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*'''मुण्डा विद्रोह''' का आरम्भ ब्रिटिश [[भारत]] में 1899-1900 ई. में हुआ था।
'''मुण्डा विद्रोह''' या 'बिरसा विद्रोह' का प्रारम्भ ब्रिटिश भारत में [[1895]] में हुआ। यह विद्रोह [[छोटा नागपुर]] में एक 21 वर्षीय युवक [[बिरसा मुंडा]] ने प्रारम्भ किया था, जिससे ब्रिटिश सरकार थर्रा उठी। बिरसा के साथी थे- गया मुण्डा, देयका मुण्डा, पनाई मुण्डा, सुन्दर मुण्डा, तिबु मुण्डा, जोहन मुण्डा, दुखन स्वांसी, हतिराव मुण्डा तथा रिसा मुण्डा आदि। ये लोग 1895 से [[1900]] तक छोटा नागपुर में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] की प्रभुता को सदैव चुनौती देते रहे। यह विद्रोह बाद में 'बिरसा विद्रोह' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस आन्दोलन कें मुख्य केन्द्र खूंटी था।
*यह विद्रोह 'विरसा मुण्डा' के नेतृत्व में 'मुण्डा' आदिवासियों के द्वारा किया गया था।
 
*परंपरागत रूप से प्रचलित सामूहिक [[कृषि]] पर जागीरदारों, ठेकेदारों, बनियों, सूदखोरों के शोषण के कारण यह विद्रोह फूटा।
*विद्रोह मुख्य रूप से 'बिरसा मुण्डा' के नेतृत्व में 'मुण्डा' आदिवासियों के द्वारा किया गया था।
*विरसा मुण्डा ने 'उलगुलान' उपाधि धारण कर स्वयं को [[भगवान]] को दूत घोषित कर दिया।
*परंपरागत रूप से प्रचलित सामूहिक [[कृषि]] पर जागीरदारों, ठेकेदारों, बनियों, सूदखोरों के शोषण के कारण ही यह विद्रोह फूटा।
*उसने 1899 ई. में क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर मुण्डा जाति का शासन स्थापित करने के लिए विद्रोह की घोषणा की थी।
*बिरसा मुण्डा ने 'उलगुलान' की उपाधि धारण कर स्वयं को [[भगवान]] का दूत घोषित कर दिया।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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06:08, 6 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

मुण्डा विद्रोह या 'बिरसा विद्रोह' का प्रारम्भ ब्रिटिश भारत में 1895 में हुआ। यह विद्रोह छोटा नागपुर में एक 21 वर्षीय युवक बिरसा मुंडा ने प्रारम्भ किया था, जिससे ब्रिटिश सरकार थर्रा उठी। बिरसा के साथी थे- गया मुण्डा, देयका मुण्डा, पनाई मुण्डा, सुन्दर मुण्डा, तिबु मुण्डा, जोहन मुण्डा, दुखन स्वांसी, हतिराव मुण्डा तथा रिसा मुण्डा आदि। ये लोग 1895 से 1900 तक छोटा नागपुर में अंग्रेज़ों की प्रभुता को सदैव चुनौती देते रहे। यह विद्रोह बाद में 'बिरसा विद्रोह' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस आन्दोलन कें मुख्य केन्द्र खूंटी था।

  • विद्रोह मुख्य रूप से 'बिरसा मुण्डा' के नेतृत्व में 'मुण्डा' आदिवासियों के द्वारा किया गया था।
  • परंपरागत रूप से प्रचलित सामूहिक कृषि पर जागीरदारों, ठेकेदारों, बनियों, सूदखोरों के शोषण के कारण ही यह विद्रोह फूटा।
  • बिरसा मुण्डा ने 'उलगुलान' की उपाधि धारण कर स्वयं को भगवान का दूत घोषित कर दिया।
  • 1899 ई. में बिरसा ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मुण्डा जाति का शासन स्थापित करने के लिए विद्रोह की घोषणा की थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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