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'''शारदा सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sharda Sinha'', जन्म- [[1 अक्टूबर]], [[1952]]) भारतीय राज्य [[बिहार]] की लोकप्रिय गायिका हैं। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिन्दी गीत भी गाये हैं। कई हिन्दी फ़िल्मों के लिए भी शारदा सिन्हा ने गीत गाए हैं। लोकगीतों के लिए उन्हें 'बिहार कोकिला', '[[पद्म श्री]]' ([[1995]]) तथा [[2018]] में '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था।
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==परिचय==
==परिचय==
भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को बिहार के मिथ‌िला क्षेत्र में सुपौल जिले में हुआ था। पढ़ाई के समय से ही उनका गायन की ओर रुझान बढ़ गया। पढ़ाई के दौरान ही वह अपने क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में मिथ‌िला लोकगीत गाने लगी थीं। कुछ ही समय में उनकी प्रसिद्ध‌ि अपने क्षेत्र से बाहर जाने लगी और आसपड़ोस के शहरों, फिर जिलों और फिर दूसरे राज्यों से उन्हें गायकी के लिए बुलावे आने लगे। इसी दौरान उनका [[बिहार]] की मशहूर [[छठ पूजा]] के लिए गाया गया गाना 'पहिले पहिल हम कइनी छठ' काफी मशहूर हो गया। इसके बाद उन्हें [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद]] स्थित प्रयाग संगीत समिति की कई कार्यक्रमों में गाने का अवसर मिला। धीरे-धीरे वह दुर्गा पूजा, छठ, बिहार उत्सव आदि अवसरों की सबसे बड़ी गायिका बन गईं। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड से बुलावे आने लगे।<ref>{{cite web |url=https://www.lokmatnews.in/bollywood/sharda-sinha-birthday-special-listen-these-5-song-you-may-fall-in-love-with-her-voice/ |title=शारदा सिन्हा, जन्म दिन विशेष|accessmonthday= 29 जनवरी|accessyear= 2020|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=lokmatnews.in |language=हिंदी+}}</ref>
भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को बिहार के मिथ‌िला क्षेत्र में सुपौल जिले में हुआ था। पढ़ाई के समय से ही उनका गायन की ओर रुझान बढ़ गया। पढ़ाई के दौरान ही वह अपने क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में मिथ‌िला लोकगीत गाने लगी थीं। कुछ ही समय में उनकी प्रसिद्ध‌ि अपने क्षेत्र से बाहर जाने लगी और आसपड़ोस के शहरों, फिर जिलों और फिर दूसरे राज्यों से उन्हें गायकी के लिए बुलावे आने लगे। इसी दौरान उनका [[बिहार]] की मशहूर [[छठ पूजा]] के लिए गाया गया गाना 'पहिले पहिल हम कइनी छठ' काफी मशहूर हो गया। इसके बाद उन्हें [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद]] स्थित प्रयाग संगीत समिति की कई कार्यक्रमों में गाने का अवसर मिला। धीरे-धीरे वह दुर्गा पूजा, छठ, बिहार उत्सव आदि अवसरों की सबसे बड़ी गायिका बन गईं। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड से बुलावे आने लगे।<ref>{{cite web |url=https://www.lokmatnews.in/bollywood/sharda-sinha-birthday-special-listen-these-5-song-you-may-fall-in-love-with-her-voice/ |title=शारदा सिन्हा, जन्म दिन विशेष|accessmonthday= 29 जनवरी|accessyear= 2020|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=lokmatnews.in |language=हिंदी+}}</ref>

09:50, 29 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा
पूरा नाम शारदा सिन्हा
जन्म 1 अक्टूबर, 1952
जन्म भूमि ज़िला सुपौल, मिथ‌िला क्षेत्र, बिहार
पति/पत्नी डॉ. ब्रजकिशोर सिन्हा
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र गायिका
पुरस्कार-उपाधि 'बिहार कोकिला', 'पद्म श्री' (1995) 'पद्म भूषण'(2018)
प्रसिद्धि लोकगीत गायिका
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी शारदा सिन्हा ने भोजपुरीमैथिली के अलावा वज्जिका, अंगिका, मगही व हिंदी आदि भाषाओं व बोलियों में भी गीत गाए हैं।

शारदा सिन्हा (अंग्रेज़ी: Sharda Sinha, जन्म- 1 अक्टूबर, 1952) भारतीय राज्य बिहार की लोकप्रिय गायिका हैं। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिन्दी गीत भी गाये हैं। कई हिन्दी फ़िल्मों के लिए भी शारदा सिन्हा ने गीत गाए हैं। लोकगीतों के लिए उन्हें 'बिहार कोकिला', 'पद्म श्री' (1991) तथा 2018 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था।

परिचय

भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को बिहार के मिथ‌िला क्षेत्र में सुपौल जिले में हुआ था। पढ़ाई के समय से ही उनका गायन की ओर रुझान बढ़ गया। पढ़ाई के दौरान ही वह अपने क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में मिथ‌िला लोकगीत गाने लगी थीं। कुछ ही समय में उनकी प्रसिद्ध‌ि अपने क्षेत्र से बाहर जाने लगी और आसपड़ोस के शहरों, फिर जिलों और फिर दूसरे राज्यों से उन्हें गायकी के लिए बुलावे आने लगे। इसी दौरान उनका बिहार की मशहूर छठ पूजा के लिए गाया गया गाना 'पहिले पहिल हम कइनी छठ' काफी मशहूर हो गया। इसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित प्रयाग संगीत समिति की कई कार्यक्रमों में गाने का अवसर मिला। धीरे-धीरे वह दुर्गा पूजा, छठ, बिहार उत्सव आदि अवसरों की सबसे बड़ी गायिका बन गईं। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड से बुलावे आने लगे।[1]

प्रसिद्धि

शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड के लिए कई गाने भी गाए। लेकिन उन्होंने कभी अपनी धूरी नहीं छोड़ी। वह लगातार लोकगायन में सक्रिय रहीं। इसी वजह से उन्हें 2018 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने 'पद्म भूषण' से नवाजा था। जबकि साल 1995 में ही उन्हें 'पद्मश्री' बना ‌दिया गया था। प्रसिद्ध‌ि बढ़ने के साथ ही शारदा सिन्हा ने भोजपुरी व मैथिली के अलावा वज्जिका, अंगिका, मगही आदि भाषाओं व बोलियों में भी गीत गाए।

हिन्दी फ़िल्मों में योगदान

  1. साल 1996 में आई सलमान ख़ान, भाग्यश्री अभिनीत 'मैंने प्यार किया' में शारदा सिन्हा ने 'काहे तोहसे सजना' गाना गया था। सलमान की फिल्में कई बार गानों के लिए जानी जाती हैं। इनमें उनके शुरुआती दिनों का यह गाना काफी मशहूर है। इसके संगीतकार राम लक्ष्मण हैं।
  2. 'हम आपके हैं कौन' का विदाई गीत बाबूल मोहनीश बहल और रेणुका शहाणे पर फिल्माया गया था। इसे लिखा देव कोहली ने था और इसका संगीत राम लक्ष्मण ने तैयार किया था।
  3. शारदा सिन्हा की पहचान छठ गीत से पहले एक मिथ‌िला क्षेत्र की क्षेत्रीय गाय‌िका के रूप में होती थी। लेकिन शारदा सिन्हा ने 'पह‌िले पहिल कइनी छठ' गाया और उनको ना केवल पूरे उत्तर भारत बल्कि मॉरिशस व भोजपुरी के अन्य क्षेत्रों से भी गाने के लिए बुलावे आने लगे और वह एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने जानी वाली गायिका हो गईं।
  4. शारदा सिन्हा की आवाज का जादू 'नदिया के पार' के गाने 'जब तक पूरे ना हो फेरे सात' में भी चला था। यह एक ऐसा गाना बन गया, जिसके बिना उत्तर भारत की शादियां पूरी नहीं होती। आज भी शादियों में यह गाना बजता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शारदा सिन्हा, जन्म दिन विशेष (हिंदी+) lokmatnews.in। अभिगमन तिथि: 29 जनवरी, 2020।

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