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'''सदानंद बकरे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sadanand Bakre'', जन्म- [[10 नवम्बर]], [[1920]]; मृत्यु- [[18 दिसम्बर]], [[2007]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध शिल्पकार, चित्रकार व मूर्तिकार थे। साल [[2004]] में बॉम्बे कला सोसाइटी द्वारा उन्हें 'श्रम पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।<br />
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*[[बड़ौदा]] में पैदा हुए सदानंद बकरे बंबई प्रगतिशील कलाकार समूह के संस्थापकों में से एक थे।
*[[बड़ौदा]] में पैदा हुए सदानंद बकरे बंबई प्रगतिशील कलाकार समूह के संस्थापकों में से एक थे।
*सन [[1951]] में सदानंद बकरे [[ब्रिटेन]] गए, जहाँ वह जल्द ही मूर्तिकला त्याग कर चित्रकारी पर ध्यान केंद्रित करने लगे थे।
*सन [[1951]] में सदानंद बकरे [[ब्रिटेन]] गए, जहाँ वह जल्द ही मूर्तिकला त्याग कर चित्रकारी पर ध्यान केंद्रित करने लगे थे।
*उनकी प्रदर्शनी वर्ष [[1951]] में राष्ट्रमंडल संस्थान, गैलरी वन ([[1959]]) और निकोलस ट्रेद्वेल गैलरी ([[1969]]-[[1975]]) में संपन हुई थी।
*सदानंद बकरे साल [[1975]] में भारत लौट आये थे, जिसके बाद वह कई वर्षों तक वैरागी बने रहे।
*सदानंद बकरे साल [[1975]] में भारत लौट आये थे, जिसके बाद वह कई वर्षों तक वैरागी बने रहे।
*मूर्तिकला के साथ सदानंद बकरे ने अपने प्रयोग केवल इसलिए शुरू किए क्योंकि वे उस समय ([[1939]]) पेंटिंग पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक सामग्री नहीं खरीद सकते थे।
*वह [[1948]] में प्रगतिशील कलाकारों के समूह के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। अगले वर्ष, बॉम्बे आर्ट सोसाइटी की प्रदर्शनी में उनकी प्रविष्टि को सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकला के लिए रजत पदक से सम्मानित किया गया।<ref>{{cite web |url=https://artiana.com/Artist/Sadanand-Bakre |title=Sadanand Bakre|accessmonthday=13 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=artiana.com |language=हिंदी}}</ref>
*सन [[1959]] में गैलरी वन ([[लंदन]]), [[1962]] में सेंटौर गैलरी ([[मुंबई]]) और [[1961]] में कॉमनवेल्थ इंस्टीट्यूट में उनके वन-मैन शो हो चुके थे। उन्होंने [[यूरोप]] और [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में कई दीर्घाओं में भी प्रदर्शन किया।
*एक चित्रकार और मूर्तिकार दोनों के रूप में वह मुरुद-हरनाई में [[महाराष्ट्र]] के कोंकण तट पर रहते थे। हालाँकि उन्होंने कई साल पहले काम करना छोड़ दिया था (कभी-कभार [[मिट्टी]] की मूर्ति या लकड़ी की नक्काशी को छोड़कर जो वह अपने लिए करते थे)।
*सदानंद बकरे ने अपने फलों और सब्जियों के बगीचों की देखभाल के लिए, ईंट बिछाने के लिए और अपने विचित्र घर के रखरखाव पर काम करने के लिए अपने उपकरण और उपकरण खुद बनाए थे।
*8 दिसम्बर, 2007 को सदानंद बकरे की मृत्यु रत्नागिरि में हृदयाघात के कारण हुई।
*8 दिसम्बर, 2007 को सदानंद बकरे की मृत्यु रत्नागिरि में हृदयाघात के कारण हुई।



11:31, 13 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

सदानंद बकरे

सदानंद बकरे (अंग्रेज़ी: Sadanand Bakre, जन्म- 10 नवम्बर, 1920; मृत्यु- 18 दिसम्बर, 2007) भारत के प्रसिद्ध शिल्पकार, चित्रकार व मूर्तिकार थे। साल 2004 में बॉम्बे कला सोसाइटी द्वारा उन्हें 'श्रम पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

  • बड़ौदा में पैदा हुए सदानंद बकरे बंबई प्रगतिशील कलाकार समूह के संस्थापकों में से एक थे।
  • सन 1951 में सदानंद बकरे ब्रिटेन गए, जहाँ वह जल्द ही मूर्तिकला त्याग कर चित्रकारी पर ध्यान केंद्रित करने लगे थे।
  • सदानंद बकरे साल 1975 में भारत लौट आये थे, जिसके बाद वह कई वर्षों तक वैरागी बने रहे।
  • मूर्तिकला के साथ सदानंद बकरे ने अपने प्रयोग केवल इसलिए शुरू किए क्योंकि वे उस समय (1939) पेंटिंग पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक सामग्री नहीं खरीद सकते थे।
  • वह 1948 में प्रगतिशील कलाकारों के समूह के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। अगले वर्ष, बॉम्बे आर्ट सोसाइटी की प्रदर्शनी में उनकी प्रविष्टि को सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकला के लिए रजत पदक से सम्मानित किया गया।[1]
  • सन 1959 में गैलरी वन (लंदन), 1962 में सेंटौर गैलरी (मुंबई) और 1961 में कॉमनवेल्थ इंस्टीट्यूट में उनके वन-मैन शो हो चुके थे। उन्होंने यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में कई दीर्घाओं में भी प्रदर्शन किया।
  • एक चित्रकार और मूर्तिकार दोनों के रूप में वह मुरुद-हरनाई में महाराष्ट्र के कोंकण तट पर रहते थे। हालाँकि उन्होंने कई साल पहले काम करना छोड़ दिया था (कभी-कभार मिट्टी की मूर्ति या लकड़ी की नक्काशी को छोड़कर जो वह अपने लिए करते थे)।
  • सदानंद बकरे ने अपने फलों और सब्जियों के बगीचों की देखभाल के लिए, ईंट बिछाने के लिए और अपने विचित्र घर के रखरखाव पर काम करने के लिए अपने उपकरण और उपकरण खुद बनाए थे।
  • 8 दिसम्बर, 2007 को सदानंद बकरे की मृत्यु रत्नागिरि में हृदयाघात के कारण हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Sadanand Bakre (हिंदी) artiana.com। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2021।

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