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2. प्रधान रस। नाटकों में [[शृंगार रस|शृंगार]] और [[वीर रस|वीर]], ये दो [[रस]] अंगी (प्रधान) कहलाते हैं और शेष रस अंग (अप्रधान)।
2. प्रधान रस। नाटकों में [[शृंगार रस|शृंगार]] और [[वीर रस|वीर]], ये दो [[रस]] अंगी<ref>प्रधान</ref> कहलाते हैं और शेष रस अंग।<ref>अप्रधान</ref>
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चौदह विद्याएँ।
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06:56, 20 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

अंगी - विशेषण (संस्कृत अङ्गी)[1]

1. शरीरी, देहधारी, शरीर वाला।
2. अवयवी, उपकार्य, अंशी, समष्टि।
3. प्रधान, मुख्य।

अंगी - विशेषण स्त्रीलिंग
अंग वाली (केवल समास में प्रयुक्त, जैसे- तन्वंगी, कोमलांगी आदि)।

अंगी - संज्ञा पुल्लिंग
1. नाटक का प्रधान नायक, जैसे- 'सत्यहरिश्चंद्र' में हरिश्चंद्र
2. प्रधान रस। नाटकों में शृंगार और वीर, ये दो रस अंगी[2] कहलाते हैं और शेष रस अंग।[3]

अंगी - संज्ञा स्त्रीलिंग (डिंगल)
चौदह विद्याएँ।

अंगी - संज्ञा स्त्रीलिंग
'अंगिया'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 09 |
  2. प्रधान
  3. अप्रधान

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