"ओडिशा राष्ट्रभाषा परिषद, पुरी": अवतरणों में अंतर
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सन् [[1932]] में पुरी में प्रस्तावित कांग्रेस अधिवेशन के कर्मियों को [[हिन्दी]] सिखाने के उद्देश्य से [[महात्मा गांधी]] जी के सहयोगी बाबा राघवदास की प्रेरणा से पंडित अनूसयाप्रसाद पाठक तथा पंडित रामानंद शर्मा पुरी में आए थे। उनके अथक परिश्रम से ‘पुरी राष्ट्रभाषा समिति’ नामक संस्था स्थापित हुई। [[1937]] से [[1954]] तक यह वर्धा की सहायता से चलती रही और बाद में वर्धा से अलग होकर ‘ओडिशा राष्ट्रभाषा परिषद्’ के नाम से एक स्वतंत्र संस्था के रूप में आई। | सन् [[1932]] में पुरी में प्रस्तावित कांग्रेस अधिवेशन के कर्मियों को [[हिन्दी]] सिखाने के उद्देश्य से [[महात्मा गांधी]] जी के सहयोगी बाबा राघवदास की प्रेरणा से पंडित अनूसयाप्रसाद पाठक तथा पंडित रामानंद शर्मा पुरी में आए थे। उनके अथक परिश्रम से ‘पुरी राष्ट्रभाषा समिति’ नामक संस्था स्थापित हुई। [[1937]] से [[1954]] तक यह वर्धा की सहायता से चलती रही और बाद में वर्धा से अलग होकर ‘ओडिशा राष्ट्रभाषा परिषद्’ के नाम से एक स्वतंत्र संस्था के रूप में आई। | ||
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इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ओड़िसा जैसे अहिन्दीभाषी राज्य में तथा यहाँ के पिछड़े आदिवासी अंचलों में हिन्दी का प्रशिक्षण देना है। इसके अतिरिक्त [[असम]], [[पश्चिम बंगाल]] तथा [[आंध्र प्रदेश]] आदि राज्यों में भी [[हिन्दी]] का प्रचार करना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए परिषद् अपने अधीन पाँच परीक्षाओं (राष्ट्रभाषा प्राथमिक, बोधिनी, माध्यमिक, विनोद, प्रवीण और शास्त्री) का संचालन करती है। इन परीक्षाओं को राज्य सरकार और [[भारत सरकार]] दोनों से मान्यता मिली है। इसके [[असम]], [[मणिपुर]], [[पश्चिम बंगाल]], [[ओड़िशा]], [[आंध्र प्रदेश]], [[कर्नाटक]] और [[हरियाणा]] में कुल मिलाकर 300 परीक्षा केंद्र हैं। अब तक उत्तीर्ण परीक्षाओं की संख्या लगभग एक लाख है। इसके अधीन सात हिन्दी विद्यालयों का संचालन होता है। | इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ओड़िसा जैसे अहिन्दीभाषी राज्य में तथा यहाँ के पिछड़े आदिवासी अंचलों में हिन्दी का प्रशिक्षण देना है। इसके अतिरिक्त [[असम]], [[पश्चिम बंगाल]] तथा [[आंध्र प्रदेश]] आदि राज्यों में भी [[हिन्दी]] का प्रचार करना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए परिषद् अपने अधीन पाँच परीक्षाओं (राष्ट्रभाषा प्राथमिक, बोधिनी, माध्यमिक, विनोद, प्रवीण और शास्त्री) का संचालन करती है। इन परीक्षाओं को राज्य सरकार और [[भारत सरकार]] दोनों से मान्यता मिली है। इसके [[असम]], [[मणिपुर]], [[पश्चिम बंगाल]], [[ओड़िशा]], [[आंध्र प्रदेश]], [[कर्नाटक]] और [[हरियाणा]] में कुल मिलाकर 300 परीक्षा केंद्र हैं। अब तक उत्तीर्ण परीक्षाओं की संख्या लगभग एक लाख है। इसके अधीन सात हिन्दी विद्यालयों का संचालन होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%BF%E0%A4%95_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81_-%E0%A4%B6%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%A2%E0%A5%87 |title=हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ |accessmonthday=25 मार्च |accessyear=2014 |last=लोंढे |first=शंकरराव |authorlink= |format= |publisher=भारतकोश |language= हिंदी}}</ref> | ||
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13:49, 25 मार्च 2014 के समय का अवतरण
ओड़िया राष्ट्रभाषा परिषद पुरी में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।
स्थापना
सन् 1932 में पुरी में प्रस्तावित कांग्रेस अधिवेशन के कर्मियों को हिन्दी सिखाने के उद्देश्य से महात्मा गांधी जी के सहयोगी बाबा राघवदास की प्रेरणा से पंडित अनूसयाप्रसाद पाठक तथा पंडित रामानंद शर्मा पुरी में आए थे। उनके अथक परिश्रम से ‘पुरी राष्ट्रभाषा समिति’ नामक संस्था स्थापित हुई। 1937 से 1954 तक यह वर्धा की सहायता से चलती रही और बाद में वर्धा से अलग होकर ‘ओडिशा राष्ट्रभाषा परिषद्’ के नाम से एक स्वतंत्र संस्था के रूप में आई।
उद्देश्य
इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ओड़िसा जैसे अहिन्दीभाषी राज्य में तथा यहाँ के पिछड़े आदिवासी अंचलों में हिन्दी का प्रशिक्षण देना है। इसके अतिरिक्त असम, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में भी हिन्दी का प्रचार करना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए परिषद् अपने अधीन पाँच परीक्षाओं (राष्ट्रभाषा प्राथमिक, बोधिनी, माध्यमिक, विनोद, प्रवीण और शास्त्री) का संचालन करती है। इन परीक्षाओं को राज्य सरकार और भारत सरकार दोनों से मान्यता मिली है। इसके असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा में कुल मिलाकर 300 परीक्षा केंद्र हैं। अब तक उत्तीर्ण परीक्षाओं की संख्या लगभग एक लाख है। इसके अधीन सात हिन्दी विद्यालयों का संचालन होता है।[1]
पुस्तकालय
इसका मुख्य पुस्तकालय पुरी में है। इसमें हिन्दी, उड़िया और संस्कृत की लगभग 6,000 पुस्तकें हैं। परिषद् के अधीन भुवनेश्वर, कटक, ब्रह्मपुर और कोरापुट में शाखा-पुस्तकालय भी हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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