"समरथाई का अंग -कबीर": अवतरणों में अंतर
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बिन डांडी बिन पालड़ैं, तोले सब संसार ॥5॥ | बिन डांडी बिन पालड़ैं, तोले सब संसार ॥5॥ | ||
साईं सूं सब होत है, बंदै | साईं सूं सब होत है, बंदै तै कुछ नाहिं । | ||
राईं | राईं तै परबत करै, परबत राई माहिं ॥6॥ | ||
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10:58, 8 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ । |
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