"योगवासिष्ठ रामायण": अवतरणों में अंतर
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'''योगवासिष्ठ रामायण''' प्रचलित अद्वैत वेदांतीय ग्रंथों में से एक है, जिसका बड़ा ही महत्त्व है। यह तैरहवीं शताब्दी रचे गये [[संस्कृत]] ग्रंथों में से एक है। | '''योगवासिष्ठ रामायण''' प्रचलित अद्वैत वेदांतीय ग्रंथों में से एक है, जिसका बड़ा ही महत्त्व है। यह तैरहवीं शताब्दी रचे गये [[संस्कृत]] ग्रंथों में से एक है। | ||
*यह 'अध्यात्म रामायण' के समानांतर है, क्योंकि इसमें [[श्रीराम]] और [[वसिष्ठ]] के संवाद रूप में [[वेदांत]] के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया है। | *यह '[[अध्यात्म रामायण]]' के समानांतर है, क्योंकि इसमें [[श्रीराम]] और [[वसिष्ठ]] के संवाद रूप में [[वेदांत]] के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया है। | ||
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*इस [[ग्रंथ]] में अद्वैत वेदांत की शिक्षा के साथ [[सांख्य दर्शन|सांख्य]] के विचारों का मिश्रण भी प्राप्त होता है। | *इस [[ग्रंथ]] में अद्वैत वेदांत की शिक्षा के साथ [[सांख्य दर्शन|सांख्य]] के विचारों का मिश्रण भी प्राप्त होता है। |
14:05, 23 जून 2014 के समय का अवतरण
योगवासिष्ठ रामायण प्रचलित अद्वैत वेदांतीय ग्रंथों में से एक है, जिसका बड़ा ही महत्त्व है। यह तैरहवीं शताब्दी रचे गये संस्कृत ग्रंथों में से एक है।
- यह 'अध्यात्म रामायण' के समानांतर है, क्योंकि इसमें श्रीराम और वसिष्ठ के संवाद रूप में वेदांत के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया है।
- 'योगवासिष्ठ रामायण' एक बड़ा विशालकाय ग्रंथ है, जिसमें 32,000 पद्य हैं।
- इस ग्रंथ में अद्वैत वेदांत की शिक्षा के साथ सांख्य के विचारों का मिश्रण भी प्राप्त होता है।
- योग की महत्ता पर भी इस ग्रंथ में बल दिया गया है।
- इस ग्रंथ की रचना तिथि 1300 ई. के लगभग अथवा और पूर्व हो सकती है।
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