"ईस्टर संडे": अवतरणों में अंतर
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'''ईस्टर संडे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Easter Sunday'') [[ईसाई|ईसाइयों]] का | {{सूचना बक्सा त्योहार | ||
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'''ईस्टर संडे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Easter Sunday'') [[ईसाई|ईसाइयों]] का महत्त्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार '[[गुड फ़्राइडे]]' को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन [[ईसा मसीह|ईसा मसीह (यीशु)]] पुनर्जीवित हो गए थे। इस पर्व को [[ईसाई धर्म]] के लोग 'ईस्टर दिवस', 'ईस्टर रविवार' या 'ईस्टर संडे' के रूप में मनाते हैं। ईस्टर संडे, [[गुड फ़्राइडे]] के बाद आने वाले [[रविवार]] को मनाया जाता है। ईस्टर खुशी का दिन होता है। इस पवित्र रविवार को 'खजूर इतवार' भी कहा जाता है। ईस्टर का पर्व नए जीवन और जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ईस्टर संडे को ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकट्ठा होते हैं और जीवित प्रभु की आराधना (उपासना) स्तुति करते हैं और ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं और एक-दूसरे को प्रभु ईशु के नाम पर शुभकामनाएँ देते हैं। ईस्टर भाईचारे और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। | |||
==ईस्टर महापर्व== | ==ईस्टर महापर्व== | ||
ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती | ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं तथा असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपना विश्वास प्रकट किया जाता है। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है। [[ईसाई धर्म]] की कुछ मान्यताओं के अनुसार '[[ईस्टर]]' शब्द की उत्पत्ति 'ईस्त्र' शब्द से हुई है। [[यूरोप]] में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार ईस्त्र वसंत और उर्वरता की एक देवी थी। इस देवी की प्रशंसा में [[अप्रैल]] माह में उत्सव होते थे। जिसके कई अंश यूरोप के ईस्टर उत्सवों में आज भी पाए जाते हैं। इसलिए इसे नवजीवन या ईस्टर महापर्व का नाम दे दिया गया। ईस्टर के पहले वाला [[रविवार]], खजूर रविवार (पाम सन्डे) होता है और ईस्टर के पहले के तीन दिन पवित्र [[बृहस्पतिवार]], [[गुड फ्राइडे]] और पवित्र [[शनिवार]], जिसे कई बार 'मौन शनिवार' भी कहा जाता है, होते हैं। खजूर रविवार, पवित्र बृहस्पतिवार और गुड फ्राइडे क्रमश: येरूशलम में यीशु के प्रवेश, आखिरी रात्रिभोज (द लास्ट सपर) और सूली पर चढ़ाए जाने जैसी घटनाओं से जुड़े हैं। कुछ देशों में ईस्टर दो दिन तक भी मनाया जाता है और दूसरे दिन को ईस्टर सोमवार कहा जाता है।<ref>{{cite web |url=http://religion.bhaskar.com/news/utsav--easter-sunday-today-the-day-jesus-was-resurrected-3072055.html |title=ईस्टर संडे आज, इस दिन पुनर्जीवित हुए थे यीशु |accessmonthday=17 मार्च |accessyear=2015 |last=|first= |authorlink= |format= |publisher=दैनिक भास्कर|language=हिन्दी }} </ref> | ||
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12:09, 7 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण
ईस्टर संडे
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अन्य नाम | ईस्टर दिवस, ईस्टर रविवार, खजूर इतवार |
अनुयायी | ईसाई समुदाय के लोग |
तिथि | 31 मार्च (2024) |
उत्सव | ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकट्ठा होते हैं और जीवित प्रभु की आराधना स्तुति करते हैं और ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं और एक-दूसरे को प्रभु ईशु के नाम पर शुभकामनाएँ देते हैं। |
धार्मिक मान्यता | ईसाई धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार गुड फ़्राइडे को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन अर्थात् ईस्टर संडे को ईसा मसीह (यीशु) पुनर्जीवित हो गए थे। |
संबंधित लेख | ईस्टर, गुड फ़्राइडे, ईसा मसीह, ईसाई धर्म |
अन्य जानकारी | ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है। यूरोप में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार ईस्त्र वसंत और उर्वरता की एक देवी थी। |
ईस्टर संडे (अंग्रेज़ी: Easter Sunday) ईसाइयों का महत्त्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार 'गुड फ़्राइडे' को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन ईसा मसीह (यीशु) पुनर्जीवित हो गए थे। इस पर्व को ईसाई धर्म के लोग 'ईस्टर दिवस', 'ईस्टर रविवार' या 'ईस्टर संडे' के रूप में मनाते हैं। ईस्टर संडे, गुड फ़्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है। ईस्टर खुशी का दिन होता है। इस पवित्र रविवार को 'खजूर इतवार' भी कहा जाता है। ईस्टर का पर्व नए जीवन और जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ईस्टर संडे को ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकट्ठा होते हैं और जीवित प्रभु की आराधना (उपासना) स्तुति करते हैं और ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं और एक-दूसरे को प्रभु ईशु के नाम पर शुभकामनाएँ देते हैं। ईस्टर भाईचारे और स्नेह का प्रतीक माना जाता है।
ईस्टर महापर्व
ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं तथा असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपना विश्वास प्रकट किया जाता है। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है। ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार 'ईस्टर' शब्द की उत्पत्ति 'ईस्त्र' शब्द से हुई है। यूरोप में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार ईस्त्र वसंत और उर्वरता की एक देवी थी। इस देवी की प्रशंसा में अप्रैल माह में उत्सव होते थे। जिसके कई अंश यूरोप के ईस्टर उत्सवों में आज भी पाए जाते हैं। इसलिए इसे नवजीवन या ईस्टर महापर्व का नाम दे दिया गया। ईस्टर के पहले वाला रविवार, खजूर रविवार (पाम सन्डे) होता है और ईस्टर के पहले के तीन दिन पवित्र बृहस्पतिवार, गुड फ्राइडे और पवित्र शनिवार, जिसे कई बार 'मौन शनिवार' भी कहा जाता है, होते हैं। खजूर रविवार, पवित्र बृहस्पतिवार और गुड फ्राइडे क्रमश: येरूशलम में यीशु के प्रवेश, आखिरी रात्रिभोज (द लास्ट सपर) और सूली पर चढ़ाए जाने जैसी घटनाओं से जुड़े हैं। कुछ देशों में ईस्टर दो दिन तक भी मनाया जाता है और दूसरे दिन को ईस्टर सोमवार कहा जाता है।[1]
धार्मिक मान्यता
लगभग दो हज़ार साल पहले येरुशलम के एक पहाड़ के ऊपर बिना किसी कारण ईसा मसीह को क्रूस (सूली) पर चढ़ाकर मार डाला गया। मगर ईसा मसीह तीसरे दिन अपनी क़ब्र में से जी उठे। आज भी उनकी क़ब्र खुली है। ईसा मसीह ने जी उठने के बाद अपने चेलों के साथ 40 दिन रहकर हज़ारों लोगों को दर्शन दिए। ईसा मसीह प्रत्येक जाति के लिए या किसी धर्म की स्थापना के लिए नहीं आए बल्कि प्यार और सत्य बाँटने के लिए आए। ईसा मसीह ने कहा- परमपिता परमेश्वर में हम सब एक हैं, वो अपने लोगों के लिए एक राजा बनके आए थे। जिस क्रूस पर ईसा मसीह को चढ़ाया गया, उस पर उस समय की यूनानी भाषा में लिखा था- नासरत का ईशु यहूदियों का राजा है। लेकिन वे लोग अनजाने में मसीह को क्रूस पर चढ़ा रहे थे। उस समय भी ईशु ने ये कहा- 'हे पिता परमेश्वर, इन लोगों को माफ़ करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।' उन्होंने हमें दूसरों को क्षमा करने का संदेश दिया। हम विश्वास करते हैं कि समस्त मानव जाति के पापों का उद्धार करने के लिए उन्होंने क्रूस पर अपनी जान दी। मसीह पर विश्वास करने वालों को पापों से छुटकारा मिलता है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ईस्टर संडे आज, इस दिन पुनर्जीवित हुए थे यीशु (हिन्दी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 17 मार्च, 2015।
- ↑ चाको, रेजी जे.। ईस्टर संडे का महत्व (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 17 मार्च, 2015।
संबंधित लेख
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