"सरयू नदी": अवतरणों में अंतर
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== | |अन्य नाम='घाघरा', 'सरजू' तथा 'शारदा', 'काली नदी'। | ||
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|प्रमुख नगर=[[बहराइच]], [[सीतापुर]], [[गोंडा]], [[फैजाबाद]], [[अयोध्या]], राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, [[बलिया]] आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं। | |||
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|पौराणिक उल्लेख=[[अयोध्या]] से कुछ दूर सरयू के तट पर घना जंगल स्थित था, जहां अयोध्या नरेश आखेट के लिए जाया करते थे। [[दशरथ]] ने इसी वन में आखेट के समय भूल से [[श्रवण कुमार]] का वध कर दिया था। | |||
|धार्मिक महत्त्व=[[रामायण]] काल में सरयू [[कोसल|कोसल जनपद]] की प्रमुख नदी थी। माना जाता है कि [[राम|भगवान राम]] ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। | |||
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'''सरयू नदी''' [[उत्तर प्रदेश]] में [[अयोध्या]] के निकट बहने वाली [[भारत]] की प्राचीन नदियों में से एक है। 'घाघरा', 'सरजू' तथा 'शारदा' इस नदी के अन्य नाम हैं। यह [[हिमालय]] से निकलकर [[उत्तरी भारत]] के [[गंगा]] के मैदान में बहने वाली नदी है, जो [[बलिया]] और [[छपरा]] के बीच में गंगा में मिल जाती है। अपने ऊपरी भाग में, जहाँ इसे '[[काली नदी]]' के नाम से जाना जाता है, यह काफ़ी दूरी तक भारत [[उत्तराखण्ड|(उत्तराखण्ड राज्य)]] और [[नेपाल]] के बीच सीमा बनाती है। | |||
==पौराणिक उल्लेख== | |||
[[रामायण]] काल में सरयू [[कोसल|कोसल जनपद]] की प्रमुख नदी थी- | |||
<blockquote>‘कोसलो नाम मुदितः स्फीतो जनपदों महान्, निविष्टः सरयूतीरे प्रभूतधनधान्यवान्। अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता मनुना मानवैनद्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम्।’<ref>[[वाल्मीकि रामायण]] 5, 19</ref></blockquote> | |||
*[[अयोध्या]] से कुछ दूर सरयू के तट पर घना जंगल स्थित था, जहां अयोध्या नरेश आखेट के लिए जाया करते थे। [[दशरथ]] ने इसी वन में आखेट के समय भूल से [[श्रवण कुमार]] का, जो सरयू से अपने अंधे [[माता]]-[[पिता]] के लिए [[जल]] लेने के लिए आया था, बध कर दिया था- | |||
<blockquote>‘तस्मिन्नति सुखकाले धनुष्मानिषुमान्रथी व्यायामकृतसंकल्पः सरयूमन्वगां नदीम्, निपाने महिषं रात्रौगजं बाभ्यागतंमृगम्, अन्यद् वा श्वापदं किंचिज्जिधांसुरजितेन्द्रिया’; ‘अपश्यभिषुणा तीरे सरयूबास्ता पसं हतम्, अवकीणंजटाभारं प्रविद्धिकलशोदकम्।'<ref>वाल्मीकि रामयण, [[अयोध्या काण्ड वा. रा.|अयोध्याकाण्ड]] 63, 20-21-36</ref></blockquote> | |||
*सरयू नदी का [[ऋग्वेद]] में उल्लेख है और यह कहा गया है कि '[[यदु]]' और 'तुर्वससु' ने इसे पार किया था।<ref>[[ऋग्वेद]] 4, 30, 18; 10, 64, 9; 5, 53, 9</ref> | |||
*[[पाणिनि]] ने '[[अष्टाध्यायी]]'<ref>अष्टाध्यायी 6, 4, 174</ref> में सरयू का नामोल्लेख किया है। | |||
*'[[पद्मपुराण]]' के उत्तरखंड<ref> 35-38</ref> में भी सरयू नदी का माहात्म्य वर्णित है। | |||
*सरयू नदी अयोध्यावासियों की बड़ी प्रिय नदी थी। [[कालिदास]] के '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]' में [[राम]] सरयू को जननी के समान ही पूज्य कहते हैं- | |||
<blockquote>‘सेयं मदीया जननीव तेन मान्येन राज्ञा सरयूवियुक्ता, दूरे बसन्तं शिशिरानिलैर्मां तरंगहस्तैरूपगूहतीव।’<ref>रघुवंश 13, 63</ref></blockquote> | |||
*सरयू के तट पर अनेक [[यज्ञ|यज्ञों]] के रूपों का वर्णन कालिदास ने अपने [[महाकाव्य]] 'रघुवंश'<ref>रघुवंश 13, 63</ref> में किया है- | |||
<blockquote>‘जलानि या तीरनिखातयूपा बहत्ययोष्यामनुराजधानीम्’।</blockquote> | |||
*[[महाभारत]], [[अनुशासनपर्व महाभारत|अनुशासनपर्व]]<ref>अनुशासनपर्व 155</ref> में सरयू को [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] से निस्सृत माना गया है। '[[अध्यात्म रामायण]]' में भी इसी तथ्य का निर्देश है- | |||
<blockquote>'एषा भागीरथी गंगा दृश्यते लोकपावनी, एषा सा दृश्यते सीते सरयूर्यूपमालिनी।<ref>अध्यात्म रामायण, युद्धकांड 14, 13</ref></blockquote> | |||
[[चित्र:Shri-Rama.jpg|thumb|[[राम|भगवान श्रीराम]]]] | |||
*सरयू मानसरोवर से निकलती है, जिसका नाम 'ब्रह्मसर' भी है। [[कालिदास]] के निम्न वर्णन<ref>'रघुवंश' 13, 60</ref> से यह कथन सूचित होता है- | |||
<blockquote> | |||
'पयोधरैः पुण्यजनांगनानां निर्विष्टहेमाम्बुजरेणु यस्याः ब्राह्मंसरः कारणमाप्तवाचो बुद्धेरिवाव्यक्तमुदाहरन्ति।'</blockquote> | |||
उपरोक्त उद्धरण से यह भी जान पड़ता है कि कालिदास के समय में परम्परागत रूप में इस तथ्य की जानकारी यद्यपि थी, तो भी सरयू के उद्गम को शायद ही किसी ने देखा था। इस भौगोलिक तथ्य का ज्ञान तुलसीदस को भी था, क्योंकि उन्होंने सरयू को 'मानसनन्दनी' कहा है।<ref>[[रामचरितमानस]], बालकांड</ref> | |||
*सरयू मानसरोवर से पहले 'कौड़याली' नाम धारण करके बहती है; फिर इसका नाम सरयू और अंत में '[[घाघरा नदी|घाघरा]]' या 'घर्घरा' हो जाता है। | |||
*सरयू [[छपरा]] ([[बिहार]]) के निकट [[गंगा]] में मिलती है। गंगा-सरयू [[संगम]] पर 'चेरान' नामक प्राचीन स्थान है।<ref>इसके कुछ आगे [[पटना]] के ऊपर [[शोण नदी|शोण]], गंगा से मिलती है</ref> | |||
*कालिदास ने सरयू-जाह्नवी संगम को [[तीर्थ]] बताया है। यहां [[दशरथ]] के [[पिता]] [[अज]] ने वृद्धावस्था में प्राण त्याग दिए थे- | |||
<blockquote>'तीर्थे तोयव्यतिकरभवे जह्नुकन्यारव्वो देंहत्यागादमराणनालेखयमासाद्य सद्यः।'<ref>रघुवंश 8, 95</ref></blockquote> | |||
सम्भवत: उपरोक्त तीर्थ 'चेरान' के निकट रहा होगा। | |||
*[[महाभारत]], [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]]<ref>भीष्मपर्व 9, 19</ref> मे सरयू का नामोल्लेख इस प्रकार है- | |||
<blockquote>'रहस्यां शतकुभां च सरयूं च तथैव च, चर्मण्वतीं वेत्रवतीं हस्तिसोमां दिश्र तथा।'</blockquote> | |||
* | *[[श्रीमद्भागवत]]<ref>श्रीमद्भागवत 5, 19, 18</ref> मे नदियों की सूची में भी सरयू परिगणित है- | ||
<blockquote>'यमुना सरस्वती दृषद्वती गोमती सरयू।'</blockquote> | |||
*[[मिलिंदपन्हो]] नामक बौद्ध ग्रंथ में सरयू का '[[सरभू]]' कहा गया है, जो पाठांतर मात्र है। | |||
===='रामचरितमानस' का उल्लेख==== | |||
<blockquote><poem>'अवधपुरी मम पुरी सुहावनि, | |||
दक्षिण दिश बह सरयू पावनी' <ref>रामचरित मानस</ref></poem></blockquote> | |||
[[रामचरित मानस]] की इस चौपाई में सरयू नदी को [[अयोध्या]] की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। [[राम]] की जन्म-भूमि अयोध्या [[उत्तर प्रदेश]] में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को [[अथर्ववेद]] में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। | |||
==ऐतिहासिकता== | |||
नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सरयू नदी का अस्तित्व भी अब खतरे में है। [[रामायण]] के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू नदी का उद्गम [[उत्तर प्रदेश]] के [[बहराइच]] ज़िले से हुआ है। बहराइच से निकलकर यह नदी [[गोंडा]] से होती हुई अयोध्या तक जाती है। पहले यह नदी गोंडा के 'परसपुर' तहसील में 'पसका' नामक तीर्थ स्थान पर [[घाघरा नदी]] से मिलती थी। पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे 'चंदापुर' नामक स्थान पर मिलती है। अयोध्या तक ये नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी 'घाघरा' के नाम से जानी जाती है। सरयू नदी की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है। हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से हो कर बहने के कारण [[हिंदू]] धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है। सरयू नदी का वर्णन [[ऋग्वेद]] में भी मिलता है। | |||
====सहायक नदी तथा तटवर्ती नगर==== | |||
[[चित्र:View-Of-Ayodhya-3.jpg|thumb|[[अयोध्या]] का एक दृश्य]] | |||
सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी [[राप्ती नदी|राप्ती]] है, जो इसमें [[उत्तर प्रदेश]] के [[देवरिया ज़िला|देवरिया ज़िले]] के 'बरहज' नामक स्थान पर मिलती है। इस क्षेत्र का प्रमुख नगर [[गोरखपुर]] इसी राप्ती नदी के तट पर स्थित है और राप्ती तंत्र की अन्य नदियाँ आमी, [[जाह्नवी]] इत्यादि हैं, जिनका [[जल]] अंततः सरयू में जाता है। [[बहराइच]], [[सीतापुर]], [[गोंडा]], [[फैजाबाद]], [[अयोध्या]], राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं। | |||
==प्रदूषण== | |||
अब वर्तमान में यह ऐतिहासिक नदी अपना महत्व खोती जा रही है। लगातार होती छेड़छाड़ और मानवीय हस्तक्षेप के कारण इस नदी का अस्तित्व अब खतरे में है। ऐसा माना जाता है कि है कि इस नदी के पानी में चर्म रोगों को दूर करने की अद्भुत शक्ति है। इस नदी में विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं के साथ ही ऐसी वनस्पतियां भी हैं, जो नदी के पानी को शुद्ध कर पानी में औषधीय शक्ति को भी बढ़ाती हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.chauthiduniya.com/2011/01/ab-saryu-nadi-bhi-khatra-me.html |title=अब सरयू नदी भी खतरे में|accessmonthday=20 मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
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12:22, 1 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
सरयू नदी
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अन्य नाम | 'घाघरा', 'सरजू' तथा 'शारदा', 'काली नदी'। |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
प्रमुख नगर | बहराइच, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं। |
उद्गम स्थल | हिमालय |
लम्बाई | 350 किलोमीटर |
सहायक नदियाँ | राप्ती |
पौराणिक उल्लेख | अयोध्या से कुछ दूर सरयू के तट पर घना जंगल स्थित था, जहां अयोध्या नरेश आखेट के लिए जाया करते थे। दशरथ ने इसी वन में आखेट के समय भूल से श्रवण कुमार का वध कर दिया था। |
धार्मिक महत्त्व | रामायण काल में सरयू कोसल जनपद की प्रमुख नदी थी। माना जाता है कि भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। |
अन्य जानकारी | सरयू नदी को अपने ऊपरी भाग में, जहाँ इसे 'काली नदी' के नाम से जाना जाता है, यह काफ़ी दूरी तक भारत (उत्तराखण्ड राज्य) और नेपाल के बीच सीमा बनाती है। |
सरयू नदी उत्तर प्रदेश में अयोध्या के निकट बहने वाली भारत की प्राचीन नदियों में से एक है। 'घाघरा', 'सरजू' तथा 'शारदा' इस नदी के अन्य नाम हैं। यह हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के गंगा के मैदान में बहने वाली नदी है, जो बलिया और छपरा के बीच में गंगा में मिल जाती है। अपने ऊपरी भाग में, जहाँ इसे 'काली नदी' के नाम से जाना जाता है, यह काफ़ी दूरी तक भारत (उत्तराखण्ड राज्य) और नेपाल के बीच सीमा बनाती है।
पौराणिक उल्लेख
रामायण काल में सरयू कोसल जनपद की प्रमुख नदी थी-
‘कोसलो नाम मुदितः स्फीतो जनपदों महान्, निविष्टः सरयूतीरे प्रभूतधनधान्यवान्। अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता मनुना मानवैनद्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम्।’[1]
- अयोध्या से कुछ दूर सरयू के तट पर घना जंगल स्थित था, जहां अयोध्या नरेश आखेट के लिए जाया करते थे। दशरथ ने इसी वन में आखेट के समय भूल से श्रवण कुमार का, जो सरयू से अपने अंधे माता-पिता के लिए जल लेने के लिए आया था, बध कर दिया था-
‘तस्मिन्नति सुखकाले धनुष्मानिषुमान्रथी व्यायामकृतसंकल्पः सरयूमन्वगां नदीम्, निपाने महिषं रात्रौगजं बाभ्यागतंमृगम्, अन्यद् वा श्वापदं किंचिज्जिधांसुरजितेन्द्रिया’; ‘अपश्यभिषुणा तीरे सरयूबास्ता पसं हतम्, अवकीणंजटाभारं प्रविद्धिकलशोदकम्।'[2]
- सरयू नदी का ऋग्वेद में उल्लेख है और यह कहा गया है कि 'यदु' और 'तुर्वससु' ने इसे पार किया था।[3]
- पाणिनि ने 'अष्टाध्यायी'[4] में सरयू का नामोल्लेख किया है।
- 'पद्मपुराण' के उत्तरखंड[5] में भी सरयू नदी का माहात्म्य वर्णित है।
- सरयू नदी अयोध्यावासियों की बड़ी प्रिय नदी थी। कालिदास के 'रघुवंश' में राम सरयू को जननी के समान ही पूज्य कहते हैं-
‘सेयं मदीया जननीव तेन मान्येन राज्ञा सरयूवियुक्ता, दूरे बसन्तं शिशिरानिलैर्मां तरंगहस्तैरूपगूहतीव।’[6]
‘जलानि या तीरनिखातयूपा बहत्ययोष्यामनुराजधानीम्’।
- महाभारत, अनुशासनपर्व[8] में सरयू को मानसरोवर से निस्सृत माना गया है। 'अध्यात्म रामायण' में भी इसी तथ्य का निर्देश है-
'एषा भागीरथी गंगा दृश्यते लोकपावनी, एषा सा दृश्यते सीते सरयूर्यूपमालिनी।[9]
- सरयू मानसरोवर से निकलती है, जिसका नाम 'ब्रह्मसर' भी है। कालिदास के निम्न वर्णन[10] से यह कथन सूचित होता है-
'पयोधरैः पुण्यजनांगनानां निर्विष्टहेमाम्बुजरेणु यस्याः ब्राह्मंसरः कारणमाप्तवाचो बुद्धेरिवाव्यक्तमुदाहरन्ति।'
उपरोक्त उद्धरण से यह भी जान पड़ता है कि कालिदास के समय में परम्परागत रूप में इस तथ्य की जानकारी यद्यपि थी, तो भी सरयू के उद्गम को शायद ही किसी ने देखा था। इस भौगोलिक तथ्य का ज्ञान तुलसीदस को भी था, क्योंकि उन्होंने सरयू को 'मानसनन्दनी' कहा है।[11]
- सरयू मानसरोवर से पहले 'कौड़याली' नाम धारण करके बहती है; फिर इसका नाम सरयू और अंत में 'घाघरा' या 'घर्घरा' हो जाता है।
- सरयू छपरा (बिहार) के निकट गंगा में मिलती है। गंगा-सरयू संगम पर 'चेरान' नामक प्राचीन स्थान है।[12]
- कालिदास ने सरयू-जाह्नवी संगम को तीर्थ बताया है। यहां दशरथ के पिता अज ने वृद्धावस्था में प्राण त्याग दिए थे-
'तीर्थे तोयव्यतिकरभवे जह्नुकन्यारव्वो देंहत्यागादमराणनालेखयमासाद्य सद्यः।'[13]
सम्भवत: उपरोक्त तीर्थ 'चेरान' के निकट रहा होगा।
'रहस्यां शतकुभां च सरयूं च तथैव च, चर्मण्वतीं वेत्रवतीं हस्तिसोमां दिश्र तथा।'
- श्रीमद्भागवत[15] मे नदियों की सूची में भी सरयू परिगणित है-
'यमुना सरस्वती दृषद्वती गोमती सरयू।'
- मिलिंदपन्हो नामक बौद्ध ग्रंथ में सरयू का 'सरभू' कहा गया है, जो पाठांतर मात्र है।
'रामचरितमानस' का उल्लेख
'अवधपुरी मम पुरी सुहावनि,
दक्षिण दिश बह सरयू पावनी' [16]
रामचरित मानस की इस चौपाई में सरयू नदी को अयोध्या की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। राम की जन्म-भूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है।
ऐतिहासिकता
नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सरयू नदी का अस्तित्व भी अब खतरे में है। रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले से हुआ है। बहराइच से निकलकर यह नदी गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है। पहले यह नदी गोंडा के 'परसपुर' तहसील में 'पसका' नामक तीर्थ स्थान पर घाघरा नदी से मिलती थी। पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे 'चंदापुर' नामक स्थान पर मिलती है। अयोध्या तक ये नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी 'घाघरा' के नाम से जानी जाती है। सरयू नदी की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है। हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से हो कर बहने के कारण हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है। सरयू नदी का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है।
सहायक नदी तथा तटवर्ती नगर
सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती है, जो इसमें उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के 'बरहज' नामक स्थान पर मिलती है। इस क्षेत्र का प्रमुख नगर गोरखपुर इसी राप्ती नदी के तट पर स्थित है और राप्ती तंत्र की अन्य नदियाँ आमी, जाह्नवी इत्यादि हैं, जिनका जल अंततः सरयू में जाता है। बहराइच, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं।
प्रदूषण
अब वर्तमान में यह ऐतिहासिक नदी अपना महत्व खोती जा रही है। लगातार होती छेड़छाड़ और मानवीय हस्तक्षेप के कारण इस नदी का अस्तित्व अब खतरे में है। ऐसा माना जाता है कि है कि इस नदी के पानी में चर्म रोगों को दूर करने की अद्भुत शक्ति है। इस नदी में विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं के साथ ही ऐसी वनस्पतियां भी हैं, जो नदी के पानी को शुद्ध कर पानी में औषधीय शक्ति को भी बढ़ाती हैं।[17]
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टीका टिप्पणी
- ↑ वाल्मीकि रामायण 5, 19
- ↑ वाल्मीकि रामयण, अयोध्याकाण्ड 63, 20-21-36
- ↑ ऋग्वेद 4, 30, 18; 10, 64, 9; 5, 53, 9
- ↑ अष्टाध्यायी 6, 4, 174
- ↑ 35-38
- ↑ रघुवंश 13, 63
- ↑ रघुवंश 13, 63
- ↑ अनुशासनपर्व 155
- ↑ अध्यात्म रामायण, युद्धकांड 14, 13
- ↑ 'रघुवंश' 13, 60
- ↑ रामचरितमानस, बालकांड
- ↑ इसके कुछ आगे पटना के ऊपर शोण, गंगा से मिलती है
- ↑ रघुवंश 8, 95
- ↑ भीष्मपर्व 9, 19
- ↑ श्रीमद्भागवत 5, 19, 18
- ↑ रामचरित मानस
- ↑ अब सरयू नदी भी खतरे में (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 20 मई, 2011।
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