"संन्यासी विद्रोह": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(गोविन्द राम ने संन्यासी विद्रोह पृष्ठ सन्न्यासी विद्रोह पर स्थानांतरित किया)
 
छो (Text replacement - "कार्यवाही" to "कार्रवाई")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
#अनुप्रेषित [[सन्न्यासी विद्रोह]]
'''संन्यासी विद्रोह''' [[भारत]] की आज़ादी के लिए [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में [[अंग्रेज़]] हुकूमत के विरुद्ध किया गया एक प्रबल विद्रोह था। सन्न्यासियों में अधिकांश [[शंकराचार्य]] के अनुयायी थे। इतिहास प्रसिद्ध इस विद्रोह की स्पष्ट जानकारी [[बंकिमचन्द्र चटर्जी]] के उपन्यास '[[आनन्दमठ]]' में मिलती है।
*बंगाल में अंग्रेज़ी हुकूमत के क़ायम होने पर ज़मींदार, कृषक, शिल्पकार सभी की स्थिति बदतर हो गई थी।
*इसके अलावा बंगाल का 1770 ई. का भयानक अकाल तथा अंग्रेज़ी सरकार द्वारा इसके प्रति बरती गई उदासीनता इस विद्रोह का प्रमुख कारण थी।
*भारतीय जनता के [[तीर्थ]] स्थानों पर जाने पर लगे प्रतिबन्ध ने शान्त सन्न्यासियों को भी विद्रोह पर उतारू कर दिया।
*इन सभी तत्वों (जमींदार, कृषक, शिल्पी व सन्न्यासियों) ने मिलकर अंग्रेज़ी सरकार का विरोध किया।
*इन सन्न्यासियों में अधिकांश [[शंकराचार्य]] के अनुयायी थे।
*संन्यासी विद्रोह की स्पष्ट जानकारी [[बंकिमचन्द्र चटर्जी]] के उपन्यास '[[आनन्दमठ]]' में मिलती है।
*इस विद्रोह को कुचलने के लिए [[वारेन हेस्टिंग्स]] को कठोर कार्रवाई करनी पड़ी थी।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{साँचा:आन्दोलन विप्लव सैनिक विद्रोह}}
[[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__

09:05, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

संन्यासी विद्रोह भारत की आज़ादी के लिए बंगाल में अंग्रेज़ हुकूमत के विरुद्ध किया गया एक प्रबल विद्रोह था। सन्न्यासियों में अधिकांश शंकराचार्य के अनुयायी थे। इतिहास प्रसिद्ध इस विद्रोह की स्पष्ट जानकारी बंकिमचन्द्र चटर्जी के उपन्यास 'आनन्दमठ' में मिलती है।

  • बंगाल में अंग्रेज़ी हुकूमत के क़ायम होने पर ज़मींदार, कृषक, शिल्पकार सभी की स्थिति बदतर हो गई थी।
  • इसके अलावा बंगाल का 1770 ई. का भयानक अकाल तथा अंग्रेज़ी सरकार द्वारा इसके प्रति बरती गई उदासीनता इस विद्रोह का प्रमुख कारण थी।
  • भारतीय जनता के तीर्थ स्थानों पर जाने पर लगे प्रतिबन्ध ने शान्त सन्न्यासियों को भी विद्रोह पर उतारू कर दिया।
  • इन सभी तत्वों (जमींदार, कृषक, शिल्पी व सन्न्यासियों) ने मिलकर अंग्रेज़ी सरकार का विरोध किया।
  • इन सन्न्यासियों में अधिकांश शंकराचार्य के अनुयायी थे।
  • संन्यासी विद्रोह की स्पष्ट जानकारी बंकिमचन्द्र चटर्जी के उपन्यास 'आनन्दमठ' में मिलती है।
  • इस विद्रोह को कुचलने के लिए वारेन हेस्टिंग्स को कठोर कार्रवाई करनी पड़ी थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख