"हैदराबाद पर्यटन": अवतरणों में अंतर
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[[आंध्र प्रदेश]] की राजधानी [[हैदराबाद]] अपनी सुंदर इमारतों के चलते एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह एक सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर भी है। हैदराबाद और सिंकदराबाद दो जुड़वाँ शहरों के नाम से जाने जाते हैं। इन दोनों शहरों को विभाजित करने वाली झील ‘हुसैन सागर झील’ है, जो अपनी नायाब ख़ूबसूरती के कारण पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में अपनी एक नई पहचान बना चुका है। | [[आंध्र प्रदेश]] की राजधानी [[हैदराबाद]] अपनी सुंदर इमारतों के चलते एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह एक सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर भी है। हैदराबाद और सिंकदराबाद दो जुड़वाँ शहरों के नाम से जाने जाते हैं। इन दोनों शहरों को विभाजित करने वाली झील ‘हुसैन सागर झील’ है, जो अपनी नायाब ख़ूबसूरती के कारण पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में अपनी एक नई पहचान बना चुका है। | ||
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हैदराबाद में स्थित गोलकोंडा दुर्ग एक पहाड़ी पर फैला हुआ है। यह दुर्ग काकातीय राजाओं और क़ुतुबशाही राजाओं के आधिपत्य में रहा था। गोलकोंडा दुर्ग के द्वार के पार खड़े होने पर जब ताली बजाई जाती है तो छठे तल पर उस ताली की अनुगूँज सुनाई देती है। क़ुतुबशाही राजाओं की कई पीढ़ियों ने अपने-अपने समय में इस दुर्ग के निर्माण का कार्य करवाया। यहाँ इसे देखने के लिए काफ़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। भारत की जागरण यात्रा पर निकले [[राजस्थान]] के चार कवियों ने इस दुर्ग को देखने में काफ़ी समय लगाया और यह कवि बड़े करीने से बनाए गए इस दुर्ग पर चर्चा करते रहे। गोलकोंडा दुर्ग हैदराबाद का बाहरी हिस्सा है जहाँ पर बेशकीमती हीरे-जवाहरात का बाज़ार है। बेशकीमती प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा कल्लूर खान की ही देन था। | हैदराबाद में स्थित गोलकोंडा दुर्ग एक पहाड़ी पर फैला हुआ है। यह दुर्ग काकातीय राजाओं और क़ुतुबशाही राजाओं के आधिपत्य में रहा था। गोलकोंडा दुर्ग के द्वार के पार खड़े होने पर जब ताली बजाई जाती है तो छठे तल पर उस ताली की अनुगूँज सुनाई देती है। क़ुतुबशाही राजाओं की कई पीढ़ियों ने अपने-अपने समय में इस दुर्ग के निर्माण का कार्य करवाया। यहाँ इसे देखने के लिए काफ़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। भारत की जागरण यात्रा पर निकले [[राजस्थान]] के चार कवियों ने इस दुर्ग को देखने में काफ़ी समय लगाया और यह कवि बड़े करीने से बनाए गए इस दुर्ग पर चर्चा करते रहे। गोलकोंडा दुर्ग हैदराबाद का बाहरी हिस्सा है जहाँ पर बेशकीमती हीरे-जवाहरात का बाज़ार है। बेशकीमती प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा कल्लूर खान की ही देन था। | ||
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चारमीनार इमारत को सुल्तान [[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]] ने 1592 में बनवाया था। चारमीनार हैदराबाद की पहचान और शान है। शहर की स्थापना करते समय यहाँ प्लेग फैल गया था। इसके दूर होने के बाद ईश्वर के प्रति कृतज्ञता | चारमीनार इमारत को सुल्तान [[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]] ने 1592 में बनवाया था। चारमीनार हैदराबाद की पहचान और शान है। शहर की स्थापना करते समय यहाँ प्लेग फैल गया था। इसके दूर होने के बाद ईश्वर के प्रति कृतज्ञता ज़ाहिर करने के एवज में नवाब ने शहर के बीचोंबीच इसका निर्माण करवाया था। शहर के बीचोंबीच यह इमारत अपने चार द्वारों को खोलती हुई खड़ी है। इसमें चार भव्य [[मीनार|मीनारें]] हैं और ये इतनी ऊँची हैं कि इन पर चढ़कर पूरे हैदराबाद शहर को देखा जा सकता है। इसकी छत पर एक छोटी सी मस्जिद है। वास्तुकला की यह इमारत अप्रतिम उदाहरण है। कहा जाता है कि मुग़ल शासन के दौरान बिजली गिरने से दक्षिण पश्चिम की मीनार ध्वस्त हो गई थी। इसे दुबारा बनवाने में 60,000 रुपये खर्च हुए थे। चारमीनार अपने शासक के कला प्रेम को भी दर्शाती है। चारमीनारों पर खड़ी इस इमारत की ऊंचाई 56.7 मीटर और प्रत्येक स्तम्भ की ऊँचाई 48.7 मीटर है। लाड बाज़ार, जहाँ से पर्ल जूलरी ख़ासतौर पर ख़रीदी जा सकती है, चारमीनार के पास है। इस इमारत के आस-पास मोतियों का व्यवसाय करने वालों ने अपनी दुकानें खोल रखी हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि यह चारमीनार सुल्तान और उनकी बेगम के दुआ में उठे हुए हाथों को दर्शाती है। | ||
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*वीडियो- शुल्क सहित | *वीडियो- शुल्क सहित | ||
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*मक्का मस्जिद, चारमीनार के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। | *मक्का मस्जिद, चारमीनार के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। | ||
*ऐसा माना जाता है कि यह हैदराबाद और सिकंदराबाद की सबसे बड़ी मस्जिद है। | *ऐसा माना जाता है कि यह हैदराबाद और सिकंदराबाद की सबसे बड़ी मस्जिद है। | ||
==== | ====हुसैन सागर झील==== | ||
[[चित्र:Buddha-Statue-Hyderabad.jpg|thumb| | [[चित्र:Buddha-Statue-Hyderabad.jpg|thumb|left||[[बुद्ध]] प्रतिमा, हुसैन सागर झील, [[हैदराबाद]]]] | ||
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हुसैन सागर झील बेगमपेट के समीप है। हैदराबाद में हुसैन सागर झील का वही स्थान है जो मुंबई में मरीन ड्राइव का है। इस झील का निर्माण इब्राहिम कुली क़ुतुबशाह के दामाद हुसैन शाह ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम पड़ा है। यह एक मानव निर्मित झील है। हुसैन सागर झील पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ | हुसैन सागर झील बेगमपेट के समीप है। हैदराबाद में हुसैन सागर झील का वही स्थान है जो मुंबई में मरीन ड्राइव का है। इस झील का निर्माण इब्राहिम कुली क़ुतुबशाह के दामाद हुसैन शाह ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम पड़ा है। यह एक मानव निर्मित झील है। हुसैन सागर झील पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ ख़ासतौर पर नाव की [[सैर]] की जा सकती है। यह झील जुड़वा शहरों के नाम से मशहूर हैदराबाद और सिकंदराबाद को अलग करती है। हुसैन सागर झील का सबसे बड़ा आकर्षण झील के बीच स्थित भगवान बुद्ध की 17.5 मीटर लंबी पत्थर की प्रतिमा है। यह मूर्ति एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है। भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा 1990 में पानी में डूब गई थी और दो साल तक झील में ही पड़ी रही। 350 टन की इस मूर्ति को दो साल बाद पुन: झील के मध्य में स्थापित किया जा सका। | ||
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[[चित्र:Charminar-Hyderabad-3.jpg|चारमीनार, [[हैदराबाद]]<br /> Charminar, Hyderabad|thumb]] | [[चित्र:Charminar-Hyderabad-3.jpg|चारमीनार, [[हैदराबाद]]<br /> Charminar, Hyderabad|thumb]] | ||
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*सालारजंग संग्रहालय [[एशिया]] का सबसे बड़ा और पुराना संग्रहालय है। यह [[भारत]] के [[हैदराबाद]] नगर में स्थित है। | *सालारजंग संग्रहालय [[एशिया]] का सबसे बड़ा और पुराना संग्रहालय है। यह [[भारत]] के [[हैदराबाद]] नगर में स्थित है। | ||
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*रामोजी फ़िल्म सिटी हैदराबाद की एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। | *रामोजी फ़िल्म सिटी हैदराबाद की एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। | ||
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*पर्यटकों की यात्रा हैदराबाद आने के बाद तब तक पूरी नहीं होती है, जब तक वह रामोजी फ़िल्म सिटी घूम न लें। | *पर्यटकों की यात्रा हैदराबाद आने के बाद तब तक पूरी नहीं होती है, जब तक वह रामोजी फ़िल्म सिटी घूम न लें। | ||
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*स्नो वर्ल्ड का उद्घाटन | *स्नो वर्ल्ड का उद्घाटन सन् [[2004]] में किया गया था। | ||
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*यह महल लकड़ी से बना हुआ है। | *यह महल लकड़ी से बना हुआ है। | ||
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*इसके बीच में एक फ़व्वारा है। इस महल के खिड़कियों और दरवाजों पर बहुत ही सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। | *इसके बीच में एक फ़व्वारा है। इस महल के खिड़कियों और दरवाजों पर बहुत ही सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। | ||
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*लाड बाज़ार, हैदराबाद के सबसे पुराने ख़रीददारी केंद्रों में से एक है। | *लाड बाज़ार, हैदराबाद के सबसे पुराने ख़रीददारी केंद्रों में से एक है। |
13:41, 5 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
हैदराबाद पर्यटन
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विवरण | दक्षिण पू्र्वी भारत में स्थित हैदराबाद, आंध्र प्रदेश राज्य की राजधानी है। यह दक्कन के पठार पर मूसा नदी के किनारे स्थित है। इस शहर को विविध संस्कृतियों के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। |
राज्य | आंध्र प्रदेश |
ज़िला | हैदराबाद |
निर्माता | मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह |
स्थापना | सन 1591 ई. |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 17.366°, पूर्व- 78.476° |
मार्ग स्थिति | हैदराबाद, बैंगलोर से 574 किलोमीटर दक्षिण में, मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, चेन्नई से 700 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है। |
प्रसिद्धि | हैदराबादी बिरयानी |
कब जाएँ | मार्च से जून के पहले सप्ताह तक हैदराबाद का मौसम गर्म रहता है। हैदराबाद जाने के लिए अक्टूबर से फ़रवरी के बीच का समय उपयुक्त है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी |
शमशाबाद हवाई अड्डा, बेगमपेट हवाई अड्डा | |
सिंकदराबाद रेलवे स्टेशन, नामपल्ली रेलवे स्टेशन, काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन | |
महात्मा गाँधी (इम्लिबन) बस अड्डा | |
टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, बस | |
कहाँ ठहरें | होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला |
क्या खायें | हैदराबादी बिरयानी, मिर्ची का सालन, भरवा बैंगन, हलीम, कबाब |
क्या ख़रीदें | आभूषण, रंगबिरंगी चित्रकारी, ऊन और बांस से बने डिब्बे, साड़ी, चूड़ियाँ |
एस.टी.डी. कोड | 040 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
अद्यतन | 16:38, 28 अगस्त 2011 (IST)
|
आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद अपनी सुंदर इमारतों के चलते एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह एक सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर भी है। हैदराबाद और सिंकदराबाद दो जुड़वाँ शहरों के नाम से जाने जाते हैं। इन दोनों शहरों को विभाजित करने वाली झील ‘हुसैन सागर झील’ है, जो अपनी नायाब ख़ूबसूरती के कारण पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में अपनी एक नई पहचान बना चुका है।
पर्यतन स्थल
गोलकुंडा दुर्ग
हैदराबाद में स्थित गोलकोंडा दुर्ग एक पहाड़ी पर फैला हुआ है। यह दुर्ग काकातीय राजाओं और क़ुतुबशाही राजाओं के आधिपत्य में रहा था। गोलकोंडा दुर्ग के द्वार के पार खड़े होने पर जब ताली बजाई जाती है तो छठे तल पर उस ताली की अनुगूँज सुनाई देती है। क़ुतुबशाही राजाओं की कई पीढ़ियों ने अपने-अपने समय में इस दुर्ग के निर्माण का कार्य करवाया। यहाँ इसे देखने के लिए काफ़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। भारत की जागरण यात्रा पर निकले राजस्थान के चार कवियों ने इस दुर्ग को देखने में काफ़ी समय लगाया और यह कवि बड़े करीने से बनाए गए इस दुर्ग पर चर्चा करते रहे। गोलकोंडा दुर्ग हैदराबाद का बाहरी हिस्सा है जहाँ पर बेशकीमती हीरे-जवाहरात का बाज़ार है। बेशकीमती प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा कल्लूर खान की ही देन था।
चारमीनार
चारमीनार इमारत को सुल्तान मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने 1592 में बनवाया था। चारमीनार हैदराबाद की पहचान और शान है। शहर की स्थापना करते समय यहाँ प्लेग फैल गया था। इसके दूर होने के बाद ईश्वर के प्रति कृतज्ञता ज़ाहिर करने के एवज में नवाब ने शहर के बीचोंबीच इसका निर्माण करवाया था। शहर के बीचोंबीच यह इमारत अपने चार द्वारों को खोलती हुई खड़ी है। इसमें चार भव्य मीनारें हैं और ये इतनी ऊँची हैं कि इन पर चढ़कर पूरे हैदराबाद शहर को देखा जा सकता है। इसकी छत पर एक छोटी सी मस्जिद है। वास्तुकला की यह इमारत अप्रतिम उदाहरण है। कहा जाता है कि मुग़ल शासन के दौरान बिजली गिरने से दक्षिण पश्चिम की मीनार ध्वस्त हो गई थी। इसे दुबारा बनवाने में 60,000 रुपये खर्च हुए थे। चारमीनार अपने शासक के कला प्रेम को भी दर्शाती है। चारमीनारों पर खड़ी इस इमारत की ऊंचाई 56.7 मीटर और प्रत्येक स्तम्भ की ऊँचाई 48.7 मीटर है। लाड बाज़ार, जहाँ से पर्ल जूलरी ख़ासतौर पर ख़रीदी जा सकती है, चारमीनार के पास है। इस इमारत के आस-पास मोतियों का व्यवसाय करने वालों ने अपनी दुकानें खोल रखी हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि यह चारमीनार सुल्तान और उनकी बेगम के दुआ में उठे हुए हाथों को दर्शाती है।
- समय
- प्रतिदिन प्रात: 9:00 बजे से सायंकाल 5:30 बजे तक।
- स्टील कैमरा- नि:शुल्क
- वीडियो- शुल्क सहित
मक्का मस्जिद
- मक्का मस्जिद, चारमीनार के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
- ऐसा माना जाता है कि यह हैदराबाद और सिकंदराबाद की सबसे बड़ी मस्जिद है।
हुसैन सागर झील
हुसैन सागर झील बेगमपेट के समीप है। हैदराबाद में हुसैन सागर झील का वही स्थान है जो मुंबई में मरीन ड्राइव का है। इस झील का निर्माण इब्राहिम कुली क़ुतुबशाह के दामाद हुसैन शाह ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम पड़ा है। यह एक मानव निर्मित झील है। हुसैन सागर झील पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ ख़ासतौर पर नाव की सैर की जा सकती है। यह झील जुड़वा शहरों के नाम से मशहूर हैदराबाद और सिकंदराबाद को अलग करती है। हुसैन सागर झील का सबसे बड़ा आकर्षण झील के बीच स्थित भगवान बुद्ध की 17.5 मीटर लंबी पत्थर की प्रतिमा है। यह मूर्ति एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है। भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा 1990 में पानी में डूब गई थी और दो साल तक झील में ही पड़ी रही। 350 टन की इस मूर्ति को दो साल बाद पुन: झील के मध्य में स्थापित किया जा सका।
सालारजंग संग्रहालय
- सालारजंग संग्रहालय एशिया का सबसे बड़ा और पुराना संग्रहालय है। यह भारत के हैदराबाद नगर में स्थित है।
- ऐसा माना जाता है कि यहाँ विश्व का सबसे बड़ा निजी संग्रह है।
रामोजी फ़िल्म सिटी
- रामोजी फ़िल्म सिटी हैदराबाद की एक आकर्षक पर्यटन स्थल है।
- रामोजी फ़िल्म सिटी हयातनगर में स्थित है।
- पर्यटकों की यात्रा हैदराबाद आने के बाद तब तक पूरी नहीं होती है, जब तक वह रामोजी फ़िल्म सिटी घूम न लें।
लुंबनी उद्यान
- लुंबनी बाग़, हुसैन सागर झील के दक्षिण में स्थित है।
- हैदराबाद में बहुत सारे बाग़ हैं, लेकिन लुम्बनी बाग़ इन बाग़ों में बेमिसाल है।
नेहरू जैविक उद्यान
- नेहरू जैविक उद्यान ख़ूबसूरत उद्यान है।
- इस उद्यान की ख़ासियत यह है, कि यहाँ लॉयन सफारी है, जिस दौरान दुर्लभ प्रजाति के शेर दिखते हैं।
स्नो वर्ल्ड
- स्नो वर्ल्ड मनोरंजन की दृष्टि से मील का पत्थर है।
- स्नो वर्ल्ड का उद्घाटन सन् 2004 में किया गया था।
मालवा महल
- यह महल लकड़ी से बना हुआ है।
- यह महल मुग़ल और राजस्थानी शैली में बने उन महलों में से एक है जो अभी तक बचे हुए हैं।
- इसके बीच में एक फ़व्वारा है। इस महल के खिड़कियों और दरवाजों पर बहुत ही सुंदर नक़्क़ाशी की गई है।
लाड बाज़ार
- लाड बाज़ार, हैदराबाद के सबसे पुराने ख़रीददारी केंद्रों में से एक है।
- लाड बाज़ार चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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