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'''रेखा गनेशन''' [[हिन्दी]] फ़िल्मों की सुप्रसिद्ध [[भारतीय]] [[अभिनेत्री]] हैं। रेखा को अभिनय में ज्यादा रुचि नही थी, लेकिन रेखा के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी न होने कारण उनको अपना स्कूल छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा।
'''रेखा गनेशन''' [[हिन्दी]] फ़िल्मों की सुप्रसिद्ध भारतीय [[अभिनेत्री]] हैं। रेखा को अभिनय में ज्यादा रुचि नही थी, लेकिन रेखा के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी न होने कारण उनको अपना स्कूल छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा।
==फ़िल्मी कॅरियर==
==फ़िल्मी कॅरियर==
वे बाल कलाकार के तौर पर तेलगु फ़िल्म रंगुला रतलाम में दिखाई दीं जिसमें उनका नाम बेबी भानुरेखा बताया गया। [[1969]] में हीरोइन के रूप में उन्होंने अपना डेब्यू सफल कन्नड़ फ़िल्म आॅपरेशन जैकपाट नल्ली सीआईडी 999 से किया था जिसमें उनके हीरो राजकुमार थे। उसी सालद उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म अंजाना सफर रिलीज हुई थी। फ़िल्म के एक किसिंग सीन के विवाद के चलते यह फ़िल्म नहीं रिलीज हो पाई। बाद में इस फ़िल्म को दो शिकारी के नाम से रिलीज किया गया।<ref name="aa"/>
वे बाल कलाकार के तौर पर तेलगु फ़िल्म रंगुला रतलाम में दिखाई दीं जिसमें उनका नाम बेबी भानुरेखा बताया गया। [[1969]] में हिरोइन के रूप में उन्होंने अपना डेब्यू सफल कन्नड़ फ़िल्म आॅपरेशन जैकपाट नल्ली सीआईडी 999 से किया था जिसमें उनके हीरो राजकुमार थे। उसी सालद उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म अंजाना सफर रिलीज हुई थी। फ़िल्म के एक किसिंग सीन के विवाद के चलते यह फ़िल्म नहीं रिलीज हो पाई। बाद में इस फ़िल्म को दो शिकारी के नाम से रिलीज किया गया।<ref name="aa"/>
   
   
;रेखा का 1970 के दशक में फिल्म जगत का सफ़र  
;रेखा का 1970 के दशक में फिल्म जगत का सफ़र  
[[1970]] में उनकी दो फ़िल्में रिलीज हुईं-तेलगु फ़िल्म 'अम्मा कोसम' और हिन्दी फ़िल्म 'सावन भादों' जो कि उनकी [[बॉलीवुड]] में [[अभिनेत्री]] के तौर पर डेब्यू फ़िल्म मानी जाती है। 'सावन भादों' हिट रही और रेखा रातों रात स्टार बन गईं। बाद में उन्हें कई फ़िल्मों में रोल मिलने लगे लेकिन वे एक ग्लैमर गर्ल से ज्यादा कुछ नहीं थे। उस समय उन्होंने 'रामपुर का लक्ष्मण', 'कहानी किस्मत की', 'प्राण जाए पर वचन ना जाए' जैसी फ़िल्मों में काम किया। इन सबने अच्छा कारोबार किया। उनकी पहली फ़िल्म जिसमें उनकी परफाॅर्मेंस को सराहा गया, वह थी [[अमिताभ बच्चन]] के साथ 'दो अंजाने' जिसमें उन्होंने [[अमिताभ बच्चन|अमिताभ]] की लालची बीवी का किरदार निभाया था। इस फ़िल्म को दर्शकों और आलोचकों की तरफ से ठीक ठाक रेस्पांस मिला। फ़िल्म ‘घर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रही। यह फ़िल्म उनके करियर का माइलटोन रही और फ़िल्म में उनके [[अभिनय]] को आलोचकों और जनता दोनों ने काफी सराहा। इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ [[अभिनेत्री]] के तौर पर पहली बार फ़िल्मफेेयर पुरस्कार में नामांकित किया गया। उसी साल आई फ़िल्म 'मुकद्दर का सिंकंदर' में वे एक बार फिर [[अमिताभ बच्चन]] के साथ दिखाई दीं। यह फ़िल्म उस साल की बड़ी हिट रही और रेखा उस समय की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। फ़िल्म की काफी तारीफ हुई और रेखा को सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का के तौर पर फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।<ref name="aa"/>
[[1970]] में उनकी दो फ़िल्में रिलीज हुईं-तेलगु फ़िल्म 'अम्मा कोसम' और हिन्दी फ़िल्म 'सावन भादों' जो कि उनकी [[बॉलीवुड]] में [[अभिनेत्री]] के तौर पर डेब्यू फ़िल्म मानी जाती है। 'सावन भादों' हिट रही और रेखा रातों रात स्टार बन गईं। बाद में उन्हें कई फ़िल्मों में रोल मिलने लगे लेकिन वे एक ग्लैमर गर्ल से ज्यादा कुछ नहीं थे। उस समय उन्होंने 'रामपुर का लक्ष्मण', 'कहानी किस्मत की', 'प्राण जाए पर वचन ना जाए' जैसी फ़िल्मों में काम किया। इन सबने अच्छा कारोबार किया। उनकी पहली फ़िल्म जिसमें उनकी परफाॅर्मेंस को सराहा गया, वह थी [[अमिताभ बच्चन]] के साथ 'दो अंजाने' जिसमें उन्होंने [[अमिताभ बच्चन|अमिताभ]] की लालची बीवी का किरदार निभाया था। इस फ़िल्म को दर्शकों और आलोचकों की तरफ से ठीक ठाक रेस्पांस मिला। फ़िल्म ‘घर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रही। यह फ़िल्म उनके करियर का माइलटोन रही और फ़िल्म में उनके [[अभिनय]] को आलोचकों और जनता दोनों ने काफ़ी सराहा। इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ [[अभिनेत्री]] के तौर पर पहली बार फ़िल्मफेेयर पुरस्कार में नामांकित किया गया। उसी साल आई फ़िल्म 'मुकद्दर का सिंकंदर' में वे एक बार फिर [[अमिताभ बच्चन]] के साथ दिखाई दीं। यह फ़िल्म उस साल की बड़ी हिट रही और रेखा उस समय की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। फ़िल्म की काफ़ी तारीफ हुई और रेखा को सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का के तौर पर फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।<ref name="aa"/>
;रेखा का 1980 के दशक में फिल्म जगत का सफर
;रेखा का 1980 के दशक में फिल्म जगत का सफर
[[1980]] में वे काॅमेडी फ़िल्म खूबसूरत में दिखाई दीं जिसके निर्देशक [[ऋषिकेश मुखर्जी]] थे जिनके साथ रेखा का पिता-बेटी का रिश्ता बन चुका था। यह फ़िल्म भी सफल हुई और और रेखा को उनकी काॅमिक टाइमिंग के लिए सराहा गया। इसे फ़िल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार तो मिला ही, साथ ही साथ रेखा को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। इसके बाद से अग्रणी फ़िल्म निर्देशकों ने रेखा को और नोटिस किया और अपनी फ़िल्मों मे उन्हें कास्ट करने की खासी रूचि दिखाई। उनकी [[अमिताभ बच्चन]] के साथ आई ज्यादातर फ़िल्में हिट हुईं। उनका अमिताभ के साथ अफेयर मीडिया में काफी चर्चा का विषय भी बना रहा क्योंकि अमिताभ पहले से शादीशुदा थे। इसके बाद आई यश चोपड़ा की फ़िल्म सिलसिला में वे अमिताभ और जया भादुड़ी के साथ नजर आईं। फ़िल्म में रेखा ने अमिताभ की प्रेमिका की भूमिका निभाई तो वहीं जया ने अमिताभ की पत्नी की भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने अपनी हिन्दी को भी काफी सुधारा जिसके लिए मीडिया में उनकी काफी तारीफ हुई।<ref name="aa"/>  
[[1980]] में वे काॅमेडी फ़िल्म खूबसूरत में दिखाई दीं जिसके निर्देशक [[ऋषिकेश मुखर्जी]] थे जिनके साथ रेखा का पिता-बेटी का रिश्ता बन चुका था। यह फ़िल्म भी सफल हुई और और रेखा को उनकी काॅमिक टाइमिंग के लिए सराहा गया। इसे फ़िल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार तो मिला ही, साथ ही साथ रेखा को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। इसके बाद से अग्रणी फ़िल्म निर्देशकों ने रेखा को और नोटिस किया और अपनी फ़िल्मों मे उन्हें कास्ट करने की खासी रूचि दिखाई। उनकी [[अमिताभ बच्चन]] के साथ आई ज्यादातर फ़िल्में हिट हुईं। उनका अमिताभ के साथ अफेयर मीडिया में काफ़ी चर्चा का विषय भी बना रहा क्योंकि अमिताभ पहले से शादीशुदा थे। इसके बाद आई यश चोपड़ा की फ़िल्म सिलसिला में वे अमिताभ और जया भादुड़ी के साथ नजर आईं। फ़िल्म में रेखा ने अमिताभ की प्रेमिका की भूमिका निभाई तो वहीं जया ने अमिताभ की पत्नी की भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने अपनी हिन्दी को भी काफ़ी सुधारा जिसके लिए मीडिया में उनकी काफ़ी तारीफ हुई।<ref name="aa"/>  
;रेखा का 1981 के दशक में फिल्म जगत का सफर  
;रेखा का 1981 के दशक में फिल्म जगत का सफर  
[[1981]] में आई उनकी उमराव जान। यह फ़िल्म उनके करियर की बेस्ट फ़िल्मों में से एक रही और इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। इसके बाद भी उनकी कई फ़िल्में आई जो कि काफी हिट हुईं।<ref name="aa"/>
[[1981]] में आई उनकी उमराव जान। यह फ़िल्म उनके करियर की बेस्ट फ़िल्मों में से एक रही और इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। इसके बाद भी उनकी कई फ़िल्में आई जो कि काफ़ी हिट हुईं।<ref name="aa"/>
;रेखा का 1990 के दशक में फिल्म जगत का सफर
;रेखा का 1990 के दशक में फिल्म जगत का सफर
[[1990]] के दौरान रेखा की सफलता में गिरावट हुई। उन्होंने कई ऐसी फ़िल्मों में काम किया जो कि खास कारोबार भी नहीं कर पाईं और आलोचकों से भी अच्छी प्रतिक्रियाएं नहीं मिलीं। इस दौरान श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियां भी चर्चित हो गईं। इसके बाद उन्होंने कामसूत्रः ए टेल आॅफ लव और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फ़िल्मों में काम किया। खिलाडि़यों का खिलाड़ी ने काफी अच्छा कारोबार किया और फ़िल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक रही। इस फ़िल्म में पहली बार रेखा ने मैडम माया का निगेटिव किरदार निभाया था। फ़िल्म में [[अक्षय कुमार]] और रवीना टंडन भी थे।<ref name="aa"/>  
[[1990]] के दौरान रेखा की सफलता में गिरावट हुई। उन्होंने कई ऐसी फ़िल्मों में काम किया जो कि खास कारोबार भी नहीं कर पाईं और आलोचकों से भी अच्छी प्रतिक्रियाएं नहीं मिलीं। इस दौरान श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियां भी चर्चित हो गईं। इसके बाद उन्होंने कामसूत्रः ए टेल आॅफ लव और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फ़िल्मों में काम किया। खिलाडि़यों का खिलाड़ी ने काफ़ी अच्छा कारोबार किया और फ़िल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक रही। इस फ़िल्म में पहली बार रेखा ने मैडम माया का निगेटिव किरदार निभाया था। फ़िल्म में [[अक्षय कुमार]] और रवीना टंडन भी थे।<ref name="aa"/>  
;रेखा का 2000 के दशक में फिल्म जगत का सफर
;रेखा का 2000 के दशक में फिल्म जगत का सफर
[[2000]] आते आते उन्होंने फ़िल्में कम कर दीं और कुछ ही फ़िल्मों में दिखाई दीं। इस दौरान वे फ़िल्म बुलंदी में दिखाई दीं। [[2001]] में वे फ़िल्म 'लज्जा' में दिखाई दीं। फिर वे राकेश रोशन की फ़िल्म 'कोई मिल गया' में रितिक की मां के किरदार में पर्दे पर आईं तो वहीं [[2005]] में फ़िल्म 'परिणीता' में एक आइटम नंबर में 'कैसी पहेली है ये' गाने में काम किया। [[2007]] में इन्होंने फिल्म 'क्रिश' में काम किया। और
[[2000]] आते आते उन्होंने फ़िल्में कम कर दीं और कुछ ही फ़िल्मों में दिखाई दीं। इस दौरान वे फ़िल्म बुलंदी में दिखाई दीं। [[2001]] में वे फ़िल्म 'लज्जा' में दिखाई दीं। फिर वे राकेश रोशन की फ़िल्म 'कोई मिल गया' में रितिक की मां के किरदार में पर्दे पर आईं तो वहीं [[2005]] में फ़िल्म 'परिणीता' में एक आइटम नंबर में 'कैसी पहेली है ये' गाने में काम किया। [[2007]] में इन्होंने फिल्म 'क्रिश' में काम किया। और
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07:21, 4 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

रेखा का फ़िल्मी कॅरियर
रेखा
रेखा
पूरा नाम भानुरेखा गणेशन
जन्म 10 अक्टूबर, 1954
जन्म भूमि तमिलनाडु
अभिभावक जेमिनी गनेशन और पुष्पावली
पति/पत्नी मुकेश अग्रवाल
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री
मुख्य फ़िल्में 'खूबसूरत', 'उमराव जान', 'खून', 'सिलसिल'

भरी मांग”

पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (दो बार), राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी रेखा 1966 में फ़िल्मों में आ गईं थी। इन्होंने अपनी पहली तेलुगु फ़िल्म 'रंगुला रतलाम' जिसमें एक बाल कलाकार के रूप में भूमिका निभाई थी, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत 1970 में आई फ़िल्म 'सावन भादों' से हुई।
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रेखा गनेशन हिन्दी फ़िल्मों की सुप्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री हैं। रेखा को अभिनय में ज्यादा रुचि नही थी, लेकिन रेखा के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी न होने कारण उनको अपना स्कूल छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा।

फ़िल्मी कॅरियर

वे बाल कलाकार के तौर पर तेलगु फ़िल्म रंगुला रतलाम में दिखाई दीं जिसमें उनका नाम बेबी भानुरेखा बताया गया। 1969 में हिरोइन के रूप में उन्होंने अपना डेब्यू सफल कन्नड़ फ़िल्म आॅपरेशन जैकपाट नल्ली सीआईडी 999 से किया था जिसमें उनके हीरो राजकुमार थे। उसी सालद उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म अंजाना सफर रिलीज हुई थी। फ़िल्म के एक किसिंग सीन के विवाद के चलते यह फ़िल्म नहीं रिलीज हो पाई। बाद में इस फ़िल्म को दो शिकारी के नाम से रिलीज किया गया।[1]

रेखा का 1970 के दशक में फिल्म जगत का सफ़र

1970 में उनकी दो फ़िल्में रिलीज हुईं-तेलगु फ़िल्म 'अम्मा कोसम' और हिन्दी फ़िल्म 'सावन भादों' जो कि उनकी बॉलीवुड में अभिनेत्री के तौर पर डेब्यू फ़िल्म मानी जाती है। 'सावन भादों' हिट रही और रेखा रातों रात स्टार बन गईं। बाद में उन्हें कई फ़िल्मों में रोल मिलने लगे लेकिन वे एक ग्लैमर गर्ल से ज्यादा कुछ नहीं थे। उस समय उन्होंने 'रामपुर का लक्ष्मण', 'कहानी किस्मत की', 'प्राण जाए पर वचन ना जाए' जैसी फ़िल्मों में काम किया। इन सबने अच्छा कारोबार किया। उनकी पहली फ़िल्म जिसमें उनकी परफाॅर्मेंस को सराहा गया, वह थी अमिताभ बच्चन के साथ 'दो अंजाने' जिसमें उन्होंने अमिताभ की लालची बीवी का किरदार निभाया था। इस फ़िल्म को दर्शकों और आलोचकों की तरफ से ठीक ठाक रेस्पांस मिला। फ़िल्म ‘घर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रही। यह फ़िल्म उनके करियर का माइलटोन रही और फ़िल्म में उनके अभिनय को आलोचकों और जनता दोनों ने काफ़ी सराहा। इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के तौर पर पहली बार फ़िल्मफेेयर पुरस्कार में नामांकित किया गया। उसी साल आई फ़िल्म 'मुकद्दर का सिंकंदर' में वे एक बार फिर अमिताभ बच्चन के साथ दिखाई दीं। यह फ़िल्म उस साल की बड़ी हिट रही और रेखा उस समय की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। फ़िल्म की काफ़ी तारीफ हुई और रेखा को सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का के तौर पर फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।[1]

रेखा का 1980 के दशक में फिल्म जगत का सफर

1980 में वे काॅमेडी फ़िल्म खूबसूरत में दिखाई दीं जिसके निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी थे जिनके साथ रेखा का पिता-बेटी का रिश्ता बन चुका था। यह फ़िल्म भी सफल हुई और और रेखा को उनकी काॅमिक टाइमिंग के लिए सराहा गया। इसे फ़िल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार तो मिला ही, साथ ही साथ रेखा को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। इसके बाद से अग्रणी फ़िल्म निर्देशकों ने रेखा को और नोटिस किया और अपनी फ़िल्मों मे उन्हें कास्ट करने की खासी रूचि दिखाई। उनकी अमिताभ बच्चन के साथ आई ज्यादातर फ़िल्में हिट हुईं। उनका अमिताभ के साथ अफेयर मीडिया में काफ़ी चर्चा का विषय भी बना रहा क्योंकि अमिताभ पहले से शादीशुदा थे। इसके बाद आई यश चोपड़ा की फ़िल्म सिलसिला में वे अमिताभ और जया भादुड़ी के साथ नजर आईं। फ़िल्म में रेखा ने अमिताभ की प्रेमिका की भूमिका निभाई तो वहीं जया ने अमिताभ की पत्नी की भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने अपनी हिन्दी को भी काफ़ी सुधारा जिसके लिए मीडिया में उनकी काफ़ी तारीफ हुई।[1]

रेखा का 1981 के दशक में फिल्म जगत का सफर

1981 में आई उनकी उमराव जान। यह फ़िल्म उनके करियर की बेस्ट फ़िल्मों में से एक रही और इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। इसके बाद भी उनकी कई फ़िल्में आई जो कि काफ़ी हिट हुईं।[1]

रेखा का 1990 के दशक में फिल्म जगत का सफर

1990 के दौरान रेखा की सफलता में गिरावट हुई। उन्होंने कई ऐसी फ़िल्मों में काम किया जो कि खास कारोबार भी नहीं कर पाईं और आलोचकों से भी अच्छी प्रतिक्रियाएं नहीं मिलीं। इस दौरान श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियां भी चर्चित हो गईं। इसके बाद उन्होंने कामसूत्रः ए टेल आॅफ लव और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फ़िल्मों में काम किया। खिलाडि़यों का खिलाड़ी ने काफ़ी अच्छा कारोबार किया और फ़िल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक रही। इस फ़िल्म में पहली बार रेखा ने मैडम माया का निगेटिव किरदार निभाया था। फ़िल्म में अक्षय कुमार और रवीना टंडन भी थे।[1]

रेखा का 2000 के दशक में फिल्म जगत का सफर

2000 आते आते उन्होंने फ़िल्में कम कर दीं और कुछ ही फ़िल्मों में दिखाई दीं। इस दौरान वे फ़िल्म बुलंदी में दिखाई दीं। 2001 में वे फ़िल्म 'लज्जा' में दिखाई दीं। फिर वे राकेश रोशन की फ़िल्म 'कोई मिल गया' में रितिक की मां के किरदार में पर्दे पर आईं तो वहीं 2005 में फ़िल्म 'परिणीता' में एक आइटम नंबर में 'कैसी पहेली है ये' गाने में काम किया। 2007 में इन्होंने फिल्म 'क्रिश' में काम किया। और सबसे अच्छी सहायक अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर अवार्ड में इनका नाम नामांकित हुआ। रेखा ने फ़िल्मी जगत में अपनी एक नई पहचान बनाई और एक सफल महिला रही, इसके लिए इन्हें 2010 में भारत सरकार की तरफ से 'पद्म श्री' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 जीवनी (हिन्दी) filmibeat.com। अभिगमन तिथि: 8 जून, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

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