"हरिहर क्षेत्र": अवतरणों में अंतर

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हरिहर क्षेत्र अथवा 'गंगा-शोण संगम' का परिवर्ती प्रदेश बिहार में स्थित आज का क़स्बा सोनपुर है। यह प्राचीन तीर्थ स्थान माना जाता है। यह बिहार की राजधानी पटना से पाँच किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में गंगा और गण्डक नदी के संगम पर स्थित है।

प्राचीनता

बिहार स्थित सोनपुर प्राचीन काल में हरिहर क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। ऋषि-मुनियों ने इसे प्राचीन नगर प्रयाग और गया से भी श्रेष्ठ तीर्थ स्थान का दर्जा दिया है। यह माना जाता है कि यहाँ गंगा और गण्डक की संगम धारा में स्नान करने से हज़ारों वर्ष के पाप कट जाते हैं।

मेले का आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है, जो विभिन्न नस्लों के पशुओं के क्रय-विक्रय के लिए एशिया का सबसे बड़ा मेला समझा जाता है। यहाँ हाथी, घोड़े, गाय, बैल एवं चिड़ियों आदि के अतिरिक्त सभी प्रकार के आधुनिक सामान, कंबल दरियाँ, नाना प्रकार के खिलौने और लकड़ी के सामान आदि बेचे जाते हैं। यह मेला लगभग एक मास तक चलता है।

किंवदंतियाँ

यहाँ आयोजित होने वाले मेले के संबंध में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं-

  1. पौराणिक कथा के अनुसार- "एक समय गज और ग्राह का युद्ध हुआ। यह युद्ध वर्षों तक चला। बाद के समय में भगवान विष्णु की सहायता से युद्ध में गज की विजय हुई।
  2. एक अन्य किंवदंती के अनुसार- जय और विजय दो भाई थे। जय भगवान शिव का तथा विजय विष्णु का परम भक्त था। दोनों में झगड़ा हो गया तथा दोनों गज और ग्राह बन गए। किंतु बाद में दोनों में मित्रता भी हो गई। शिव और विष्णु दोनों के ही मंदिर साथ-साथ बने, जिससे इसका नाम 'हरिहर क्षेत्र' पड़ गया।
  3. कुछ लोगों के अनुसार प्राचीन काल में यहाँ ऋषियों और साधुओं का एक विशाल सम्मेलन हुआ था। सम्मेलन के दौरान शैव और वैष्णव लोगों के बीच गंभीर वाद-विवाद खड़ा हो गया। दोनों में बड़ी मुश्किल से सुलह कराई गई। भगवान शिव तथा विष्णु दोनों की मूर्तियों की एक ही मंदिर में स्थापना की गई, उसी स्मृति में यहाँ कार्तिक में पूर्णिमा के अवसर पर मेला आयोजित किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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