"जलमण्डल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{पुनरीक्षण}}
{{tocright}}
{{tocright}}
[[पृथ्वी]] के धरातल के लगभग 70 फीसदी भाग जो घेरे हुई जल राशियों को '''जलमंडल''' कहा जाता है। पूरे [[सौरमंडल]] में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा [[ग्रह]] है जिस पर भारी मात्रा में [[जल]] उपस्थित है। यह एक ऐसा तथ्य है जो पृथ्वी को अन्य ग्रहों से विशिष्ट बनाता है। पर्यावरणीय संघटको में [[जल]] का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जलमण्डल से तात्पर्य जल की उस परत से है जो पृथ्वी की सतह पर [[महासागर|महासागरों]], [[झील|झीलों]], नदियों तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। [[पृथ्वी]] की सतह के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग में जल का विस्तार है, इसलिए पृथ्वी को जलीय ग्रह भी कहते हैं।
[[पृथ्वी]] के धरातल के लगभग 70 फीसदी भाग को घेरे हुई जल राशियों को '''जलमंडल''' कहा जाता है। पूरे [[सौरमंडल]] में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा [[ग्रह]] है जिस पर बहुत मात्रा में [[जल]] उपस्थित है। यह एक ऐसा तथ्य है जो पृथ्वी को अन्य ग्रहों से विशिष्ट बनाता है। पर्यावरणीय संघटको में [[जल]] का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जलमण्डल से तात्पर्य जल की उस परत से है जो पृथ्वी की सतह पर [[महासागर|महासागरों]], [[झील|झीलों]], नदियों तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। [[पृथ्वी]] की सतह के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग में जल का विस्तार है, इसलिए पृथ्वी को '''जलीय ग्रह''' भी कहते हैं।
==अनुमान के अनुसार==
==अनुमान के अनुसार==
एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 1360 मिलियन क्यूबिक किमी जल है। इसका 97 प्रतिशत अर्थात 1320 क्यूबिक किमी जल अकेले महासागरों में है। लगभग 30 मिलियन क्यूबिक किमी [[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] एवं ग्रीनलैंड में है। लगभग 9 मिलियन क्यूबिक किमी अर्थात् सम्पूर्ण जल का एक प्रतिशत भाग भूमिगत जल के रूप में है। शेष जल नदियों, झीलों तथा अन्तर्देशीय [[समुद्र]] में और जल वाष्प के रूप में है।
एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 1360 मिलियन क्यूबिक कि.मी. जल है। इसका 97 प्रतिशत अर्थात् 1320 क्यूबिक कि.मी. जल अकेले [[महासागर|महासागरों]] में है। लगभग 30 मिलियन क्यूबिक कि.मी. [[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] एवं ग्रीनलैंड में है। लगभग 9 मिलियन क्यूबिक कि.मी. अर्थात् सम्पूर्ण जल का एक प्रतिशत भाग भूमिगत जल के रूप में है। शेष जल नदियों, [[झील|झीलों]] तथा अन्तर्देशीय [[समुद्र]] में और जल वाष्प के रूप में है।
==महासागर का जल==
==महासागर का जल==
जल मंडल में मुख्य रूप से महासागर शामिल है लेकिन तकनीकी रूप से इसमें पृथ्वी की संपूर्ण जलराशि शामिल है जिसमें आंतरिक [[समुद्र]], [[झील]], नदियां और 2 किमी की गहराई तक पाया जाने वाला भूमितल शामिल है। महासागरों की औसत गहराई 4 किमी है। विश्व के महासागरों का कुल आयतन लगभग 1.4 बिलियन घन किमी है। पृथ्वी पर उपस्थित कुल जल राशि का 97.5 फीसदी महासागरों के अंतर्गत आता है। जबकि बाकी 2.5 फीसदी ताजे जल के रूप में है। ताजे जल में भी लगभग 68.7 फीसदी जल बर्फ के रूप में है। महासागरों के जल में [[लवण]] की मात्रा भू-पृष्ठीय जल तथा भूमिगत जल की अपेक्षा अधिक होती है। जल की लवणता से तात्पर्य लवण की मात्रा से है जो जल में घुली होती है।  
{| class="bharattable-pink" border="1" style="margin:5px; float:right"
|+सागरीय जल का संगठन
|-
! लवण के प्रकार !! लवण की मात्रा <br />(ग्राम प्रति किलोग्राम) !! प्रतिशत
|-
|सोडियम क्लोराइड || 27.213 || 77.8
|-
|मैग्नीशियम क्लोराइड || 38.7 || 10.9
|-
|मैग्नीशियम सल्फेट || 1.658 || 4.7
|-
|कैल्शियम सल्फेट || 1.260 || 3.6
|-
|पोटेशियम सल्फेट || 0.863 || 2.5
|-
|कैल्शियम कार्बोनेट || 0.123 || 0.3
|-
|मैग्नीशियम ब्रोमाइड  || 0.076 || 0.2
|}
जल मंडल में मुख्य रूप से महासागर शामिल है लेकिन तकनीकी रूप से इसमें [[पृथ्वी]] की संपूर्ण जलराशि शामिल है जिसमें आंतरिक [[समुद्र]], [[झील]], नदियां और 2 कि.मी. की गहराई तक पाया जाने वाला भूमितल शामिल है। महासागरों की औसत गहराई 4 कि.मी. है। विश्व के महासागरों का कुल आयतन लगभग 1.4 बिलियन घन कि.मी. है। पृथ्वी पर उपस्थित कुल जल राशि का 97.5 फीसदी महासागरों के अंतर्गत आता है। जबकि बाकी 2.5 फीसदी ताजे जल के रूप में है। ताजे जल में भी लगभग 68.7 फीसदी जल बर्फ के रूप में है। महासागरों के जल में [[लवण]] की मात्रा भू-पृष्ठीय जल तथा भूमिगत जल की अपेक्षा अधिक होती है। जल की लवणता से तात्पर्य लवण की मात्रा से है जो जल में घुली होती है।  
==समुद्र का जल==
==समुद्र का जल==
समुद्री जल में औसत लवणता लगभग 34.5 प्रति हज़ार होती है अर्थात 1 किग्रा जल में 34.5 ग्राम लवण उपस्थित होता है। महासागर घुली हुई वातावरणीय [[गैस|गैसों]] के भी बहुत बड़े भंडार होते हैं। यह गैसें समुद्री जीवों के जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समुद्री जल का विश्व के मौसम पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। महासागर विशाल [[ऊष्मा]] भंडार के रूप में कार्य करते हैं। महासागरीय [[तापमान]] वितरण में परिवर्तन से जलवायु पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। समुद्री जल की औसतन लवणता 35 ग्राम प्रति घन मीटर होती है। उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में लवणता औसत से अधिक होती है। विभिन्न प्रकार के जीवों की उत्पत्ति के लिए महासागरों के खारे पानी में आदर्श दशाएं रहीं हैं ऐसा माना जाता है कि जीवों की उत्पत्ति सबसे पहले सागरों में हुई।
समुद्री जल में औसत लवणता लगभग 34.5 प्रति हज़ार होती है अर्थात् 1 कि.ग्रा. जल में 34.5 ग्राम लवण उपस्थित होता है। महासागर घुली हुई वातावरणीय [[गैस|गैसों]] के भी बहुत बड़े भंडार होते हैं। यह गैसें समुद्री जीवों के जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। समुद्री जल का विश्व के [[मौसम]] पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। महासागर विशाल [[ऊष्मा]] भंडार के रूप में कार्य करते हैं। महासागरीय [[तापमान]] वितरण में परिवर्तन से जलवायु पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। समुद्री जल की औसतन लवणता 35 ग्राम प्रति घन मीटर होती है। उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में लवणता औसत से अधिक होती है। विभिन्न प्रकार के जीवों की उत्पत्ति के लिए महासागरों के खारे पानी में आदर्श दशाएं रही हैं ऐसा माना जाता है कि जीवों की उत्पत्ति सबसे पहले सागरों में हुई।
==वाष्पीकरण==
==वाष्पीकरण==
जल गर्म होकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। [[वाष्पीकरण]] की यह प्रक्रिया निरंतर नहीं चल सकती क्योंकि वायुमण्डल जलवाष्प की एक निश्चित मात्रा को ही अवशोषित कर सकता है। वायु की जलवाष्प ग्रहण करने की सीमा को संतृप्त अवस्था कहते है। गर्म वायु शीतल वायु की अपेक्षा अधिक जलवाष्प ग्रहण कर सकती है। [[वायुमण्डल]] में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा की माप आर्द्रता से की जाती है। वायु के इकाई आयतन में मौजूद जल वाष्प की मात्रा निरपेक्ष आर्द्रता कहलाती है, जो ग्राम घन मीटर में व्यक्त की जाती है। व्यवहार में आपेक्षित आर्द्रता की माप उपयोगी है। आपेक्षित आर्दता वह अनुपात है जो वायुमण्डल को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के बीच होता है। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर एक घन मीटर वायु अधिक से अधिक 17 ग्राप जलवाष्प ग्रहण कर सकती है। यदि जलवाष्प की मात्रा साढ़े आठ ग्राम है तो आपेक्षित आर्द्रता 50 प्रतिशत होगी। जलवाष्प की मात्रा बढ़ जाने अथवा तापमान घटने से आपेक्षित आर्द्रता बढ़ जाती है। जिस तापमान पर वायु संतृप्त होती है, उसे ओसांक कहते हैं।
जल गर्म होकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। [[वाष्पीकरण]] की यह प्रक्रिया निरंतर नहीं चल सकती क्योंकि वायुमण्डल जलवाष्प की एक निश्चित मात्रा को ही अवशोषित कर सकता है। वायु की जलवाष्प ग्रहण करने की सीमा को '''संतृप्त अवस्था''' कहते है। गर्म वायु शीतल वायु की अपेक्षा अधिक जलवाष्प ग्रहण कर सकती है। [[वायुमण्डल]] में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा की माप [[आर्द्रता]] से की जाती है। [[वायु]] के इकाई आयतन में मौजूद जल वाष्प की मात्रा '''निरपेक्ष आर्द्रता''' कहलाती है, जो ग्राम घन मीटर में व्यक्त की जाती है। व्यवहार में आपेक्षित आर्द्रता की माप उपयोगी है। आपेक्षित आर्द्रता वह अनुपात है जो वायुमण्डल को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के बीच होता है। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर एक घन मीटर वायु अधिक से अधिक 17 ग्राम जलवाष्प ग्रहण कर सकती है। यदि जलवाष्प की मात्रा साढ़े आठ ग्राम है तो आपेक्षित आर्द्रता 50 प्रतिशत होगी। जलवाष्प की मात्रा बढ़ जाने अथवा तापमान घटने से आपेक्षित आर्द्रता बढ़ जाती है। जिस तापमान पर वायु संतृप्त होती है, उसे [[ओसांक]] कहते हैं।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{पर्यावरण}}
{{पर्यावरण}}

12:22, 2 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

पृथ्वी के धरातल के लगभग 70 फीसदी भाग को घेरे हुई जल राशियों को जलमंडल कहा जाता है। पूरे सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर बहुत मात्रा में जल उपस्थित है। यह एक ऐसा तथ्य है जो पृथ्वी को अन्य ग्रहों से विशिष्ट बनाता है। पर्यावरणीय संघटको में जल का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जलमण्डल से तात्पर्य जल की उस परत से है जो पृथ्वी की सतह पर महासागरों, झीलों, नदियों तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। पृथ्वी की सतह के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग में जल का विस्तार है, इसलिए पृथ्वी को जलीय ग्रह भी कहते हैं।

अनुमान के अनुसार

एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 1360 मिलियन क्यूबिक कि.मी. जल है। इसका 97 प्रतिशत अर्थात् 1320 क्यूबिक कि.मी. जल अकेले महासागरों में है। लगभग 30 मिलियन क्यूबिक कि.मी. अंटार्कटिका एवं ग्रीनलैंड में है। लगभग 9 मिलियन क्यूबिक कि.मी. अर्थात् सम्पूर्ण जल का एक प्रतिशत भाग भूमिगत जल के रूप में है। शेष जल नदियों, झीलों तथा अन्तर्देशीय समुद्र में और जल वाष्प के रूप में है।

महासागर का जल

सागरीय जल का संगठन
लवण के प्रकार लवण की मात्रा
(ग्राम प्रति किलोग्राम)
प्रतिशत
सोडियम क्लोराइड 27.213 77.8
मैग्नीशियम क्लोराइड 38.7 10.9
मैग्नीशियम सल्फेट 1.658 4.7
कैल्शियम सल्फेट 1.260 3.6
पोटेशियम सल्फेट 0.863 2.5
कैल्शियम कार्बोनेट 0.123 0.3
मैग्नीशियम ब्रोमाइड 0.076 0.2

जल मंडल में मुख्य रूप से महासागर शामिल है लेकिन तकनीकी रूप से इसमें पृथ्वी की संपूर्ण जलराशि शामिल है जिसमें आंतरिक समुद्र, झील, नदियां और 2 कि.मी. की गहराई तक पाया जाने वाला भूमितल शामिल है। महासागरों की औसत गहराई 4 कि.मी. है। विश्व के महासागरों का कुल आयतन लगभग 1.4 बिलियन घन कि.मी. है। पृथ्वी पर उपस्थित कुल जल राशि का 97.5 फीसदी महासागरों के अंतर्गत आता है। जबकि बाकी 2.5 फीसदी ताजे जल के रूप में है। ताजे जल में भी लगभग 68.7 फीसदी जल बर्फ के रूप में है। महासागरों के जल में लवण की मात्रा भू-पृष्ठीय जल तथा भूमिगत जल की अपेक्षा अधिक होती है। जल की लवणता से तात्पर्य लवण की मात्रा से है जो जल में घुली होती है।

समुद्र का जल

समुद्री जल में औसत लवणता लगभग 34.5 प्रति हज़ार होती है अर्थात् 1 कि.ग्रा. जल में 34.5 ग्राम लवण उपस्थित होता है। महासागर घुली हुई वातावरणीय गैसों के भी बहुत बड़े भंडार होते हैं। यह गैसें समुद्री जीवों के जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। समुद्री जल का विश्व के मौसम पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। महासागर विशाल ऊष्मा भंडार के रूप में कार्य करते हैं। महासागरीय तापमान वितरण में परिवर्तन से जलवायु पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। समुद्री जल की औसतन लवणता 35 ग्राम प्रति घन मीटर होती है। उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में लवणता औसत से अधिक होती है। विभिन्न प्रकार के जीवों की उत्पत्ति के लिए महासागरों के खारे पानी में आदर्श दशाएं रही हैं ऐसा माना जाता है कि जीवों की उत्पत्ति सबसे पहले सागरों में हुई।

वाष्पीकरण

जल गर्म होकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। वाष्पीकरण की यह प्रक्रिया निरंतर नहीं चल सकती क्योंकि वायुमण्डल जलवाष्प की एक निश्चित मात्रा को ही अवशोषित कर सकता है। वायु की जलवाष्प ग्रहण करने की सीमा को संतृप्त अवस्था कहते है। गर्म वायु शीतल वायु की अपेक्षा अधिक जलवाष्प ग्रहण कर सकती है। वायुमण्डल में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा की माप आर्द्रता से की जाती है। वायु के इकाई आयतन में मौजूद जल वाष्प की मात्रा निरपेक्ष आर्द्रता कहलाती है, जो ग्राम घन मीटर में व्यक्त की जाती है। व्यवहार में आपेक्षित आर्द्रता की माप उपयोगी है। आपेक्षित आर्द्रता वह अनुपात है जो वायुमण्डल को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के बीच होता है। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर एक घन मीटर वायु अधिक से अधिक 17 ग्राम जलवाष्प ग्रहण कर सकती है। यदि जलवाष्प की मात्रा साढ़े आठ ग्राम है तो आपेक्षित आर्द्रता 50 प्रतिशत होगी। जलवाष्प की मात्रा बढ़ जाने अथवा तापमान घटने से आपेक्षित आर्द्रता बढ़ जाती है। जिस तापमान पर वायु संतृप्त होती है, उसे ओसांक कहते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख