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[[हिन्दी सिनेमा]] जगत के युगपुरुष [[महबूब ख़ान]] को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फिल्मों का तोहफा दिया। कम ही लोगों को पता होगा कि [[भारत]] की पहली बोलती (सावक) फिल्म '[[आलमआरा]]' के लिये महबूब ख़ान का अभिनेता के रूप में चयन किया गया था, लेकिन फिल्म निर्माण के समय आर्देशिर ईरानी ने महसूस किया कि फिल्म की सफलता के लिए नये कलाकार को मौका देने के बजाय किसी स्थापित अभिनेता को यह भूमिका देना सही रहेगा। बाद में उन्होंने महबूब ख़ान की जगह मास्टर विटल को इस फिल्म में काम करने का अवसर दिया था।
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==परिचय==
==परिचय==
महबूब ख़ान का जन्म [[9 सितम्बर]], सन [[1907]] को [[गुजरात]] के सूरत शहर के निकट एक छोटे-से [[गाँव]] में गरीब [[परिवार]] में हुआ था। शुरू से ही वह एक मेहनतकश इन्सान थे, इसीलिए उन्होंने अपने निर्माण संस्थान 'महबूब प्रोडक्शन' का चिन्ह 'हंसिया-हथौड़े' को दर्शाता हुआ रखा। जब वह [[1925]] के आसपास बम्बई नगरी (वर्तमान मुम्बई) में आये तो इंपीरियल कम्पनी ने उन्हें अपने यहाँ सहायक के रूप में रख लिया। कई वर्ष बाद उन्हें फ़िल्म 'बुलबुले बगदाद' में खलनायक का किरदार निभाना पड़ा।
महबूब ख़ान का जन्म [[9 सितम्बर]], सन [[1907]] को [[गुजरात]] के सूरत शहर के निकट एक छोटे-से [[गाँव]] में ग़रीब [[परिवार]] में हुआ था। शुरू से ही वह एक मेहनतकश इन्सान थे, इसीलिए उन्होंने अपने निर्माण संस्थान 'महबूब प्रोडक्शन' का चिन्ह 'हंसिया-हथौड़े' को दर्शाता हुआ रखा। जब वह [[1925]] के आसपास बम्बई नगरी (वर्तमान मुम्बई) में आये तो इंपीरियल कम्पनी ने उन्हें अपने यहाँ सहायक के रूप में रख लिया। कई वर्ष बाद उन्हें फ़िल्म 'बुलबुले बगदाद' में खलनायक का किरदार निभाना पड़ा।
====प्रेम प्रसंग====
====प्रेम प्रसंग====
[[महबूब ख़ान]] शूरवात में बहुत शराब पीते थे और उनके नाम के साथ कई प्रेम कहानियाँ भी जुड़ी। वह जिस अभिनेत्री को भी अपनी फ़िल्म में मौका देते, उससे प्यार कर बैठते। उनके निर्देशन में पहली फ़िल्म 'अलहिलाल' [[1935]] में बनी, जो [[सागर फ़िल्म कंपनी|सागर मूवीटोन]] वालों की फ़िल्म थी। उसमें अभिनेत्री अख्तरी मुरादाबादी के साथ काम करते-करते वह उनके प्यार में उलझ गये। आज़ादी से पूर्व फ़िल्म 'औरत' का निर्देशन किया, जिसकी नायिका सरदार अख्तर पर भी महबूब आशिक हो गये और उनका प्यार [[24 मई]], [[1942]] को शादी में बदल गया। उनकी कोई सन्तान नहीं हुयी।
[[महबूब ख़ान]] शूरवात में बहुत शराब पीते थे और उनके नाम के साथ कई प्रेम कहानियाँ भी जुड़ी। वह जिस अभिनेत्री को भी अपनी फ़िल्म में मौका देते, उससे प्यार कर बैठते। उनके निर्देशन में पहली फ़िल्म 'अलहिलाल' [[1935]] में बनी, जो [[सागर फ़िल्म कंपनी|सागर मूवीटोन]] वालों की फ़िल्म थी। उसमें अभिनेत्री अख्तरी मुरादाबादी के साथ काम करते-करते वह उनके प्यार में उलझ गये। आज़ादी से पूर्व फ़िल्म 'औरत' का निर्देशन किया, जिसकी नायिका सरदार अख्तर पर भी महबूब आशिक हो गये और उनका प्यार [[24 मई]], [[1942]] को शादी में बदल गया। उनकी कोई सन्तान नहीं हुयी।
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*[http://biographyhindi.com/mehboob-khan-biography-in-hindi/ अविस्मरणीय फिल्मकार महबूब खान की जीवनी]
*[http://biographyhindi.com/mehboob-khan-biography-in-hindi/ अविस्मरणीय फिल्मकार महबूब खान की जीवनी]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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महबूब ख़ान का परिचय
महबूब ख़ान
महबूब ख़ान
पूरा नाम महबूब रमजान ख़ान
प्रसिद्ध नाम महबूब ख़ान
जन्म 9 सितम्बर, 1907
जन्म भूमि बिलमिरिया, गुजरात
मृत्यु 28 मई, 1964
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'मदर इण्डिया', 'सन ऑफ़ इंडिया', 'अमर', 'तकदीर', 'रोटी', 'एक ही रास्त' आदि।
प्रसिद्धि फ़िल्म निर्माता-निर्देशक
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख महबूब स्टूडियो
अन्य जानकारी महबूब ख़ान ने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत 1927 में प्रदर्शित फ़िल्म 'अलीबाबा एंड फोर्टी थीफ्स' से अभिनेता के रूप में की। इस फ़िल्म में उन्होंने चालीस चोरों में से एक चोर की भूमिका निभाई थी।
महबूब ख़ान विषय सूची

हिन्दी सिनेमा जगत के युगपुरुष महबूब ख़ान को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फिल्मों का तोहफा दिया। कम ही लोगों को पता होगा कि भारत की पहली बोलती (सावक) फिल्म 'आलमआरा' के लिये महबूब ख़ान का अभिनेता के रूप में चयन किया गया था, लेकिन फिल्म निर्माण के समय आर्देशिर ईरानी ने महसूस किया कि फिल्म की सफलता के लिए नये कलाकार को मौका देने के बजाय किसी स्थापित अभिनेता को यह भूमिका देना सही रहेगा। बाद में उन्होंने महबूब ख़ान की जगह मास्टर विटल को इस फिल्म में काम करने का अवसर दिया था।

परिचय

महबूब ख़ान का जन्म 9 सितम्बर, सन 1907 को गुजरात के सूरत शहर के निकट एक छोटे-से गाँव में ग़रीब परिवार में हुआ था। शुरू से ही वह एक मेहनतकश इन्सान थे, इसीलिए उन्होंने अपने निर्माण संस्थान 'महबूब प्रोडक्शन' का चिन्ह 'हंसिया-हथौड़े' को दर्शाता हुआ रखा। जब वह 1925 के आसपास बम्बई नगरी (वर्तमान मुम्बई) में आये तो इंपीरियल कम्पनी ने उन्हें अपने यहाँ सहायक के रूप में रख लिया। कई वर्ष बाद उन्हें फ़िल्म 'बुलबुले बगदाद' में खलनायक का किरदार निभाना पड़ा।

प्रेम प्रसंग

महबूब ख़ान शूरवात में बहुत शराब पीते थे और उनके नाम के साथ कई प्रेम कहानियाँ भी जुड़ी। वह जिस अभिनेत्री को भी अपनी फ़िल्म में मौका देते, उससे प्यार कर बैठते। उनके निर्देशन में पहली फ़िल्म 'अलहिलाल' 1935 में बनी, जो सागर मूवीटोन वालों की फ़िल्म थी। उसमें अभिनेत्री अख्तरी मुरादाबादी के साथ काम करते-करते वह उनके प्यार में उलझ गये। आज़ादी से पूर्व फ़िल्म 'औरत' का निर्देशन किया, जिसकी नायिका सरदार अख्तर पर भी महबूब आशिक हो गये और उनका प्यार 24 मई, 1942 को शादी में बदल गया। उनकी कोई सन्तान नहीं हुयी।

कॅरियर की शुरुआत

महबूब ख़ान ने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत 1927 में प्रदर्शित फ़िल्म 'अलीबाबा एंड फोर्टी थीफ्स' से अभिनेता के रूप में की। इस फ़िल्म में उन्होंने चालीस चोरों में से एक चोर की भूमिका निभाई थी। बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत की पहली बोलती फ़िल्म आलम आरा के लिए महबूब ख़ान का अभिनेता के रूप में चयन किया गया था। लेकिन फ़िल्म निर्माण के समय आर्देशिर ईरानी ने महसूस किया कि फ़िल्म की सफलता के लिए नए कलाकार को मौक़ा देने के बजाय किसी स्थापित अभिनेता को यह भूमिका देना सही रहेगा। बाद में उन्होंने महबूब ख़ान की जगह मास्टर विट्ठल को इस फ़िल्म में काम करने का अवसर दिया। इसके बाद महबूब ख़ान सागर मूवीटोन से जुड़ गए और कई फ़िल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में काम किया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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