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'''आरुणि''' एक महान सिद्ध का नाम है।<ref>[[भागवत पुराण]] 6.15.13</ref>
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#आरुणि तृत्तीय सावर्ण [[मनु]] के युग के सप्तर्षियों में से एक [[ऋषि]] है।<ref>[[ब्रह्माण्ड पुराण]] 4.1.79</ref>
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#आरुणि धर्म से साध्या में उत्पन्न एक साध्य देव का नाम है।<ref>[[मत्स्य पुराण]] 171.43</ref>
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#आरुणि मध्य देश में [[वेद]] शाखा प्रवर्तकों में पहला प्रवर्तक है।<ref>[[वायु पुराण]] 61.9</ref>
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#आरुणि पन्द्रहवें [[द्वापर युग|द्वापर]] के [[व्यास]] जब वेदशिरा हुए थे जिन्हें [[विष्णु]] का अवतार माना जाता है।<ref>[[वायु पुराण]] 23.166</ref>
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#आरुणि ग्यारहवें धर्मसावणिं मनु के युग के सप्तर्षियों में से एक ऋषि है।<ref>[[विष्णु पुराण]] 3.2.31</ref>
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14:08, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

आरुणि एक महान् सिद्ध का नाम है।[1]

  1. आरुणि तृत्तीय सावर्ण मनु के युग के सप्तर्षियों में से एक ऋषि है।[2]
  2. आरुणि धर्म से साध्या में उत्पन्न एक साध्य देव का नाम है।[3]
  3. आरुणि मध्य देश में वेद शाखा प्रवर्तकों में पहला प्रवर्तक है।[4]
  4. आरुणि पन्द्रहवें द्वापर के व्यास जब वेदशिरा हुए थे जिन्हें विष्णु का अवतार माना जाता है।[5]
  5. आरुणि ग्यारहवें धर्मसावणिं मनु के युग के सप्तर्षियों में से एक ऋषि है।[6]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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