"मोहब्बत तर्क की मैंने -साहिर लुधियानवी": अवतरणों में अंतर
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बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो | बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो | ||
बहुत | बहुत दु:ख सह लिये मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने | ||
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14:08, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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मोहब्बत तर्क की मैंने गरेबाँ सी लिया मैं |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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