"जॉन अब्राहम (निर्देशक)": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''जॉन अब्राहम''' (अंग्रेज़ी: ''John Abraham'', जन्म- 11 अगस्त, 1937...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''जॉन अब्राहम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''John Abraham'', जन्म- [[11 अगस्त]], [[1937]]; मृत्यु- [[31 मई]], [[1987]]) लघु कथा लेखक, [[मलयाली भाषा|मलयाली]] भारतीय फ़िल्म निर्देशक और पटकथा लेखक थे। फ़िल्मों के अतिरिक्त वे अपनी जीवन शैली के लिए भी जाने जाते थे। जॉन अब्राहम ने तमिल फ़िल्म 'अग्राहरतिल कजुथै' से अपनी छाप छोड़ी।
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=जॉन अब्राहम|लेख का नाम=जॉन अब्राहम (बहुविकल्पी)}}
{{सूचना बक्सा कलाकार
|चित्र=John-Abraham-Director.jpg
|चित्र का नाम=जॉन अब्राहम
|पूरा नाम=जॉन अब्राहम
|प्रसिद्ध नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=[[11 अगस्त]], [[1937]]
|जन्म भूमि=
|मृत्यु=[[31 मई]], [[1987]]
|मृत्यु स्थान=कोझिकोड, [[केरल]]
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=मलयाली सिनेमा
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य फ़िल्में=
|विषय=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=मलयाली फ़िल्म निर्माता-निर्देशक
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=सन [[
1984]] में जॉन ने अपने सिने प्रेमी दोस्तों के साथ 'ओडिसा फ़िल्म समूह' की स्थापना की। इस समूह का मकसद सिनेमा निर्माण और वितरण को नए सिरे से परिभाषित करना था।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''जॉन अब्राहम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''John Abraham'', जन्म- [[11 अगस्त]], [[1937]]; मृत्यु- [[31 मई]], [[1987]]) लघु कथा लेखक, [[मलयाली भाषा|मलयाली]] भारतीय फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और पटकथा लेखक थे। फ़िल्मों के अतिरिक्त वे अपनी जीवन शैली के लिए भी जाने जाते थे। जॉन अब्राहम ने तमिल फ़िल्म 'अग्राहरतिल कजुथै' से अपनी छाप छोड़ी।
==परिचय==
==परिचय==
मलयाली फ़िल्म निर्देशक जॉन अब्राहम का जन्म 11 अगस्त सन 1937 को हुआ था। फ़िल्म इंस्टीट्यूट, [[पुणे]] से सिनेमा में प्रशिक्षित हुए जॉन अब्राहम अपने गुरु ऋत्विक घटक की तरह ही अपने जीवन काल में कल्ट बन गए। उनके कल्ट बनने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनकी अगुवाई में चले 'ओडिसा फ़िल्म आन्दोलन' का था, जिसने ‘अम्मा अरियन’ जैसी विश्वस्तरीय फ़िल्म का निर्माण प्रोडक्शन के एकदम नए मॉडल यानि लोगों से एक-एक रुपये हासिल करके उनका सिनेमा निर्मित करके किया।<ref>{{cite web |url= |title= |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }}</ref>
मलयाली फ़िल्म निर्देशक जॉन अब्राहम का जन्म 11 अगस्त सन 1937 को हुआ था। फ़िल्म इंस्टीट्यूट, [[पुणे]] से सिनेमा में प्रशिक्षित हुए जॉन अब्राहम अपने गुरु [[ऋत्विक घटक]] की तरह ही अपने जीवन काल में कल्ट बन गए। उनके कल्ट बनने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनकी अगुवाई में चले 'ओडिसा फ़िल्म आन्दोलन' का था, जिसने ‘अम्मा अरियन’ जैसी विश्वस्तरीय फ़िल्म का निर्माण प्रोडक्शन के एकदम नए मॉडल यानि लोगों से एक-एक रुपये हासिल करके उनका सिनेमा निर्मित करके किया।<ref>{{cite web |url= |title= |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }}</ref>
====ओडिसा फ़िल्म समूह की स्थापना====
====ओडिसा फ़िल्म समूह की स्थापना====
सन [[
1984]] में जॉन ने अपने सिने प्रेमी दोस्तों के साथ 'ओडिसा फ़िल्म समूह' की स्थापना की। इस समूह का मकसद सिनेमा निर्माण और वितरण को नए सिरे से परिभाषित करना था। इस समूह ने सार्थक सिनेमा को लोकप्रिय बनाने के लिए कस्बों से लेकर गाँवों तक विश्व सिनेमा की कालजयी फ़िल्मों की सघन स्क्रीनिंग करते हुए नए जिम्मेदार दर्शक बनाए। कई बार किसी फ़िल्म के मुश्किल हिस्से को समझाने के लिए ओडिसा समूह का एक्टिविस्ट फ़िल्म को रोककर उस अंश को स्थानीय [[मलयाली भाषा]] में समझाता।
सन [[
1984]] में जॉन ने अपने सिने प्रेमी दोस्तों के साथ 'ओडिसा फ़िल्म समूह' की स्थापना की। इस समूह का मकसद सिनेमा निर्माण और वितरण को नए सिरे से परिभाषित करना था। इस समूह ने सार्थक सिनेमा को लोकप्रिय बनाने के लिए कस्बों से लेकर गाँवों तक विश्व सिनेमा की कालजयी फ़िल्मों की सघन स्क्रीनिंग करते हुए नए जिम्मेदार दर्शक बनाए। कई बार किसी फ़िल्म के मुश्किल हिस्से को समझाने के लिए ओडिसा समूह का एक्टिविस्ट फ़िल्म को रोककर उस अंश को स्थानीय [[मलयाली भाषा]] में समझाता।
=='अम्मा अरियन' का निर्माण==
=='अम्मा अरियन' का निर्माण==
वर्ष [[1986]] में जॉन अब्राहम ने अपने समूह के लिए ‘अम्मा अरियन’ का निर्माण शुरू किया था। यह उनका ड्रीम प्रोजक्ट था। इस फ़िल्म के जरिये वे फ़िल्म सोसाइटी आन्दोलन को एक ऐसी पारदर्शी संस्था में बदलना चाहते थे, जो पूरी तरह से अपने दर्शकों के प्रति उत्तरदायी हो। इसी वजह से उन्होंने ‘अम्मा अरियन’ के निर्माण के खर्च के लिए [[चार्ली चैपलिन]] की मशहूर फ़िल्म ‘किड’ के प्रदर्शन कर चंदा इक्कठा करना शुरू किया। इसी वजह से इसकी लागत को कम करने का निर्णय लेते हुए सिर्फ वेणु और बीना पॉल जैसे प्रशिक्षित सिने कर्मियों को टीम में शामिल किया। वेणु ने फ़िल्म का छायांकन किया, जबकि बीना ने सम्पादन की जिम्मेदारी सभांली। बाकी सारा काम स्थानीय लोगों की मदद से किया गया। एक-एक रुपये के आम सहयोग से कुछ लाख रुपयों में बनी इस फ़िल्म में इसी कारण अभिनेता अभिनय करने के साथ-साथ शूटिंग की लाइटों को भी एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन में ले जाने का काम करते थे। [[केरल]] के नक्सलवादी राजन के मशहूर पुलिस एनकाउंटर को कथानक बनाती यह फ़िल्म राजन के साथियों द्वारा उसकी लाश को लेकर उसकी मां तक पहुचने की [[कहानी]] है। इस यात्रा में एक शहर से दूसरे शहर होते हुए जैसे-जैसे राजन के दोस्तों का कारवाँ बढ़ता है, वैसे-वैसे उन शहरों की कहानी भी सुनते जाते हैं। एक अद्भुत नाटकीय अंत में इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग को फ़िल्म के भीतर एक दूसरी स्क्रीनिंग का हिस्सा बनता हुआ देखते हैं। यह नाटकीय अंत जॉन अब्राहम ने शायद अपने फ़िल्म आन्दोलन प्रेम के कारण ही बुना था। आज ओडिसा आन्दोलन उस तीव्रता से मौजूद नहीं है, लेकिन तमाम नए सिने आंदोलनकारियों के लिए ‘अम्मा अरियन’, ओडिसा फ़िल्म प्रयोग और जॉन अब्राहम आज भी आदर्श बने हुए हैं।
वर्ष [[1986]] में जॉन अब्राहम ने अपने समूह के लिए ‘अम्मा अरियन’ का निर्माण शुरू किया था। यह उनका ड्रीम प्रोजक्ट था। इस फ़िल्म के जरिये वे फ़िल्म सोसाइटी आन्दोलन को एक ऐसी पारदर्शी संस्था में बदलना चाहते थे, जो पूरी तरह से अपने दर्शकों के प्रति उत्तरदायी हो। इसी वजह से उन्होंने ‘अम्मा अरियन’ के निर्माण के खर्च के लिए [[चार्ली चैपलिन]] की मशहूर फ़िल्म ‘किड’ के प्रदर्शन कर चंदा इक्कठा करना शुरू किया। इसी वजह से इसकी लागत को कम करने का निर्णय लेते हुए सिर्फ वेणु और बीना पॉल जैसे प्रशिक्षित सिने कर्मियों को टीम में शामिल किया। वेणु ने फ़िल्म का छायांकन किया, जबकि बीना ने सम्पादन की जिम्मेदारी सभांली। बाकी सारा काम स्थानीय लोगों की मदद से किया गया। एक-एक रुपये के आम सहयोग से कुछ लाख रुपयों में बनी इस फ़िल्म में इसी कारण अभिनेता अभिनय करने के साथ-साथ शूटिंग की लाइटों को भी एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन में ले जाने का काम करते थे।


[[केरल]] के नक्सलवादी राजन के मशहूर पुलिस एनकाउंटर को कथानक बनाती यह फ़िल्म राजन के साथियों द्वारा उसकी लाश को लेकर उसकी मां तक पहुचने की [[कहानी]] है। इस यात्रा में एक शहर से दूसरे शहर होते हुए जैसे-जैसे राजन के दोस्तों का कारवाँ बढ़ता है, वैसे-वैसे उन शहरों की कहानी भी सुनते जाते हैं। एक अद्भुत नाटकीय अंत में इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग को फ़िल्म के भीतर एक दूसरी स्क्रीनिंग का हिस्सा बनता हुआ देखते हैं। यह नाटकीय अंत जॉन अब्राहम ने शायद अपने फ़िल्म आन्दोलन प्रेम के कारण ही बुना था। आज ओडिसा आन्दोलन उस तीव्रता से मौजूद नहीं है, लेकिन तमाम नए सिने आंदोलनकारियों के लिए ‘अम्मा अरियन’, ओडिसा फ़िल्म प्रयोग और जॉन अब्राहम आज भी आदर्श बने हुए हैं।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 12: पंक्ति 48:
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.malayalamcinema.com/newsDetails.php?url=a-biopic-on-john-abraham&pageID=9 A Biopic on John Abraham]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{फ़िल्म निर्माता और निर्देशक}}
{{फ़िल्म निर्माता और निर्देशक}}
[[Category:फ़िल्म निर्देशक]][[Category:फ़िल्म निर्माता]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:कला कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:सिनेमा कोश]]
[[Category:फ़िल्म निर्देशक]][[Category:फ़िल्म निर्माता]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:कला कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:सिनेमा कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

05:18, 11 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

जॉन अब्राहम एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जॉन अब्राहम (बहुविकल्पी)
जॉन अब्राहम (निर्देशक)
जॉन अब्राहम
जॉन अब्राहम
पूरा नाम जॉन अब्राहम
जन्म 11 अगस्त, 1937
मृत्यु 31 मई, 1987
मृत्यु स्थान कोझिकोड, केरल
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र मलयाली सिनेमा
प्रसिद्धि मलयाली फ़िल्म निर्माता-निर्देशक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सन 
1984 में जॉन ने अपने सिने प्रेमी दोस्तों के साथ 'ओडिसा फ़िल्म समूह' की स्थापना की। इस समूह का मकसद सिनेमा निर्माण और वितरण को नए सिरे से परिभाषित करना था।

जॉन अब्राहम (अंग्रेज़ी: John Abraham, जन्म- 11 अगस्त, 1937; मृत्यु- 31 मई, 1987) लघु कथा लेखक, मलयाली भारतीय फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और पटकथा लेखक थे। फ़िल्मों के अतिरिक्त वे अपनी जीवन शैली के लिए भी जाने जाते थे। जॉन अब्राहम ने तमिल फ़िल्म 'अग्राहरतिल कजुथै' से अपनी छाप छोड़ी।

परिचय

मलयाली फ़िल्म निर्देशक जॉन अब्राहम का जन्म 11 अगस्त सन 1937 को हुआ था। फ़िल्म इंस्टीट्यूट, पुणे से सिनेमा में प्रशिक्षित हुए जॉन अब्राहम अपने गुरु ऋत्विक घटक की तरह ही अपने जीवन काल में कल्ट बन गए। उनके कल्ट बनने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनकी अगुवाई में चले 'ओडिसा फ़िल्म आन्दोलन' का था, जिसने ‘अम्मा अरियन’ जैसी विश्वस्तरीय फ़िल्म का निर्माण प्रोडक्शन के एकदम नए मॉडल यानि लोगों से एक-एक रुपये हासिल करके उनका सिनेमा निर्मित करके किया।[1]

ओडिसा फ़िल्म समूह की स्थापना

सन 
1984 में जॉन ने अपने सिने प्रेमी दोस्तों के साथ 'ओडिसा फ़िल्म समूह' की स्थापना की। इस समूह का मकसद सिनेमा निर्माण और वितरण को नए सिरे से परिभाषित करना था। इस समूह ने सार्थक सिनेमा को लोकप्रिय बनाने के लिए कस्बों से लेकर गाँवों तक विश्व सिनेमा की कालजयी फ़िल्मों की सघन स्क्रीनिंग करते हुए नए जिम्मेदार दर्शक बनाए। कई बार किसी फ़िल्म के मुश्किल हिस्से को समझाने के लिए ओडिसा समूह का एक्टिविस्ट फ़िल्म को रोककर उस अंश को स्थानीय मलयाली भाषा में समझाता।

'अम्मा अरियन' का निर्माण

वर्ष 1986 में जॉन अब्राहम ने अपने समूह के लिए ‘अम्मा अरियन’ का निर्माण शुरू किया था। यह उनका ड्रीम प्रोजक्ट था। इस फ़िल्म के जरिये वे फ़िल्म सोसाइटी आन्दोलन को एक ऐसी पारदर्शी संस्था में बदलना चाहते थे, जो पूरी तरह से अपने दर्शकों के प्रति उत्तरदायी हो। इसी वजह से उन्होंने ‘अम्मा अरियन’ के निर्माण के खर्च के लिए चार्ली चैपलिन की मशहूर फ़िल्म ‘किड’ के प्रदर्शन कर चंदा इक्कठा करना शुरू किया। इसी वजह से इसकी लागत को कम करने का निर्णय लेते हुए सिर्फ वेणु और बीना पॉल जैसे प्रशिक्षित सिने कर्मियों को टीम में शामिल किया। वेणु ने फ़िल्म का छायांकन किया, जबकि बीना ने सम्पादन की जिम्मेदारी सभांली। बाकी सारा काम स्थानीय लोगों की मदद से किया गया। एक-एक रुपये के आम सहयोग से कुछ लाख रुपयों में बनी इस फ़िल्म में इसी कारण अभिनेता अभिनय करने के साथ-साथ शूटिंग की लाइटों को भी एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन में ले जाने का काम करते थे।


केरल के नक्सलवादी राजन के मशहूर पुलिस एनकाउंटर को कथानक बनाती यह फ़िल्म राजन के साथियों द्वारा उसकी लाश को लेकर उसकी मां तक पहुचने की कहानी है। इस यात्रा में एक शहर से दूसरे शहर होते हुए जैसे-जैसे राजन के दोस्तों का कारवाँ बढ़ता है, वैसे-वैसे उन शहरों की कहानी भी सुनते जाते हैं। एक अद्भुत नाटकीय अंत में इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग को फ़िल्म के भीतर एक दूसरी स्क्रीनिंग का हिस्सा बनता हुआ देखते हैं। यह नाटकीय अंत जॉन अब्राहम ने शायद अपने फ़िल्म आन्दोलन प्रेम के कारण ही बुना था। आज ओडिसा आन्दोलन उस तीव्रता से मौजूद नहीं है, लेकिन तमाम नए सिने आंदोलनकारियों के लिए ‘अम्मा अरियन’, ओडिसा फ़िल्म प्रयोग और जॉन अब्राहम आज भी आदर्श बने हुए हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Error on call to Template:cite web: Parameters url and title must be specified। ।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख