"जंगल गाथा -अशोक चक्रधर": अवतरणों में अंतर
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! अशोक चक्रधर की रचनाएँ | |||
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{{अशोक चक्रधर की रचनाएँ}} | {{अशोक चक्रधर की रचनाएँ}} | ||
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मेरा कलेजा है? | मेरा कलेजा है? | ||
मगरमच्छ बोला- | |||
नहीं नहीं, तुम्हारी भाभी ने | नहीं नहीं, तुम्हारी भाभी ने | ||
ख़ास तुम्हारे लिये | |||
सिंघाड़े का अचार भेजा | सिंघाड़े का अचार भेजा है। | ||
बंदर ने सोचा | बंदर ने सोचा | ||
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भागने का नहीं था कोई भी रास्ता, | भागने का नहीं था कोई भी रास्ता, | ||
बकरी और मेमने की हालत खस्ता। | बकरी और मेमने की हालत खस्ता। | ||
उधर शेर के | उधर शेर के क़दम धरती नापें, | ||
इधर ये दोनों थर-थर कापें। | इधर ये दोनों थर-थर कापें। | ||
अब तो शेर आ गया एकदम सामने, | अब तो शेर आ गया एकदम सामने, | ||
बकरी लगी जैसे-जैसे | बकरी लगी जैसे - जैसे | ||
बच्चे को थामने। | बच्चे को थामने। | ||
छिटककर बोला बकरी का बच्चा- | छिटककर बोला बकरी का बच्चा- | ||
पंक्ति 91: | पंक्ति 96: | ||
हो उत्सव! | हो उत्सव! | ||
साबुत रहें तेरे सब अवयव। | साबुत रहें तेरे सब अवयव। | ||
आशीष देता ये पशु-पुंगव-शेर, | आशीष देता ये पशु - पुंगव - शेर, | ||
कि अब नहीं होगा कोई अंधेरा | कि अब नहीं होगा कोई अंधेरा | ||
उछलो, कूदो, नाचो | उछलो, कूदो, नाचो | ||
और जियो हँसते-हँसते | और जियो हँसते - हँसते | ||
अच्छा बकरी मैया नमस्ते! | अच्छा बकरी मैया नमस्ते! | ||
14:17, 11 मई 2012 के समय का अवतरण
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पानी से निकलकर |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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