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बिलासपुर, दक्षिणी [[हिमाचल प्रदेश]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में है। यह नगर, राज्य की राजधानी [[शिमला]] के पश्चिमोत्तर में एक कृत्रिम झील गोविंदसागर के समीप स्थित है। बिलासपुर, 'कहलूर' भी कहलाता है। | |||
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[[गोरखा|गु्रखों]] के अतिक्रमण से पहले [[1894]] तक बिलासपुर स्वतंत्र [[पंजाब]] हिल स्टेट की राजधानी था। ब्रिटिश सेना ने गुरखों को अगले ही वर्ष वहाँ से खदेड़ दिया था। पुराने महल और एक प्रसिद्ध मंदिर समेत लगभग पूरा नगर गोविंदसागर में जलमग्न हो गया था। [[1950]] के दशक के कुछ बाद नए नगर का निर्माण किया गया था। | |||
बिलासपुर ज़िले का मुख्य नगर है, जिसकी नींव राजा दीपचंद्र ने 1653 ई. में रखी थी। उन्होंने [[महाभारत]] कार [[महर्षि व्यास]] की स्मृति में इस नगर को बसाया था और इसका मूल नाम व्यासपुर ही रखा था जो बिगड़कर बिलासपुर बन गया। किंवदंती है कि [[वेदव्यास]] ने इस स्थान के पास एक गुफ़ा में तपस्या की थी। सतलज के वामतट पर एक पहाड़ी के नीचे व्यासगुफ़ा अब तक स्थित है। मार्कंडेय का आश्रम भी यहाँ से चार मील दूर है। कहा जाता है कि दोनों ॠषि एक सुरंग द्वारा परस्पर मिलने आते-जाते थे। | |||
बिलासपुर ज़िले का मुख्य नगर, जिसकी नींव | |||
==कृषि और खनिज== | ==कृषि और खनिज== | ||
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बिलासपुर में गेहूँ, मक्का और चावल की स्थानीय पैदावार का एक व्यावसायिक केन्द्र है। | |||
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बिलासपुर नगर की जनसंख्या | [[2001]] की जनगणना के अनुसार बिलासपुर नगर की जनसंख्या 13,058 है। बिलासपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 3,40,735 है। | ||
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बिलासपुर नगर के पास कई मंदिर स्थापित है- रवानम, रवेनसर, रद्युनाथ, मुरली मनोहर और काकरी। जनश्रुति है कि | बिलासपुर एक पर्यटन स्थल है। बिलासपुर नगर के पास कई मंदिर स्थापित है- रवानम, रवेनसर, रद्युनाथ, मुरली मनोहर और काकरी। जनश्रुति है कि इन मन्दिरों को [[पांडव|पाडंवों]] ने बनवाया था। | ||
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बिलासपुर में पहाड़ी की चोटी पर [[नैना देवी मंदिर]] है जिसे राजा वीरचंद (697-780 ई.) ने बनवाया था। यह मंदिर बिलासपुर रोपड़ से 50 मील और शिमला से 37 मील दूर है। यूरोपीय यात्री [[विग्ने]] ने 1838 ई. में इस नगर के सौंदर्य तथा वैभव के बारे में अपने संस्मरण लिखे थे। प्राचीन बिलासपुर भाकरा-नगल बाँध के कारण अब जलमग्न हो चुका है। | |||
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06:57, 25 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
बिलासपुर, दक्षिणी हिमाचल प्रदेश राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में है। यह नगर, राज्य की राजधानी शिमला के पश्चिमोत्तर में एक कृत्रिम झील गोविंदसागर के समीप स्थित है। बिलासपुर, 'कहलूर' भी कहलाता है।
इतिहास
गु्रखों के अतिक्रमण से पहले 1894 तक बिलासपुर स्वतंत्र पंजाब हिल स्टेट की राजधानी था। ब्रिटिश सेना ने गुरखों को अगले ही वर्ष वहाँ से खदेड़ दिया था। पुराने महल और एक प्रसिद्ध मंदिर समेत लगभग पूरा नगर गोविंदसागर में जलमग्न हो गया था। 1950 के दशक के कुछ बाद नए नगर का निर्माण किया गया था।
बिलासपुर ज़िले का मुख्य नगर है, जिसकी नींव राजा दीपचंद्र ने 1653 ई. में रखी थी। उन्होंने महाभारत कार महर्षि व्यास की स्मृति में इस नगर को बसाया था और इसका मूल नाम व्यासपुर ही रखा था जो बिगड़कर बिलासपुर बन गया। किंवदंती है कि वेदव्यास ने इस स्थान के पास एक गुफ़ा में तपस्या की थी। सतलज के वामतट पर एक पहाड़ी के नीचे व्यासगुफ़ा अब तक स्थित है। मार्कंडेय का आश्रम भी यहाँ से चार मील दूर है। कहा जाता है कि दोनों ॠषि एक सुरंग द्वारा परस्पर मिलने आते-जाते थे।
कृषि और खनिज
यहाँ गेहूँ, मक्का और चावल की पैदावार होती है।
उद्योग और व्यापार
बिलासपुर में गेहूँ, मक्का और चावल की स्थानीय पैदावार का एक व्यावसायिक केन्द्र है।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार बिलासपुर नगर की जनसंख्या 13,058 है। बिलासपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 3,40,735 है।
पर्यटन
बिलासपुर एक पर्यटन स्थल है। बिलासपुर नगर के पास कई मंदिर स्थापित है- रवानम, रवेनसर, रद्युनाथ, मुरली मनोहर और काकरी। जनश्रुति है कि इन मन्दिरों को पाडंवों ने बनवाया था।
नैना देवी
बिलासपुर में पहाड़ी की चोटी पर नैना देवी मंदिर है जिसे राजा वीरचंद (697-780 ई.) ने बनवाया था। यह मंदिर बिलासपुर रोपड़ से 50 मील और शिमला से 37 मील दूर है। यूरोपीय यात्री विग्ने ने 1838 ई. में इस नगर के सौंदर्य तथा वैभव के बारे में अपने संस्मरण लिखे थे। प्राचीन बिलासपुर भाकरा-नगल बाँध के कारण अब जलमग्न हो चुका है।
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