सर्वत्र साकेत का ही उल्लेख मिलता है, यद्यपि दोनों नगरियों का साथ-साथ वर्णन भी है।[1] गुप्तकाल में साकेत तथा अयोध्या दोनों ही का नाम मिलता है। इस समय तक अयोध्या पुन: बस गई थी और चंद्रगुप्त द्वितीय ने यहाँ अपनी राजधानी भी बनाई थी। कुछ लोगों के मत में बौद्ध काल में साकेत तथा अयोध्या दोनों पर्यायवाची नाम थे किंतु यह सत्य नहीं जान पड़ता। अयोध्या की प्राचीन बस्ती इस समय भी रही होगी किंतु उजाड़ होने के कारण उसका पूर्व गौरव विलुप्त हो गया था।

  • वेबर के अनुसार साकेत नाम के कई नगर थे।[2]
  • कनिंघम ने साकेत का अभिज्ञान फ़ाह्यान के शाचे और युवानच्वांग की विशाखा नगरी से किया है किंतु अब यह अभिज्ञान अशुद्ध प्रमाणित हो चुका है। सब बातों का निष्कर्ष यह जान पड़ता है कि अयोध्या की रामायण-कालीन बस्ती के उजड़ जाने के पश्चात् बौद्ध काल के प्रारंभ में (6ठी-5वीं शती ई.पू.) साकेत नामक अयोध्या का एक उपनगर बस गया था जो गुप्तकाल तक प्रसिद्ध रहा और हिन्दू धर्म के उत्कर्ष काल में अयोध्या की बस्ती फिर से बस जाने के पश्चात् धीरे-धीरे उसी का अंग बन कर अपना पृथक् अस्तित्व खो बैठा।
  • ऐतिहासिक दृष्टि से साकेत का सर्वप्रथम उल्लेख बौद्ध जातककथाओं में मिलता है। नंदियमिग जातक में साकेत को कोसल-राज की राजधानी बताया गया है।
  • महावग्ग [3]में साकेत को श्रावस्ती से 6 कोस दूर बताया गया है।
  • पतंजलि ने द्वितीय शती ई.पू. में साकेत में ग्रीक (यवन) आक्रमणकारियों का उल्लेख करते हुए उनके द्वारा साकेत के आक्रांत होने का वर्णन किया है, [4] अधिकांश विद्वानों के मत में पंतजलि ने यहाँ मेनेंडर (बौद्ध साहित्य का मिलिंद) के भारत-आक्रमण का उल्लेख किया है।
  • कालिदास ने रघुवंश में [5] रघु की राजधानी को साकेत कहा है-

'जनस्य साकेतनिवासिनस्तौ द्वावप्यभूतामविनन्द्य सत्वौ, गुरुप्रदेयाधिकनि:स्पृहोऽर्थी नृपोऽर्थिकामादधिकप्रदश्च'[6] में राम की राजधानी के निवासियों को साकेत नाम से अभिहित किया गया है।

'यां सैकतोत्संगसुखोचितानाम्'[7] में साकेत के उपवन का उल्लेख है जिसमें लंका से लौटने के पश्चात् श्रीराम को ठहराया गया था-

'साकेतोपवनमुदारमध्युवास'[8] में साकेत की पुरनारियों का वर्णन है-

'प्रासादवातायनदृश्यबंधै: साकेतनार्योऽन्चजलिभि: प्रणेमु:'

उपर्युक्त उद्धरणों से जान पड़ता है कि कालिदास ने अयोध्या और साकेत को एक नगरी माना है। यह स्थिति गुप्त काल अथवा कालिदास के समय में वास्तविक रूप में रही होगी क्योंकि इस समय तक अयोध्या की नई बस्ती फिर से बस चुकी थी और बौद्धकाल का साकेत इसी में सम्मिलित हो गया था। कालिदास ने अयोध्या का तो अनेक स्थानों पर उल्लेख किया ही है। आनुषांगिक रूप से, इस तथ्य से कालिदास का समय गुप्त काल ही सिद्ध होता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राइस डेवीज-बुद्धिस्ट इंडिया, पृ0 39
  2. इंडियन एंटिक्वेरी, 2,208
  3. महावग्ग 7,11
  4. 'अरूनद् यवन: साकेतम् अरूनद् यवनों मध्यमिकाम्'।
  5. रघुवंश 5,31
  6. रघु0 13,62
  7. रघु0 13,79
  8. रघु0 14,13

संबंधित लेख