"भारतीय सड़क नेटवर्क": अवतरणों में अंतर
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'''भारतीय सड़क नेटवर्क''' 42 लाख किलोमीटर से अधिक की लम्बाई के साथ दूसरा प्रमुख नेटवर्क है। इसमें 70, 934 किलोमीटर लम्बे [[राष्ट्रीय राजमार्ग]], 1,54,522 किलोमीटर लम्बे राजकीय राजमार्ग 25, 77, 396 किलोमीटर लम्बाई वाली प्रमुख ज़िला सड़कें और अन्य ज़िला सड़कें तथा 14, 33, 577 किलोमीटर लम्बी ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग देश की धमनियों के नेटवर्क की तरह काम करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास की जिम्मेदारी [[भारत सरकार]] की है। | '''भारतीय सड़क नेटवर्क''' 42 लाख किलोमीटर से अधिक की लम्बाई के साथ दूसरा प्रमुख नेटवर्क है। इसमें 70, 934 किलोमीटर लम्बे [[राष्ट्रीय राजमार्ग]], 1,54,522 किलोमीटर लम्बे राजकीय राजमार्ग 25, 77, 396 किलोमीटर लम्बाई वाली प्रमुख ज़िला सड़कें और अन्य ज़िला सड़कें तथा 14, 33, 577 किलोमीटर लम्बी ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग देश की धमनियों के नेटवर्क की तरह काम करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास की जिम्मेदारी [[भारत सरकार]] की है। | ||
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==चरण-4== | ==चरण-4== | ||
इसमें बीच में पट्टी सहित 2-लेन वाले 20,000 किलोमीटर मार्ग के निर्माण की योजना बनाई गई। इसके लिए सरकार ने एनएचडीपी चरण-4ए के तहत [[जुलाई]] [[2008]] में 5000 किलोमीटर एकल/मध्यवर्ती/2-लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को बीओटी (टोल) और बीओटी (वार्षिक वृत्ति) आधार पर 6,590 करोड़ रुपये की लागत से बीच में पट्टी सहित 2-लेन वाले मानकों में सुधारने/पक्का करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। अब तक, कुल 719 किलोमीटर लम्बाई वाली 5 परियोजनाओं का कार्य [[भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण]] (एनएचएआई) द्वारा और 108 किलोमीटर लम्बाई वाली एक परियोजनाओं का कार्य मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) द्वारा प्रदान किया जा चुका है। एनएचडीपी-4ए के तहत 5000 किलोमीटर की उपरोक्त निर्धारित सूची के अलावा अब तक विभिन्न राज्य सरकारों, एनएचएआई और आतंरिक आकलन की सिफारिशों के आधार पर | इसमें बीच में पट्टी सहित 2-लेन वाले 20,000 किलोमीटर मार्ग के निर्माण की योजना बनाई गई। इसके लिए सरकार ने एनएचडीपी चरण-4ए के तहत [[जुलाई]] [[2008]] में 5000 किलोमीटर एकल/मध्यवर्ती/2-लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को बीओटी (टोल) और बीओटी (वार्षिक वृत्ति) आधार पर 6,590 करोड़ रुपये की लागत से बीच में पट्टी सहित 2-लेन वाले मानकों में सुधारने/पक्का करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। अब तक, कुल 719 किलोमीटर लम्बाई वाली 5 परियोजनाओं का कार्य [[भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण]] (एनएचएआई) द्वारा और 108 किलोमीटर लम्बाई वाली एक परियोजनाओं का कार्य मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) द्वारा प्रदान किया जा चुका है। एनएचडीपी-4ए के तहत 5000 किलोमीटर की उपरोक्त निर्धारित सूची के अलावा अब तक विभिन्न राज्य सरकारों, एनएचएआई और आतंरिक आकलन की सिफारिशों के आधार पर क़रीब 15,000 किलोमीटर की मंत्रालय द्वारा पहचान की गई है। वित्तीय योजना के अनुसार चरण-4 का दिसम्बर 2015 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। | ||
==चरण-5== | ==चरण-5== | ||
इसमें स्वर्णिम चतुर्भुज के 5,700 किलोमीटर और अन्य (800 किलोमीटर) विस्तार सहित 6,500 किलोमीटर मार्ग की डिजाइन बिल्ड फाइनेंस एंड ऑपरेशन (डीबीएफओ) के आधार पर छह-लेनिंग शामिल है। चरण-5 का दिसम्बर 2012 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। एनएचडीपी-चरण पांच के तहत 619 किलोमीटर को छह लेन बनाने का कार्य [[जून]] [[2011]] तक पूरा हो चुका था। | इसमें स्वर्णिम चतुर्भुज के 5,700 किलोमीटर और अन्य (800 किलोमीटर) विस्तार सहित 6,500 किलोमीटर मार्ग की डिजाइन बिल्ड फाइनेंस एंड ऑपरेशन (डीबीएफओ) के आधार पर छह-लेनिंग शामिल है। चरण-5 का दिसम्बर 2012 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। एनएचडीपी-चरण पांच के तहत 619 किलोमीटर को छह लेन बनाने का कार्य [[जून]] [[2011]] तक पूरा हो चुका था। | ||
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==बंदरगाह सम्पर्क== | ==बंदरगाह सम्पर्क== | ||
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना एनएचडीपी में अन्य बातों के अलावा देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कों की दशा सुधारने के लिए बंदरगाह सम्पर्क परियोजनाएं भी शामिल की गई हैं। 393 किलोमीटर के लिए ([[राष्ट्रीय राजमार्ग 8|एनएच-8]] पर कांडला के लिए 56 किलोमीटर सम्पर्क अधूरा है। इसलिए कुल लम्बाई 449 किलोमीटर है) प्रमुख बंदरगाहों तक सम्पर्क कार्यक्रम को दिसम्बर [[2000]] में मंजूरी दी गई। विभिन्न चरणों वाले कार्यक्रमों के तहत सरकार ने बंदरगाह सम्पर्क के लिए देश में 10 प्रमुख परियोजनाओं पर 1896 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इन चरणबद्ध कार्यक्रमों में कोचीन में इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) तक 557 करोड़ रुपये की लागत वाली चार-लेन सम्पर्क की एक परियोजना भी शामिल है। इसी तरह, चेन्नई बंदरगाह से मदुरावोयाल तक एलवेटिड सड़क के निर्माण के वास्ते निर्माण-संचालन-हस्तांतरण यानी बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी)के आधार पर 1655 करोड़ रुपये की लागत वाली एक अन्य परियोजना मंजूर की गई है। देश के ज्यादातर प्रमुख बंदरगाहों को चार लेन वाली सम्पर्क परियोजनाओं के साथ जोड़े जाने की सम्भावना है। इन परियोजनाओं में, जेएनपीटी चरण-1 और 2, [[ओडिशा]] में पारादीप बंदरगाह और [[आंध्र प्रदेश]] की [[विशाखापट्टनम]] परियोजना पूरी हो चुकी है। अन्य बंदरगाहों पर परियोजनाएं पूरी होने की विभिन्न अवस्थाओं में हैं। कोलकाता बंदरगाह सम्पर्क परियोजना प्रस्तावित सड़क के नक्शे के रक्षा विभाग की ज़मीन से होकर गुजरने और उस सड़क के उपलब्ध न हो सकने के कारण बंद करनी पड़ी है। मुम्बई बंदरगाह सम्पर्क परियोजना भी प्रस्तावित सड़क के नक्शे के सॉल्ट पेन क्षेत्र से होकर गुजरने के कारण बंद करनी पड़ी है। इसलिए 12 प्रमुख बंदरगाहों में से दो ([[कोलकाता]] और [[मुम्बई]]) को छोड़ दिया गया है, एक (कांडला) पर कार्य पहले से प्रगति पर था और उसे अब पूरा किया जा चुका है। शेष परियोजनाओं पर काम या तो पूरा हो चुका है या विभिन्न अवस्थाओं में है। | राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना एनएचडीपी में अन्य बातों के अलावा देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कों की दशा सुधारने के लिए बंदरगाह सम्पर्क परियोजनाएं भी शामिल की गई हैं। 393 किलोमीटर के लिए ([[राष्ट्रीय राजमार्ग 8|एनएच-8]] पर कांडला के लिए 56 किलोमीटर सम्पर्क अधूरा है। इसलिए कुल लम्बाई 449 किलोमीटर है) प्रमुख बंदरगाहों तक सम्पर्क कार्यक्रम को दिसम्बर [[2000]] में मंजूरी दी गई। विभिन्न चरणों वाले कार्यक्रमों के तहत सरकार ने बंदरगाह सम्पर्क के लिए देश में 10 प्रमुख परियोजनाओं पर 1896 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इन चरणबद्ध कार्यक्रमों में कोचीन में इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) तक 557 करोड़ रुपये की लागत वाली चार-लेन सम्पर्क की एक परियोजना भी शामिल है। इसी तरह, चेन्नई बंदरगाह से मदुरावोयाल तक एलवेटिड सड़क के निर्माण के वास्ते निर्माण-संचालन-हस्तांतरण यानी बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी)के आधार पर 1655 करोड़ रुपये की लागत वाली एक अन्य परियोजना मंजूर की गई है। देश के ज्यादातर प्रमुख बंदरगाहों को चार लेन वाली सम्पर्क परियोजनाओं के साथ जोड़े जाने की सम्भावना है। इन परियोजनाओं में, जेएनपीटी चरण-1 और 2, [[ओडिशा]] में [[पारादीप बंदरगाह]] और [[आंध्र प्रदेश]] की [[विशाखापट्टनम]] परियोजना पूरी हो चुकी है। अन्य बंदरगाहों पर परियोजनाएं पूरी होने की विभिन्न अवस्थाओं में हैं। कोलकाता बंदरगाह सम्पर्क परियोजना प्रस्तावित सड़क के नक्शे के रक्षा विभाग की ज़मीन से होकर गुजरने और उस सड़क के उपलब्ध न हो सकने के कारण बंद करनी पड़ी है। मुम्बई बंदरगाह सम्पर्क परियोजना भी प्रस्तावित सड़क के नक्शे के सॉल्ट पेन क्षेत्र से होकर गुजरने के कारण बंद करनी पड़ी है। इसलिए 12 प्रमुख बंदरगाहों में से दो ([[कोलकाता]] और [[मुम्बई]]) को छोड़ दिया गया है, एक (कांडला) पर कार्य पहले से प्रगति पर था और उसे अब पूरा किया जा चुका है। शेष परियोजनाओं पर काम या तो पूरा हो चुका है या विभिन्न अवस्थाओं में है। | ||
==नई पहल== | ==नई पहल== | ||
[[सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय|मंत्रालय]] ने राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क को न्यूनतम 2 लेन मानक में बदलने के त्वरित प्रयासों के लिए ग्यारहवीं योजना के अपेक्षित लक्ष्यों के मद्देनजर गलियारा अवधारणा के आधार पर 6,700 किलोमीटर एकल लेन/मध्यवर्ती लेन राष्ट्रीय राजमार्गों को न्यूनतम 2 लेन मानकों में विकसित करने की पहल की है। इस कार्यक्रम को 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 3770 किलोमीटर की लम्बाई (33 विस्तार) के लिए विश्व बैंक से 2.96 अरब डॉलर के अनुदान मिलने का प्रस्ताव है और बाकी की लम्बाई पर कार्य बजटीय संसाधनों के माध्यम से किए जाने का प्रस्ताव है। सभी 33 विस्तारों पर डीपीआर की तैयारी पूरी होने को है। बजटीय प्रावधानों के माध्यम से 150 करोड़ रुपये से कम की लागत से मैदानी इलाके में 25 किलोमीटर से ज्यादा या पर्वतीय/घूमावदार इलाकों में 15 किलोमीटर से ज्यादा विस्तार किए जाने पर विचार किया जा रहा है। | [[सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय|मंत्रालय]] ने राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क को न्यूनतम 2 लेन मानक में बदलने के त्वरित प्रयासों के लिए ग्यारहवीं योजना के अपेक्षित लक्ष्यों के मद्देनजर गलियारा अवधारणा के आधार पर 6,700 किलोमीटर एकल लेन/मध्यवर्ती लेन राष्ट्रीय राजमार्गों को न्यूनतम 2 लेन मानकों में विकसित करने की पहल की है। इस कार्यक्रम को 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 3770 किलोमीटर की लम्बाई (33 विस्तार) के लिए विश्व बैंक से 2.96 अरब डॉलर के अनुदान मिलने का प्रस्ताव है और बाकी की लम्बाई पर कार्य बजटीय संसाधनों के माध्यम से किए जाने का प्रस्ताव है। सभी 33 विस्तारों पर डीपीआर की तैयारी पूरी होने को है। बजटीय प्रावधानों के माध्यम से 150 करोड़ रुपये से कम की लागत से मैदानी इलाके में 25 किलोमीटर से ज्यादा या पर्वतीय/घूमावदार इलाकों में 15 किलोमीटर से ज्यादा विस्तार किए जाने पर विचार किया जा रहा है। | ||
==उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क विकास== | ==उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क विकास== | ||
सरकार ने उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों और राजकीय राजमार्र्गों के विकास के लिए 7, 300 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली योजना को [[फरवरी]] [[2009]] में मंजूरी दी थी। इसमें आठ राज्यों-[[आंध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[छत्तीसगढ़]], [[झारखंड]], [[मध्य प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]], [[ओडिशा]] और [[उत्तर प्रदेश]] के 34 | सरकार ने उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों और राजकीय राजमार्र्गों के विकास के लिए 7, 300 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली योजना को [[फरवरी]] [[2009]] में मंजूरी दी थी। इसमें आठ राज्यों-[[आंध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[छत्तीसगढ़]], [[झारखंड]], [[मध्य प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]], [[ओडिशा]] और [[उत्तर प्रदेश]] के 34 ज़िलों में शामिल हैं। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय राजमार्गों (1202 किलोमीटर) और राजकीय राजमार्गों (4363 किलोमीटर) के निर्धारित विस्तारों के 2-लेन मानक में विकास की चरणबद्ध योजना तैयार की गई है। इस कार्यक्रम के लिए 2011-12 की वार्षिक योजना के दौरान जीबीएस से 1200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए इस कार्यक्रम के वास्ते 5, 376 करोड़ रुपये के कुल अतिरिक्त कोष की ज़रूरत है। 4,967 किलोमीटर लम्बाई के लिए 186 कार्यों के वास्ते 6, 629 करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें से, 4, 827 करोड़ रुपये की लागत वाले 3, 889 किलोमीटर लम्बाई के लिए 146 कार्य प्रदान किए जा चुके है। | ||
[[पूर्वोत्तर भारत|पूर्वोत्तर क्षेत्र]] के लिए विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम (एसएआरडीपी-एनई): सरकार द्वारा मंजूर एसएआरडीपी-एनई के चरण ‘ए’ में | [[पूर्वोत्तर भारत|पूर्वोत्तर क्षेत्र]] के लिए विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम (एसएआरडीपी-एनई): सरकार द्वारा मंजूर एसएआरडीपी-एनई के चरण ‘ए’ में क़रीब 4,099 किलोमीटर लम्बी सड़कों (2, 041 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 2,058 किलोमीटर राजकीय राजमार्गों) में सुधार की परिकल्पना की गई है। एसएआरडीपी-एनई चरण-ए के मार्च 2015 तक पूरा होने की सम्भावना है। एसएआरडीपी-एनई के चरण-बी में 3, 723 किलोमीटर (1,285 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 2,438 किलोमीटर राजकीय राजमार्गों) को सिर्फ डीपीआर तैयारियों के लिए मंजूरी दी गई है और अब तक क़रीब 450 किलोमीटर के लिए डीपीआर पूरा किया जा चुका है। अब तक, एसएआरडीपी-एनई चरण-ए के तहत मई 2011 तक क़रीब 742 लम्बाई पूरी की जा चुकी है। वर्ष 2011-12 के दौरान 270 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। | ||
सरकार ने सड़क और राजमार्गों के लिए [[अरुणाचल प्रदेश]] पैकेज को भी मंजूरी दी है जिसमें 2, 319 किलोमीटर लम्बी सड़क (1,472 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 847 किलोमीटर राजकीय/जनरल स्टाफ/सामरिक सड़कों) का विकास शामिल है। 776 किलोमीटर के लिए परियोजनाओं का विकास बीओटी (वार्षिक वृत्ति) और बाकी 1, 543 किलोमीटर के लिए ईपीसी आधार पर किया जाएगा। पूर्ण अरुणाचल प्रदेश पैकेज के [[जून]] 2016 तक पूरा होने लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं की स्थिति निम्नलिखित है: | सरकार ने सड़क और राजमार्गों के लिए [[अरुणाचल प्रदेश]] पैकेज को भी मंजूरी दी है जिसमें 2, 319 किलोमीटर लम्बी सड़क (1,472 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 847 किलोमीटर राजकीय/जनरल स्टाफ/सामरिक सड़कों) का विकास शामिल है। 776 किलोमीटर के लिए परियोजनाओं का विकास बीओटी (वार्षिक वृत्ति) और बाकी 1, 543 किलोमीटर के लिए ईपीसी आधार पर किया जाएगा। पूर्ण अरुणाचल प्रदेश पैकेज के [[जून]] 2016 तक पूरा होने लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं की स्थिति निम्नलिखित है: | ||
* बीओटी (वार्षिक वृत्ति) परियोजनाएं- 58 किलोमीटर लम्बाई में 1,553 करोड़ रुपये की लागत वाली दो परियोजनाओं का कार्य प्रदान किया गया है, बाकी के 718 किलोमीटर की 2 परियोजनाओं के वास्ते निविदा का कार्य तीसरी बार पूरा हो चुका है और इनका कार्य जल्द ही प्रदान किया जा सकता है। | * बीओटी (वार्षिक वृत्ति) परियोजनाएं- 58 किलोमीटर लम्बाई में 1,553 करोड़ रुपये की लागत वाली दो परियोजनाओं का कार्य प्रदान किया गया है, बाकी के 718 किलोमीटर की 2 परियोजनाओं के वास्ते निविदा का कार्य तीसरी बार पूरा हो चुका है और इनका कार्य जल्द ही प्रदान किया जा सकता है। | ||
* ईपीसी परियोजना-359 किलोमीटर को मंजूरी दी गई है, 25 किलोमीटर निविदा की प्रक्रिया में है, 118 किलोमीटर मंजूरी की प्रक्रिया में है, शेष 900 किलोमीटर के लिए डीपीआरएस तैयारियां जारी हैं, [[मार्च]] [[2012]] तक सभी सिविल कार्य प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। | * ईपीसी परियोजना-359 किलोमीटर को मंजूरी दी गई है, 25 किलोमीटर निविदा की प्रक्रिया में है, 118 किलोमीटर मंजूरी की प्रक्रिया में है, शेष 900 किलोमीटर के लिए डीपीआरएस तैयारियां जारी हैं, [[मार्च]] [[2012]] तक सभी सिविल कार्य प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। | ||
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*[http://pib.nic.in/newsite/hindifeature.aspx?relid=10640 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय] | *[http://pib.nic.in/newsite/hindifeature.aspx?relid=10640 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय] | ||
*[http://www.nhai.org/hindi/NHroadnetwork.asp भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण] | |||
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09:58, 14 मार्च 2022 के समय का अवतरण
भारतीय सड़क नेटवर्क 42 लाख किलोमीटर से अधिक की लम्बाई के साथ दूसरा प्रमुख नेटवर्क है। इसमें 70, 934 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग, 1,54,522 किलोमीटर लम्बे राजकीय राजमार्ग 25, 77, 396 किलोमीटर लम्बाई वाली प्रमुख ज़िला सड़कें और अन्य ज़िला सड़कें तथा 14, 33, 577 किलोमीटर लम्बी ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग देश की धमनियों के नेटवर्क की तरह काम करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास की जिम्मेदारी भारत सरकार की है।
वर्ग | लम्बाई (किमी) |
---|---|
एक्सप्रेस वे | 1000 |
राष्ट्रीय राजमार्ग | 70,934 |
राजकीय राजमार्ग | 1,54,522 |
प्रमुख ज़िला सड़कें | 25,77,396 |
ग्रामीण और अन्य सड़कें | 14,33,577 |
कुल | 42,37,429 किमी |
भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) के चरण-1 से लेकर चरण-6 तक विविध चरणों के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्गों की दशा सुधारने और उन्हें पक्का करने के लिए कई तरह के प्रमुख प्रयास किए हैं। वे निम्नलिखित हैं:
चरण-1
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) चरण-1 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने दिसम्बर 2000 में मंजूरी दी थी। इसमें मुख्य रूप से स्वर्णिम चतुर्भुज (5,846 किलोमीटर) और एनएस-ईडब्ल्यू गलियारा (981किलोमीटर), बंदरगाह सम्पर्क (356 किलोमीटर) और अन्य (315 किलोमीटर) शामिल था। स्वर्णिम चतुर्भुज के तहत सिर्फ 19 किलोमीटर सड़क बनाने का काम ही बाकी रह गया है।
चरण-2
दिसम्बर 2003 में मंजूर इस चरण में ज्यादातर एनएस-ईडब्ल्यू गलियारा (6,161किलोमीटर) और 486 किलोमीटर की लम्बाई वाले अन्य राष्ट्रीय राजमार्ग मिलाकर कुल 6,647 किलोमीटर लम्बाई वाला मार्ग शामिल था। चरण-2 की कुल लम्बाई 6,647 किलोमीटर है। चरण-2 के दिसम्बर 2011 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। एनएस-ईडब्ल्यू गलियारे का 5733 किलोमीटर (80.2फीसदी) हिस्सा जून 2011 तक बनकर तैयार हो चुका था।
चरण-3
इस चरण में राष्ट्रीय राजमार्गों के 12190 किलोमीटर हिस्से की दशा में सुधार और उन्हें 4 लेन का बनाया जाना शामिल है। एनएचडीपी के चरण-3 के तहत 2351 किलोमीटर का निर्माण जून 2011 तक पूरा हो चुका है। एनएचडीपी चरण-3 के दिसम्बर 2013 तक पूरा होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
चरण-4
इसमें बीच में पट्टी सहित 2-लेन वाले 20,000 किलोमीटर मार्ग के निर्माण की योजना बनाई गई। इसके लिए सरकार ने एनएचडीपी चरण-4ए के तहत जुलाई 2008 में 5000 किलोमीटर एकल/मध्यवर्ती/2-लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को बीओटी (टोल) और बीओटी (वार्षिक वृत्ति) आधार पर 6,590 करोड़ रुपये की लागत से बीच में पट्टी सहित 2-लेन वाले मानकों में सुधारने/पक्का करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। अब तक, कुल 719 किलोमीटर लम्बाई वाली 5 परियोजनाओं का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा और 108 किलोमीटर लम्बाई वाली एक परियोजनाओं का कार्य मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) द्वारा प्रदान किया जा चुका है। एनएचडीपी-4ए के तहत 5000 किलोमीटर की उपरोक्त निर्धारित सूची के अलावा अब तक विभिन्न राज्य सरकारों, एनएचएआई और आतंरिक आकलन की सिफारिशों के आधार पर क़रीब 15,000 किलोमीटर की मंत्रालय द्वारा पहचान की गई है। वित्तीय योजना के अनुसार चरण-4 का दिसम्बर 2015 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।
चरण-5
इसमें स्वर्णिम चतुर्भुज के 5,700 किलोमीटर और अन्य (800 किलोमीटर) विस्तार सहित 6,500 किलोमीटर मार्ग की डिजाइन बिल्ड फाइनेंस एंड ऑपरेशन (डीबीएफओ) के आधार पर छह-लेनिंग शामिल है। चरण-5 का दिसम्बर 2012 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। एनएचडीपी-चरण पांच के तहत 619 किलोमीटर को छह लेन बनाने का कार्य जून 2011 तक पूरा हो चुका था।
चरण-6
एनएचडीपी-चरण-6 के तहत सरकार ने डीबीएफओ के आधार पर 16,680 करोड़ रुपये की लागत से 1000 किलोमीटर एक्सप्रेसवे के निर्माण को मंजूरी दी है। एनएचडीपी-चरण-6 के दिसम्बर 2015 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।
चरण-7
इसमें 700 किलोमीटर रिंग रोड/बाईपास और फ्लाईओवर और चुनिंदा विस्तार का निर्माण शामिल है। एनएचडीपी-चरण-7 के दिसम्बर 2014 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।
बंदरगाह सम्पर्क
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना एनएचडीपी में अन्य बातों के अलावा देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कों की दशा सुधारने के लिए बंदरगाह सम्पर्क परियोजनाएं भी शामिल की गई हैं। 393 किलोमीटर के लिए (एनएच-8 पर कांडला के लिए 56 किलोमीटर सम्पर्क अधूरा है। इसलिए कुल लम्बाई 449 किलोमीटर है) प्रमुख बंदरगाहों तक सम्पर्क कार्यक्रम को दिसम्बर 2000 में मंजूरी दी गई। विभिन्न चरणों वाले कार्यक्रमों के तहत सरकार ने बंदरगाह सम्पर्क के लिए देश में 10 प्रमुख परियोजनाओं पर 1896 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इन चरणबद्ध कार्यक्रमों में कोचीन में इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) तक 557 करोड़ रुपये की लागत वाली चार-लेन सम्पर्क की एक परियोजना भी शामिल है। इसी तरह, चेन्नई बंदरगाह से मदुरावोयाल तक एलवेटिड सड़क के निर्माण के वास्ते निर्माण-संचालन-हस्तांतरण यानी बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी)के आधार पर 1655 करोड़ रुपये की लागत वाली एक अन्य परियोजना मंजूर की गई है। देश के ज्यादातर प्रमुख बंदरगाहों को चार लेन वाली सम्पर्क परियोजनाओं के साथ जोड़े जाने की सम्भावना है। इन परियोजनाओं में, जेएनपीटी चरण-1 और 2, ओडिशा में पारादीप बंदरगाह और आंध्र प्रदेश की विशाखापट्टनम परियोजना पूरी हो चुकी है। अन्य बंदरगाहों पर परियोजनाएं पूरी होने की विभिन्न अवस्थाओं में हैं। कोलकाता बंदरगाह सम्पर्क परियोजना प्रस्तावित सड़क के नक्शे के रक्षा विभाग की ज़मीन से होकर गुजरने और उस सड़क के उपलब्ध न हो सकने के कारण बंद करनी पड़ी है। मुम्बई बंदरगाह सम्पर्क परियोजना भी प्रस्तावित सड़क के नक्शे के सॉल्ट पेन क्षेत्र से होकर गुजरने के कारण बंद करनी पड़ी है। इसलिए 12 प्रमुख बंदरगाहों में से दो (कोलकाता और मुम्बई) को छोड़ दिया गया है, एक (कांडला) पर कार्य पहले से प्रगति पर था और उसे अब पूरा किया जा चुका है। शेष परियोजनाओं पर काम या तो पूरा हो चुका है या विभिन्न अवस्थाओं में है।
नई पहल
मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क को न्यूनतम 2 लेन मानक में बदलने के त्वरित प्रयासों के लिए ग्यारहवीं योजना के अपेक्षित लक्ष्यों के मद्देनजर गलियारा अवधारणा के आधार पर 6,700 किलोमीटर एकल लेन/मध्यवर्ती लेन राष्ट्रीय राजमार्गों को न्यूनतम 2 लेन मानकों में विकसित करने की पहल की है। इस कार्यक्रम को 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 3770 किलोमीटर की लम्बाई (33 विस्तार) के लिए विश्व बैंक से 2.96 अरब डॉलर के अनुदान मिलने का प्रस्ताव है और बाकी की लम्बाई पर कार्य बजटीय संसाधनों के माध्यम से किए जाने का प्रस्ताव है। सभी 33 विस्तारों पर डीपीआर की तैयारी पूरी होने को है। बजटीय प्रावधानों के माध्यम से 150 करोड़ रुपये से कम की लागत से मैदानी इलाके में 25 किलोमीटर से ज्यादा या पर्वतीय/घूमावदार इलाकों में 15 किलोमीटर से ज्यादा विस्तार किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क विकास
सरकार ने उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों और राजकीय राजमार्र्गों के विकास के लिए 7, 300 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली योजना को फरवरी 2009 में मंजूरी दी थी। इसमें आठ राज्यों-आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के 34 ज़िलों में शामिल हैं। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय राजमार्गों (1202 किलोमीटर) और राजकीय राजमार्गों (4363 किलोमीटर) के निर्धारित विस्तारों के 2-लेन मानक में विकास की चरणबद्ध योजना तैयार की गई है। इस कार्यक्रम के लिए 2011-12 की वार्षिक योजना के दौरान जीबीएस से 1200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए इस कार्यक्रम के वास्ते 5, 376 करोड़ रुपये के कुल अतिरिक्त कोष की ज़रूरत है। 4,967 किलोमीटर लम्बाई के लिए 186 कार्यों के वास्ते 6, 629 करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें से, 4, 827 करोड़ रुपये की लागत वाले 3, 889 किलोमीटर लम्बाई के लिए 146 कार्य प्रदान किए जा चुके है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम (एसएआरडीपी-एनई): सरकार द्वारा मंजूर एसएआरडीपी-एनई के चरण ‘ए’ में क़रीब 4,099 किलोमीटर लम्बी सड़कों (2, 041 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 2,058 किलोमीटर राजकीय राजमार्गों) में सुधार की परिकल्पना की गई है। एसएआरडीपी-एनई चरण-ए के मार्च 2015 तक पूरा होने की सम्भावना है। एसएआरडीपी-एनई के चरण-बी में 3, 723 किलोमीटर (1,285 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 2,438 किलोमीटर राजकीय राजमार्गों) को सिर्फ डीपीआर तैयारियों के लिए मंजूरी दी गई है और अब तक क़रीब 450 किलोमीटर के लिए डीपीआर पूरा किया जा चुका है। अब तक, एसएआरडीपी-एनई चरण-ए के तहत मई 2011 तक क़रीब 742 लम्बाई पूरी की जा चुकी है। वर्ष 2011-12 के दौरान 270 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार ने सड़क और राजमार्गों के लिए अरुणाचल प्रदेश पैकेज को भी मंजूरी दी है जिसमें 2, 319 किलोमीटर लम्बी सड़क (1,472 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों और 847 किलोमीटर राजकीय/जनरल स्टाफ/सामरिक सड़कों) का विकास शामिल है। 776 किलोमीटर के लिए परियोजनाओं का विकास बीओटी (वार्षिक वृत्ति) और बाकी 1, 543 किलोमीटर के लिए ईपीसी आधार पर किया जाएगा। पूर्ण अरुणाचल प्रदेश पैकेज के जून 2016 तक पूरा होने लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं की स्थिति निम्नलिखित है:
- बीओटी (वार्षिक वृत्ति) परियोजनाएं- 58 किलोमीटर लम्बाई में 1,553 करोड़ रुपये की लागत वाली दो परियोजनाओं का कार्य प्रदान किया गया है, बाकी के 718 किलोमीटर की 2 परियोजनाओं के वास्ते निविदा का कार्य तीसरी बार पूरा हो चुका है और इनका कार्य जल्द ही प्रदान किया जा सकता है।
- ईपीसी परियोजना-359 किलोमीटर को मंजूरी दी गई है, 25 किलोमीटर निविदा की प्रक्रिया में है, 118 किलोमीटर मंजूरी की प्रक्रिया में है, शेष 900 किलोमीटर के लिए डीपीआरएस तैयारियां जारी हैं, मार्च 2012 तक सभी सिविल कार्य प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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