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*स्वयं भगवान [[विष्णु]] रमा-वैकुण्ठ में भगवती [[महालक्ष्मी देवी|लक्ष्मी]] द्वारा कामदेव रूप में आराधित होते हैं।  
[[चित्र:Kamadeva.jpg|thumb|कामदेव <br />Kamadeva]]
'''कामदेव''' को [[हिन्दू धर्म]] ग्रंथों में काम और प्रेम का [[देवता]] बताया गया है। इनकी पत्नी का नाम [[रति]] कहा गया है। ये इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है।
 
*कामदेव का स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी हैं।
*'रागवृंत', 'अनंग', 'कंदर्प', 'मनमथ', 'मनसिजा', 'मदन', 'रतिकांत', 'पुष्पवान' तथा 'पुष्पधंव' आदि कामदेव के प्रसिद्ध नाम हैं।
*ये [[हिन्दू]] देवी श्री के पुत्र और [[कृष्ण]] के पुत्र [[प्रद्युम्न]] का अवतार हैं।
*कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिन्दू धर्म में [[वैष्णव]] अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है।
*स्वयं [[विष्णु|भगवान विष्णु]] रमा-वैकुण्ठ में भगवती [[महालक्ष्मी देवी|लक्ष्मी]] द्वारा कामदेव रूप में आराधित होते हैं।  
*ये इन्दीवराभ चतुर्भुज शंख, पद्म, धनुष और बाण धारण करते हैं।  
*ये इन्दीवराभ चतुर्भुज शंख, पद्म, धनुष और बाण धारण करते हैं।  
*सृष्टि में धर्म की पत्नी [[श्रद्वा]] से इनका आविर्भाव हुआ।   
*सृष्टि में धर्म की पत्नी [[श्रद्वा]] से इनका आविर्भाव हुआ।   
*दैव जगत में ये [[ब्रह्मा]] के संकल्प के पुत्र माने जाते हैं।  
*दैव जगत् में ये [[ब्रह्मा]] के संकल्प के पुत्र माने जाते हैं।  
*मानसिक क्षेत्र में काम संकल्प से ही व्यक्त होता है। संकल्प के पुत्र हैं काम और काम के छोटे भाई क्रोध। काम यदि पिता संकल्प के कार्य में असफल हों तो क्रोध उपस्थित होता है।  
*मानसिक क्षेत्र में काम संकल्प से ही व्यक्त होता है। संकल्प के पुत्र हैं काम और काम के छोटे भाई क्रोध। काम यदि पिता संकल्प के कार्य में असफल हों तो क्रोध उपस्थित होता है।  
*कामदेव योगियों के आराध्य हैं। ये तुष्ट होकर मन को निष्काम बना देते हैं।  
*कामदेव योगियों के आराध्य हैं। ये तुष्ट होकर मन को निष्काम बना देते हैं।  
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*[[देवता]] [[तारकासुर]] से पीड़ित थे।   
*[[देवता]] [[तारकासुर]] से पीड़ित थे।   
*भगवान [[शिव]] के पुत्र से शक्य था। देवताओं ने काम को भेजा। एक बार मन्मथ पुरारि के मन में क्षोभ करने में सफल हो गये, पर दूसरे ही क्षण प्रलयंकर की तृतीय नेत्रज्वाला ने इन्हें भस्म कर दिया। कामपत्नी [[रति]] के विलाप स्तवन से तुष्ट आशुतोष ने वरदान दिया- 'अब यह बिना शरीर के ही सबको प्रभावित करेगा।'
*भगवान [[शिव]] के पुत्र से शक्य था। देवताओं ने काम को भेजा। एक बार मन्मथ पुरारि के मन में क्षोभ करने में सफल हो गये, पर दूसरे ही क्षण प्रलयंकर की तृतीय नेत्रज्वाला ने इन्हें भस्म कर दिया। कामपत्नी [[रति]] के विलाप स्तवन से तुष्ट आशुतोष ने वरदान दिया- 'अब यह बिना शरीर के ही सबको प्रभावित करेगा।'
*कामदेव अनंग हुए। द्वापर में भगवान श्री[[कृष्ण]] के यहाँ [[रुक्मिणी ]] के पुत्र रूप में ये उत्पन्न हुए।  
*कामदेव अनंग हुए। द्वापर में भगवान श्री[[कृष्ण]] के यहाँ [[रुक्मिणी]] के पुत्र रूप में ये उत्पन्न हुए।  
*भगवान [[प्रद्युम्न]] चतुर्व्यूह में से हैं। ये मन के अधिष्ठाता हैं।  
*भगवान [[प्रद्युम्न]] चतुर्व्यूह में से हैं। ये मन के अधिष्ठाता हैं।  
 
==संबंधित लेख==
{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:पौराणिक कोश]]
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[[Category:हिन्दू देवी-देवता]]
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[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
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13:50, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

कामदेव
Kamadeva

कामदेव को हिन्दू धर्म ग्रंथों में काम और प्रेम का देवता बताया गया है। इनकी पत्नी का नाम रति कहा गया है। ये इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है।

  • कामदेव का स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी हैं।
  • 'रागवृंत', 'अनंग', 'कंदर्प', 'मनमथ', 'मनसिजा', 'मदन', 'रतिकांत', 'पुष्पवान' तथा 'पुष्पधंव' आदि कामदेव के प्रसिद्ध नाम हैं।
  • ये हिन्दू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार हैं।
  • कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिन्दू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है।
  • स्वयं भगवान विष्णु रमा-वैकुण्ठ में भगवती लक्ष्मी द्वारा कामदेव रूप में आराधित होते हैं।
  • ये इन्दीवराभ चतुर्भुज शंख, पद्म, धनुष और बाण धारण करते हैं।
  • सृष्टि में धर्म की पत्नी श्रद्वा से इनका आविर्भाव हुआ।
  • दैव जगत् में ये ब्रह्मा के संकल्प के पुत्र माने जाते हैं।
  • मानसिक क्षेत्र में काम संकल्प से ही व्यक्त होता है। संकल्प के पुत्र हैं काम और काम के छोटे भाई क्रोध। काम यदि पिता संकल्प के कार्य में असफल हों तो क्रोध उपस्थित होता है।
  • कामदेव योगियों के आराध्य हैं। ये तुष्ट होकर मन को निष्काम बना देते हैं।
  • कवि, भावुक, कलाकार और विषयी इनकी आराधना सौन्दर्य की प्राप्ति के लिये करते हैं। इन पुष्पायुध के पंचबाण प्रख्यात हैं। नीलकमल, मल्लिका, आम्रमौर, चम्पक और शिरीष कुसुम इनके बाण हैं। ये सौन्दर्य, सौकुमार्य और सम्मोहन के अधिष्ठाता हैं।
  • भगवान ब्रह्मा तक को उत्पन्न होते ही इन्होंने क्षुब्ध कर दिया। ये तोते के रथ पर मकर (मछली) के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं।
  • भगवान शंकर समाधिस्थ थे।
  • देवता तारकासुर से पीड़ित थे।
  • भगवान शिव के पुत्र से शक्य था। देवताओं ने काम को भेजा। एक बार मन्मथ पुरारि के मन में क्षोभ करने में सफल हो गये, पर दूसरे ही क्षण प्रलयंकर की तृतीय नेत्रज्वाला ने इन्हें भस्म कर दिया। कामपत्नी रति के विलाप स्तवन से तुष्ट आशुतोष ने वरदान दिया- 'अब यह बिना शरीर के ही सबको प्रभावित करेगा।'
  • कामदेव अनंग हुए। द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के यहाँ रुक्मिणी के पुत्र रूप में ये उत्पन्न हुए।
  • भगवान प्रद्युम्न चतुर्व्यूह में से हैं। ये मन के अधिष्ठाता हैं।

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