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'''भारत का संविधान (33वाँ संशोधन) अधिनियम, 1974 | '''भारत का संविधान (33वाँ संशोधन) अधिनियम, 1974 | ||
*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया। | *[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया। | ||
*इस संशोधन द्वारा [[संसद]] सदस्यों और राज्य विधानमंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद 101 तथा 120 में संशोधन किया गया। | *इस संशोधन द्वारा [[संसद]] सदस्यों और राज्य विधानमंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद 101 तथा 120 में संशोधन किया गया। | ||
*संशोधन अनुच्छेद में यह उपबंधित है कि संसद और राज्य-विधानमण्डलों के सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्र को स्पीकर तभी स्वीकार करेगा यदि उसे इस बात का समाधान हो जाए कि त्यागपत्र स्वेच्छा से दिया गया है। | *संशोधन अनुच्छेद में यह उपबंधित है कि संसद और राज्य-विधानमण्डलों के सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्र को अध्यक्ष (स्पीकर) तभी स्वीकार करेगा यदि उसे इस बात का समाधान हो जाए कि त्यागपत्र स्वेच्छा से दिया गया है। | ||
*यदि उसे विश्वास हो जाए कि त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं है या धमकी के कारण दिया गया है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा। | *यदि उसे विश्वास हो जाए कि त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं है या धमकी के कारण दिया गया है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा। | ||
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संविधान संशोधन- 33वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
33वाँ संशोधन | 1974 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (33वाँ संशोधन) अधिनियम, 1974
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- इस संशोधन द्वारा संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद 101 तथा 120 में संशोधन किया गया।
- संशोधन अनुच्छेद में यह उपबंधित है कि संसद और राज्य-विधानमण्डलों के सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्र को अध्यक्ष (स्पीकर) तभी स्वीकार करेगा यदि उसे इस बात का समाधान हो जाए कि त्यागपत्र स्वेच्छा से दिया गया है।
- यदि उसे विश्वास हो जाए कि त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं है या धमकी के कारण दिया गया है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा।
- मूल अनुच्छेद के अनुसार ऐसे त्यागपत्र अध्यक्ष (स्पीकर) को दिये जाने पर स्वत: प्रभावी हो जाते थे।
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