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<poem>'अभिसारी ततो रम्यां विजिग्ये कुरुनन्दन:।  
<poem>'अभिसारी ततो रम्यां विजिग्ये कुरुनन्दन:।  
उरगावासिनं चैव रोचमानं रणेऽजयत्'।  
उरगावासिनं चैव रोचमानं रणेऽजयत्'।  
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प्रसंग से सूचित होता है कि अभिसारी ग्रीक लेखकों का आबिसारिस नामक नगर या राज्य है जो [[तक्षशिला]] के उत्तर के [[पर्वत|पर्वतों]] में बसा हुआ था। अलक्षेंद्र के [[भारत]] पर आक्रमण के समय (327 ई.पू.), अभिसारी के राजा तथा तक्षशिला नरेश आंभी ने बिना युद्ध किए ही यवनराज से मित्रता की संधि कर ली थी। यह छोटा-सा राज्य [[चिनाब नदी]] के पश्चिम में पूंछ, राजोरी और भिंभर की पहाड़ियों में स्थित था। इस इलाके को छिमाल भी कहा जाता है। [[महाभारत]] के उद्धरण में उरगा या उरशा वर्तमान हज़ारा (पश्चिमी [[पाकिस्तान]]) है।  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 29| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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==संबंधित लेख==
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महाभारत[1] में अभिसारी नामक नगरी पर अर्जुन द्वारा विजय प्राप्त करने का उल्लेख है-

'अभिसारी ततो रम्यां विजिग्ये कुरुनन्दन:।
उरगावासिनं चैव रोचमानं रणेऽजयत्'।

प्रसंग से सूचित होता है कि अभिसारी ग्रीक लेखकों का आबिसारिस नामक नगर या राज्य है जो तक्षशिला के उत्तर के पर्वतों में बसा हुआ था। अलक्षेंद्र के भारत पर आक्रमण के समय (327 ई.पू.), अभिसारी के राजा तथा तक्षशिला नरेश आंभी ने बिना युद्ध किए ही यवनराज से मित्रता की संधि कर ली थी। यह छोटा-सा राज्य चिनाब नदी के पश्चिम में पूंछ, राज़ोरी और भिंभर की पहाड़ियों में स्थित था। इस इलाके को छिमाल भी कहा जाता है। महाभारत के उद्धरण में उरगा या उरशा वर्तमान हज़ारा (पश्चिमी पाकिस्तान) है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 29| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख