"पिप्फलि गुहा": अवतरणों में अंतर
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'''पिप्फलि गुहा''' या 'पिप्पल गुहा' [[राजगृह]] ([[बिहार]]) में 'वैभार' पहाड़ी पर स्थित थी। कहा जाता है कि यहाँ [[महात्मा बुद्ध]] भोजन के उपरान्त विश्राम किया करते थे। मंजुश्रीमूलकल्प में इस गुहा को 'पैपल गुहा' कहा गया है। यह विपुल पर्वत के गरम स्रोतों के निकट थी। आधुनिक समय मे [[जरासंध]] की बैठक से इसे मिलाया जाता है।<ref>बु.भा.भू, पृ. 206-207</ref> | '''पिप्फलि गुहा''' या 'पिप्पल गुहा' [[राजगृह]] ([[बिहार]]) में 'वैभार' पहाड़ी पर स्थित थी। कहा जाता है कि यहाँ [[महात्मा बुद्ध]] भोजन के उपरान्त विश्राम किया करते थे। 'मंजुश्रीमूलकल्प' में इस गुहा को 'पैपल गुहा' कहा गया है। यह [[विपुल पर्वत]] के गरम स्रोतों के निकट थी। आधुनिक समय मे [[जरासंध]] की बैठक से इसे मिलाया जाता है।<ref>बु.भा.भू, पृ. 206-207</ref> | ||
*‘उदान’ के अनुसार स्थविर महाकाप्फ इस गुफ़ा (गुहा) में निवास करते थे। | *‘उदान’ के अनुसार स्थविर महाकाप्फ इस गुफ़ा (गुहा) में निवास करते थे। 'संयुक्त निकाय' में आता है कि वे इसी गुहा में अस्वस्थ हुए थे। | ||
*प्रसिद्ध चीनी यत्री [[युवानच्वांग]] के वर्णन के अनुसार [[वेणुवन]] से एक मील दूर दक्षिण-पश्चिम में, [[दक्षिणगिरि]] के उत्तर में बड़े [[बांस|बांसों]] के वन में एक विशाल गुफ़ा थी, यहाँ स्थविर [[महाकाच्यायन|महाकाश्यप]] पाँच सौ भिक्षुओं के साथ रहते थे।<ref>वाटर्स, ट्रेविल्स ऑफ़ यूआन च्वांग, पृष्ठ 159।</ref> | |||
*[[युवानच्वांग]] के वर्णन के अनुसार वेणुवन से एक मील दूर दक्षिण-पश्चिम में, | *एक अन्य यात्री [[फाह्यान]] ने भी [[सप्तपर्णि गुहा|सप्तपर्णा गुहा]] से एक मील दूरी पर 'पिप्पल गुहा' का उल्लेख किया है। | ||
*[[फाह्यान]] ने भी सप्तपर्णा गुहा से एक मील दूरी पर 'पिप्पल गुहा' का उल्लेख किया है। | *माना जाता है कि पिप्फलि गुहा में [[बुद्ध]] भोजन के उपरान्त विश्राम और [[ध्यान]] किया करते थे। | ||
* | *'उदानट्ठ कथा' में आया है कि इस गुहा के बाहर [[पीपल]] का एक पेड़ खड़ा था, इसीलिए यह 'पिप्पलि गुहा' कहलाती थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2|लेखक=|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन=प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र|पृष्ठ संख्या=494|url=}}</ref> | ||
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14:23, 31 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
पिप्फलि गुहा या 'पिप्पल गुहा' राजगृह (बिहार) में 'वैभार' पहाड़ी पर स्थित थी। कहा जाता है कि यहाँ महात्मा बुद्ध भोजन के उपरान्त विश्राम किया करते थे। 'मंजुश्रीमूलकल्प' में इस गुहा को 'पैपल गुहा' कहा गया है। यह विपुल पर्वत के गरम स्रोतों के निकट थी। आधुनिक समय मे जरासंध की बैठक से इसे मिलाया जाता है।[1]
- ‘उदान’ के अनुसार स्थविर महाकाप्फ इस गुफ़ा (गुहा) में निवास करते थे। 'संयुक्त निकाय' में आता है कि वे इसी गुहा में अस्वस्थ हुए थे।
- प्रसिद्ध चीनी यत्री युवानच्वांग के वर्णन के अनुसार वेणुवन से एक मील दूर दक्षिण-पश्चिम में, दक्षिणगिरि के उत्तर में बड़े बांसों के वन में एक विशाल गुफ़ा थी, यहाँ स्थविर महाकाश्यप पाँच सौ भिक्षुओं के साथ रहते थे।[2]
- एक अन्य यात्री फाह्यान ने भी सप्तपर्णा गुहा से एक मील दूरी पर 'पिप्पल गुहा' का उल्लेख किया है।
- माना जाता है कि पिप्फलि गुहा में बुद्ध भोजन के उपरान्त विश्राम और ध्यान किया करते थे।
- 'उदानट्ठ कथा' में आया है कि इस गुहा के बाहर पीपल का एक पेड़ खड़ा था, इसीलिए यह 'पिप्पलि गुहा' कहलाती थी।[3]
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