"बृहद्बल": अवतरणों में अंतर
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*बृहद्बल प्राचीन युग का एक राजा, जो देवलोक को प्राप्त हुआ।<ref>[[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 1.</ref> | *बृहद्बल प्राचीन युग का एक राजा, जो देवलोक को प्राप्त हुआ।<ref>[[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 1.</ref> | ||
*सुबल के पुत्र का नाम भी बृहद्बल था, जो [[गांधार]] देश का राजा था। वह [[द्रौपदी]] के स्वयंवर में भी आया था।<ref>[[महाभारत]], आदिपर्व, अध्याय 186.</ref> | *[[सुबल]] के पुत्र का नाम भी बृहद्बल था, जो [[गांधार]] देश का राजा था। वह [[द्रौपदी]] के स्वयंवर में भी आया था।<ref>[[महाभारत]], आदिपर्व, अध्याय 186.</ref> | ||
*एक बृहद्बल [[कौशल]] नरेश भी था, जिसे दिग्विजय के समय [[भीमसेन]] ने परास्त किया था। वह [[युधिष्ठिर]] के [[राजसूय यज्ञ]] में आया था। [[महाभारत]] युद्ध में उसने [[कौरव|कौरवों]] का साथ दिया और युद्ध के प्रथम दिन [[अभिमन्यु]] से लड़ा था। युद्ध के आठवें दिन कौशल नरेश [[भीष्म]] पितामह की सेना में शामिल हो युद्ध लड़ा। इसके रथ के ध्वज पर सिंह का प्रतीक था<ref>सिंहकेतु</ref>। अभिमन्यु ने इसका संहार किया था।<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]], अध्याय 30, 34, [[उद्योगपर्व महाभारत|उद्योगपर्व]], अध्याय 57, 161, 166, [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]], अध्याय 45, 56, 87, 108, 114.</ref> | *एक बृहद्बल [[कौशल]] नरेश भी था, जिसे दिग्विजय के समय [[भीमसेन]] ने परास्त किया था। वह [[युधिष्ठिर]] के [[राजसूय यज्ञ]] में आया था। [[महाभारत]] युद्ध में उसने [[कौरव|कौरवों]] का साथ दिया और युद्ध के प्रथम दिन [[अभिमन्यु]] से लड़ा था। युद्ध के आठवें दिन कौशल नरेश [[भीष्म]] पितामह की सेना में शामिल हो युद्ध लड़ा। इसके रथ के ध्वज पर सिंह का प्रतीक था<ref>सिंहकेतु</ref>। अभिमन्यु ने इसका संहार किया था।<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]], अध्याय 30, 34, [[उद्योगपर्व महाभारत|उद्योगपर्व]], अध्याय 57, 161, 166, [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]], अध्याय 45, 56, 87, 108, 114.</ref> | ||
10:41, 1 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
बृहद्बल नाम से कई राजाओं ने शासन किया है, उनका विवरण इस प्रकार से है-
- बृहद्बल प्राचीन युग का एक राजा, जो देवलोक को प्राप्त हुआ।[1]
- सुबल के पुत्र का नाम भी बृहद्बल था, जो गांधार देश का राजा था। वह द्रौपदी के स्वयंवर में भी आया था।[2]
- एक बृहद्बल कौशल नरेश भी था, जिसे दिग्विजय के समय भीमसेन ने परास्त किया था। वह युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आया था। महाभारत युद्ध में उसने कौरवों का साथ दिया और युद्ध के प्रथम दिन अभिमन्यु से लड़ा था। युद्ध के आठवें दिन कौशल नरेश भीष्म पितामह की सेना में शामिल हो युद्ध लड़ा। इसके रथ के ध्वज पर सिंह का प्रतीक था[3]। अभिमन्यु ने इसका संहार किया था।[4]
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