"जयललिता": अवतरणों में अंतर
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|प्रसिद्धि= | |प्रसिद्धि=तमिल अभिनेत्री तथा राजनीतिज्ञ | ||
|पार्टी= | |पार्टी=[[ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम]] | ||
|पद=[[तमिलनाडु]] की | |पद=[[तमिलनाडु]] की पूर्व मुख्यमंत्री | ||
|भाषा=[[तमिल भाषा|तमिल]], [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]], [[अंग्रेज़ी|अंग्रेज़ी]], [[हिंदी]] | |भाषा=[[तमिल भाषा|तमिल]], [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]], [[अंग्रेज़ी|अंग्रेज़ी]], [[हिंदी]] | ||
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|कार्य काल=[[24 जून]] [[1991]] – [[12 मई]] [[1996]] | |कार्य काल=[[24 जून]] [[1991]] – [[12 मई]] [[1996]], [[14 मई]] [[2001]] – [[21 सितम्बर]] [[2001]], [[2 मार्च]] [[2002]] – [[12 मई]] [[2006]], [[16 मई]] [[2011]] से [[27 सितम्बर]], [[2014]] तक। | ||
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|पाठ 1= | |पाठ 1=[[तमिलनाडु]] में जयललिता की लोकप्रियता ज़्यादा है, क्योंकि उनकी योजनाएं सीधे जनता से जुड़ती हैं। उनकी योजनाएं ग़रीबों के हित में हैं; और खास बात ये है कि उनकी योजनाओं को '''अम्मा ब्रांड''' कहा जाता है। | ||
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|अन्य जानकारी=तमिल फ़िल्मों की [[अभिनेत्री]] भी | |अन्य जानकारी=जयललिता तमिल फ़िल्मों की [[अभिनेत्री]] भी थीं। उन्होंने [[तमिल भाषा|तमिल]] के अलावा [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] और [[हिन्दी]] भाषा की लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया था। | ||
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'''जयललिता जयराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jayalalithaa Jayaram'', जन्म:[[24 फ़रवरी]], [[1948]]) [[तमिलनाडु]] की | '''जयललिता जयराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jayalalithaa Jayaram'', जन्म: [[24 फ़रवरी]], [[1948]], [[मैसूर]]; मृत्यु- [[5 दिसम्बर]], [[2016]], [[चेन्नई]]) [[तमिलनाडु]] की [[मुख्यमंत्री]] एवं [[ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम]] (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की प्रसिद्ध नेता थीं। वे तमिल फ़िल्मों की [[अभिनेत्री]] भी रही थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी '''जयललिता''' नारी शक्ति का प्राय: बन गई थीं। | ||
== | ==परिचय== | ||
जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी सन 1948 को [[मैसूर]]<ref>जो कि अब [[कर्नाटक]] का हिस्सा है।</ref> में मांडया ज़िले के पांडवपुर नामक तालुके के मेलुरकोट गाँव में एक 'अय्यर परिवार' में हुआ था। इनके पिता का नाम जयराम वेदवल्ली था तथा माता वेदावती थीं। जयललिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल और बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पाई। उन्होंने उच्च शिक्षा [[चेन्नई]] के चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कान्वेंट और स्टेला मारिस कॉलेज से प्राप्त की थी। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।<ref>{{cite web |url= http://uditbhargavajaipur.blogspot.com/2010/07/jaylalita.html|title=जयललिता (Jaylalita) |accessmonthday=23 मई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=अपने विचार |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | |||
== | ==फ़िल्मी कॅरियर== | ||
[[चित्र:Jayalalitha.jpeg|thumb|left|250px|जयललिता (अभिनेत्री रूप)]] | [[चित्र:Jayalalitha.jpeg|thumb|left|250px|जयललिता (अभिनेत्री रूप)]] | ||
जयललिता ने सिर्फ़ 15 साल की उम्र में [[परिवार]] को चलाने के लिए फ़िल्मों का रुख़ कर लिया। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की थी। [[1964]] में जयललिता को कन्नड़ फ़िल्म 'चिन्नाड़ा गोम्बे' में लीड रोल मिला। जयललिता ने [[हिंदी]], [[कन्नड़|कन्नड़]] और इंग्लिश फ़िल्मों में भी काम किया। उन्होंने जानेमाने निर्देशक श्रीधर की फ़िल्म 'वेन्नीरादई' से अपना फ़िल्मी कॅरियर शुरू किया और लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने [[तमिल भाषा|तमिल]] के अलावा [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] और [[हिन्दी]] फ़िल्मों में भी काम किया। | |||
====एम. जी. रामचंद्रन के साथ जोड़ी==== | |||
सन [[1965]] में जयललिता ने तमिल फ़िल्म में काम किया, जो बहुत बड़ी हिट साबित हुई। इसी साल उन्होंने एम. जी. रामचंद्रन के साथ भी काम किया। [[एम. जी. रामचंद्रन]] [[तमिलनाडु]] के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और जयललिता के पॉलिटिकल मेंटर भी बनें। [[1965]] से [[1972]] के दौर में उन्होंने अधिकतर फ़िल्में एम. जी. रामचंद्रन के साथ कीं। [[1970]] में पार्टी के लोगों के दबाव में एम.जी. आर ने दूसरी अभिनेत्रियों के साथ भी काम करना शुरू कर दिया। वहीं जयललिता भी दूसरे अभिनेताओं के साथ फ़िल्में करने लगीं। करीब 10 सालों तक इन दोनों ने एक साथ कोई फ़िल्म नहीं की। [[1973]] में जयललिता और एम. जी. आर की जोड़ी आखिरी बार नजर आई थी। इन दोनों ने कुल मिलाकर 28 फ़िल्मों में साथ काम किया। [[1980]] में उन्होंने अपनी आखिरी तमिल फ़िल्म में काम किया।<ref>{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/national/article1--tamilnadu-chief-minister-in-films-know-all-about-her-career-621492.html?seq=4 |title=कुछ ऐसा है जयललिता का फ़िल्मी करियर|accessmonthday=08 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format=|publisher=livehindustan.com |language= [[हिन्दी]]}}</ref> | |||
==राजनीतिक जीवन== | |||
पार्टी के अंदर और सरकार में रहते हुए मुश्किल और कठोर फ़ैसलों के लिए मशहूर जयललिता को [[तमिलनाडु]] में 'आयरन लेडी' और तमिलनाडु की 'मारग्रेट थैचर' भी कहा जाता है। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद जयललिता को पूर्व अभिनेता और नेता [[एम. जी. रामचंद्रन]] [[1982]] में राजनीति में लाए। उसी साल वह ए.आई.ए.डी.एम.के. के टिकट पर [[राज्यसभा]] के लिए मनोनीत की गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।<ref name="mcc">{{cite web |url=http://www.dw-world.de/dw/article/0,,15075596,00.html |title= अभिनेत्री से अम्मा तक जयललिता का सफर|accessmonthday=23 मई |accessyear= 2011|last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher= |language= [[हिन्दी]]}}</ref> | पार्टी के अंदर और सरकार में रहते हुए मुश्किल और कठोर फ़ैसलों के लिए मशहूर जयललिता को [[तमिलनाडु]] में 'आयरन लेडी' और तमिलनाडु की 'मारग्रेट थैचर' भी कहा जाता है। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद जयललिता को पूर्व अभिनेता और नेता [[एम. जी. रामचंद्रन]] [[1982]] में राजनीति में लाए। उसी साल वह ए.आई.ए.डी.एम.के. के टिकट पर [[राज्यसभा]] के लिए मनोनीत की गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।<ref name="mcc">{{cite web |url=http://www.dw-world.de/dw/article/0,,15075596,00.html |title= अभिनेत्री से अम्मा तक जयललिता का सफर|accessmonthday=23 मई |accessyear= 2011|last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher= |language= [[हिन्दी]]}}</ref> | ||
[[ब्राह्मण]] विरोधी मंच पर द्रविड़ आंदोलन के नेता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एम. करुणानिधि से जयललिता की लंबी भिड़ंत हुई। राजनीति में [[1982]] में आने के बाद औपचारिक तौर पर उनकी शुरूआत तब हुई, जब वह अन्नाद्रमुक में शामिल हुईं। वर्ष [[1987]] में एम. जी. रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी और उन्होंने व्यापक राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में 68 वर्षीय जयललिता को दो बार पद छोड़ना भी पड़ा, लेकिन दोनों मौके पर वह नाटकीय तौर पर वापसी करने में सफल रहीं। राजनीति में उनकी शुरुआत [[1982]] में हुई, जिसके बाद एमजीआर ने उन्हें अगले साल प्रचार सचिव बना दिया। रामचंद्रन ने करिश्माई छवि की अदाकारा-राजनेता को [[1984]] में राज्यसभा सदस्य बनाया, जिनके साथ उन्होंने 28 फ़िल्में की थीं। जयललिता ने [[1984]] के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभार का तब नेतृत्व किया, जब रामचंद्रन अस्वस्थता के कारण प्रचार नहीं कर सके थे। | |||
==मुख्यमंत्री का पद== | ==मुख्यमंत्री का पद== | ||
[[1991]] में [[प्रधानमंत्री]] [[राजीव गांधी]] की हत्या | [[चित्र:Jayalalitha-1.jpg|thumb|250px|जयललिता]] | ||
वर्ष [[1987]] में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आयीं, लेकिन अन्नाद्रमुक में फूट पड़ गयी। ऐतिहासिक राजाजी हॉल में एमजीआर का शव पड़ा हुआ था और द्रमुक के एक नेता ने उन्हें मंच से हटाने की कोशिश की। बाद में अन्नाद्रमुक दल दो धड़े में बंट गया, जिसे जयललिता और रामचंद्रन की पत्नी जानकी के नाम पर 'अन्नाद्रमुक जे' और 'अन्नाद्रमुक जा' कहा गया। एमजीआर कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री आर. एम. वीरप्पन जैसे नेताओं के खेमे की वजह से अन्नाद्रमुक की निर्विवाद प्रमुख बनने की राह में अड़चन आयी और उन्हें भीषण संघर्ष का सामना करना पड़ा। रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने [[1990]] में एकजुट कर [[1991]] में जबरदस्त बहुमत दिलायी।<ref>{{cite web |url=http://abpnews.abplive.in/india-news/jayalalithaa-was-the-most-powerful-leader-of-tamilnadu-from-last-30-years-510644 |title=तमिलनाडु की राजनीति में तीन दशकों तक लहराया जयललिता का परचम |accessmonthday=06 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=एबीपी न्यूज |language=हिंदी }}</ref> [[1991]] में ही [[प्रधानमंत्री]] [[राजीव गांधी]] की हत्या हुई थी और इसके बाद ही चुनाव में जयललिता ने [[कांग्रेस]] के साथ गठबंधन कर लिया था, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा था। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। [[मुख्यमंत्री]] बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था।<ref name="mcc"/> | |||
[[2001]] में जब | |||
जयललिता ने बोदिनायाकन्नूर से [[1989]] में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं। इस दौरान राजनीतिक और निजी जीवन में कुछ बदलाव आया, जब जयललिता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ द्रमुक ने उन पर हमला किया और उनको परेशान किया। अलबत्ता, पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों, अपने दत्तक पुत्र के [[विवाह]] में जमकर दिखावा और उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने के चलते उन्हें [[1996]] में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी द्रमुक के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी। इसके बाद उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति सहित कई मामले दायर किये गए। अदालती मामलों के बाद उन्हें दो बार पद छोड़ना पड़ा- पहली बार [[2001]] में दूसरी बार [[2014]] में। | |||
==कार्यक्षमता== | |||
जयललिता [[2001]] में जब दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ़्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में [[चावल]] की क़ीमत बढ़ा दी, 5000 [[रुपया|रुपये]] से ज़्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। लेकिन [[2004]] के [[लोक सभा]] चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ़्त बिजली भी बहाल हो गई। उन्हें अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं थी और इस वजह से उन्होंने कई [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] के ख़िलाफ़ मानहानि के मुक़दमे किये।<ref name="mcc"/> | |||
==जयललिता तथा एमजीआर== | |||
[[तमिलनाडु]] की राजनीति के दो नायक [[एम. जी. रामचंद्रन]] (एमजीआर) और जयललिता के आपसी संबंध हमेशा चर्चा का विषय रहे। एमजीआर फिल्मी दुनिया में जयललिता के मेंटर थे तो राजनीति में उनके गुरु। एमजीआर जयललिता से बेहद लगाव रखते थे और वो उनका हर दम ख्याल भी रखते थे। एक बार एक फिल्म की शूटिंग के दौरान जयललिता नंगे पांव थीं और तेज धूप के कारण उनके पैर जलने लगे तो एमजीआर ने उन्हें तकलीफ से बचाने के लिए गोद में उठाकर कार तक पहुंचाया।[[चित्र:Jayalalitha-with-MG-Ramachandran.jpg|thumb|left|300px|जयललिता तथा एम. जी. रामचंद्रन]] बाद में अपने एक इंटरव्यू में इस घटना का जिक्र करते हुए जयललिता ने कहा था कि- "एमजीआर कई बार असल जिंदगी में भी हीरो की भूमिका निभाते थे।" | |||
वाकया उस समय का है जब जयललिता एमजीआर के साथ 'आदिमयप्पन' फिल्म की [[थार रेगिस्तान]] में शूटिंग कर रही थीं। फिल्म में वो गुलाम लड़की का रोल निभा रही थीं, इसलिए उन्हें नंगे पांव शूटिंग करनी थी। चूंकि फिल्म सेट पर बाकी लोगों ने जूते पहन रखे थे, इसलिए किसी को इस बात का अंदाजा नहीं हुआ कि धूप बढ़ने के साथ रेत तपने लगी है। कुछ ही घंटे बाद रेत इतनी गरम हो गई कि जयललिता के पांव बुरी तरह जलने लगे। फिल्म यूनिट के किसी सदस्य ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन एमजीआर ने भांप लिया कि रेत से जयललिता के पांव जल रहे हैं। उन्होंने तत्काल फिल्म की शूटिंग पैक अप करने के लिए कह दिया। जयललिता की जीवनी "अम्माः जयललिताज जर्नी फ्रॉम मूवीज स्टार टू पोलिटिकल क्वीन" लिखने वाली वासंती ने अपनी किताब में इस वाकये का जिक्र किया है। जयललिता की मुश्किल यहीं नहीं खत्म हुई। उनकी गाड़ी शूटिंग स्थल से थोड़ी दूरी पर खड़ी थी। वे तपती रेत पर नंगे पांव रखते हुए कार तक जाने लगीं, लेकिन धीरे-धीरे जलन उनकी सहनशक्ति से बाहर होने लगी और उन्हें लगने लगा कि वे चक्कर खाकर गिर पड़ेंगी। जयललिता ने बाद में एक इंटरव्यू के दौरान उस घटना को याद करते हुए कहा था- "वो नरक से गुजरने जैसा था।" इस बार भी जयललिता की हालत एमजीआर ने समझी और उन्होंने एक शब्द कहे-सुने बिना गोद में उठा लिया और कार तक ले गए। जयललिता ने अपने इंटरव्यू में कहा था- "मैं एक कदम नहीं बढ़ा पा रही थी। मैं गिरने ही वाली थी। मैंने एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन एमजीआर ने मेरा दर्ज समझ लिया होगा। वे पीछे से अचानक आए और मुझे अपनी बांहों में उठा लिया। वे कई बार असल जिंदगी में भी हीरो की भूमिका निभाते थे।"<ref>{{cite web |url=http://www.jansatta.com/national/when-mgr-swept-jayalalithaa-up-in-his-arms-on-a-film-shoot/201598/ |title=जब नंगे पांव चलती जयललिता का दर्द भांप एमजीआर ने गोद में उठाकर पहुंचाया कार तक|accessmonthday=08 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format=|publisher=jansatta.com|language= [[हिन्दी]]}}</ref> | |||
==क्रिकेट से रिश्ता== | |||
'ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' की मुखिया जयललिता ने बॉलीवुड से अपना सफर शुरू किया था, लेकिन उनका एक खास रिश्ता [[क्रिकेट]] से भी रहा। जयललिता ने एक चैट शो के दौरान बताया था कि उनका पहला क्रश [[नरी कॉन्ट्रैक्टर]] थे, जबकि वे [[शम्मी कपूर]] की भी बहुत बड़ी फैन रहीं। नरी कॉन्ट्रैक्टर का पूरा नाम नरीमन जमशेदजी कॉन्ट्रैक्टर था। उन्होंने [[1955]] से [[1962]] के बीच [[भारत]] के लिए 31 टेस्ट मैच खेले। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक और 11 अर्द्ध शतक निकले थे। कॉन्ट्रैक्टर का जन्म [[7 मार्च]], [[1934]] को [[गुजरात]] के गोधरा में हुआ था। उन्होंने 52 टेस्ट पारियों में 31.58 की औसत से 1611 रन बनाए थे। [[दिल्ली]] में वेस्टइंडीज के खिलाफ [[1958]]-[[1959]] में 92 रनों की पारी खेलकर उन्होंने सनसनी मचा दी थी। [[1960]]-[[1961]] में उन्होंने [[पाकिस्तान]] के खिलाफ भारतीय टीम की कमान संभाली थी। उस समय उनकी उम्र 26 साल की थी और वे उस समय भारत के सबसे कम उम्र में बने टेस्ट कप्तान थे। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को [[इंग्लैंड]] के खिलाफ जीत दिलाई थी। बल्लेबाज और कप्तान के तौर पर वे अपने कॅरियर के चरम पर थे। [[1962]] में इंडियन टूरिस्ट कॉलोनी और बारबाडोस के बीच खेले गए मैच में उन्हें चार्ली ग्रिफिथ की गेंद सिर में जा लगी। कुछ समय तक उनकी जिंदगी खतरे में थी। उनकी कई सर्जरी करनी पड़ी, जिसके बाद वे खतरे से बाहर निकले। इसके बाद उनका अंतरराष्ट्रीय कॅरियर खत्म हो गया। दो साल बाद उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वापसी तो की, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी नहीं कर सके। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके बल्ले से 138 मैचों में 39.86 की औसत से 8611 रन निकले थे।<ref>{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/cricket/article1-all-about-former-indian-cricketer-and-test-captain-nari-contractor-622778.html |title='अम्मा' का पहला क्रश था ये क्रिकेटर, एक हादसे ने सब कर दिया ख़त्म!|accessmonthday=08 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format=|publisher=livehindustan.com|language= [[हिन्दी]]}}</ref> | |||
[[हिन्दी]] सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री रहीं [[शर्मिला टैगोर]] ने जयललिता को श्रद्धंजलि देते हुए बताया था कि उन्हें पटौदी को बल्लेबाज़ी करते देखना बहुत पसंद था और वे सिर्फ नवाब पटौदी को देखने के लिए मैदान पर जाती थीं। शर्मिला टेगौर का कहना था कि उन्होंने ये भी सुना था कि जयललिता मैदान पर दूरबीन लेकर जाती थीं ताकि वे पटौदी को पास से देख सके। वैसे यह भी उल्लेखनीय है कि जयललिता ने एक इंटरव्यू के दौरान ये भी कहा था कि उन्हें [[भारत]] के पूर्व कप्तान [[नरी कॉन्ट्रैक्टर]] भी बहुत पसंद थे।<ref>{{cite web |url=http://www.jagran.com/cricket/bouncer-jayalalitha-was-a-big-fan-of-nawab-patudi-and-nari-contractor-15163923.html |title=इस क्रिकेटर ने किया था जयललिता के दिल पर राज, दूरबीन से देखती थीं बल्लेबाज़ी|accessmonthday=08 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format=|publisher=jagran.com|language= [[हिन्दी]]}}</ref> | |||
==जनता की भगवान 'अम्मा'== | |||
[[चित्र:Jailalita-with-her-family.jpg|thumb|250px|जयललिता अपनी माँ तथा भाई के साथ]] | |||
जयललिता (अम्मा) को जनता भगवान की तरह पूजती है। [[2014]] में जब जयललिता को जेल भेजा गया तो उनके कई समर्थकों ने आत्महत्या कर ली। दरअसल जयललिता की लोकप्रियता इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि उनकी योजनाएं सीधे जनता से जुड़ती हैं। उनकी योजनाएं ग़रीबों के हित में हैं; और खास बात ये है कि जयललिता की योजनाओं को '''अम्मा ब्रांड''' कहा जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.prabhatkhabar.com/news/delhi/jayalalithaa-died-tamil-nadu-narendra-modi-depart-chennai-jayalalitha-passes-away/904364.html |title=जानें क्यों भगवान मानती है जनता |accessmonthday=06 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=prabhatkhabar.com |language=हिंदी }}</ref> | |||
;अम्मा कैंटीन | |||
अम्मा कैंटीन में 1 रुपये में इडली सांभर और 5 रुपये में [[चावल]] मिलता है। राज्य के सभी बड़े शहरों में अम्मा कैंटीन खुली हुई हैं। | |||
;अम्मा मिनरल वाटर | |||
10 रुपये में मिनरल वाटर की बोतल मिलती है। [[चेन्नई]] समेत सभी प्रमुख शहरों तथा रेलवे स्टेशन-बस स्टैंड के आसपास ये बिकती है। | |||
;अम्मा फार्मेसी | |||
[[तमिलनाडु]] के प्रमुख अस्पतालों के पास खुले फार्मेसी में सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध हैं। | |||
;अम्मा सीमेंट | |||
गरीबों को घर बनाने के लिए सस्ते में सीमेंट बेचने की योजना को लोगों ने पसंद किया है। | |||
;बेबी केयर किट | |||
अम्मा बेबी केयर किट में मच्छरदानी, मैट्रेस, साबुन, कपड़े, नैपकीन, बेबी शैंपू 16 सामान मुफ़्त में दिये जाते हैं। | |||
;अम्मा मोबाइल | |||
इस योजना में तमिलनाडु के स्वयं सहायता समूहों को फ्री में स्मार्टफोन मिलता है। इसके अलावा अम्मा सॉल्ट, अम्मा सीड्स आदि बांड भी हैं। | |||
;काफ़ी कुछ मुफ़्त में | |||
गरीब औरतों को मिक्सर ग्राइंडर, लड़कियों को साइकिलें, छात्रों को स्कूल बैग, किताबें, यूनिफाॅर्म तथा मुफ़्त में मास्टर हेल्थ चेकअप की सुविधा भी मिलती है। | |||
==निधन== | |||
जयललिता का निधन [[5 दिसम्बर]], [[2016]] को [[चेन्नई]] में हुआ। उन्होंने [[सोमवार]] के दिन रात 11: 30 बजे आखिरी सांस ली। जयललिता को कार्डियक अरेस्ट ([[हृदय]] की गति रुकना) आने के बाद से उनकी हालत गंभीर थी। वे करीब दो माह से अस्पताल में भर्ती थीं और उनका इलाज चल रहा था। | |||
अन्य द्रविड़ नेताओं के उलट जयललिता की पूरी आस्था भगवान में थी। वह नियमित रूप से प्रार्थना करती थीं और माथे पर आयंगर समुदाय के लोगों की तरह [[तिलक]] भी लगाती थीं। बावजूद इसके तमिलनाडु सरकार और शशिकला परिवार ने हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से [[दाह संस्कार]] करने की बजाय उनके शव को दफनाने का फैसला किया। जयललिता के शव को [[एम. जी. रामचंद्रन]] की समाधि के साथ ही दफनाया गया। राज्य सरकार के एक अधिकारी के अनुसार- "जयललिता हमारे लिए आयंगर नहीं थीं। वह किसी भी जाति या [[धर्म]] से ऊपर थीं। उनसे पहले पेरियार, [[सी. एन. अन्नादुराई|अन्नादुराई]] और [[एम. जी. रामचंद्रन]] सहित अधिकतर द्रविड़ नेताओं को दफनाया गया है। हम मौत के बाद भी किसी को आग की लपटों के हवाले नहीं कर सकते। हम उन्हें स्मारक के रूप में याद रखना चाहते हैं। इसलिए [[चंदन]] और गुलाब जल के साथ उनके पार्थिव शरीर को दफनाने का फैसला लिया गया।"<ref>{{cite web |url= http://www.livehindustan.com/news/national/article1-jayalalitha-didnt-cremated-she-buried-622383.html|title=दाह संस्कार के बजाय दफनाई गईं अम्मा |accessmonthday=08 दिसम्बर |accessyear=2016|last= |first= |authorlink= |format=|publisher=livehindustan.com |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | |||
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*[http://www.jansatta.com/rajya/telangana/chennai/jayalalithaa-funeral-creamation-photos-rajaji-hall-marina-beach-india/201766/ क्यों ब्राह्मण होने के बावजूद दाह संस्कार करने के बजाय दफनाई गईं जयललिता] | |||
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09:20, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
जयललिता
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पूरा नाम | जयललिता जयराम |
जन्म | 24 फ़रवरी, 1948 |
जन्म भूमि | मैसूर |
मृत्यु | 5 दिसम्बर, 2016 |
मृत्यु स्थान | चेन्नई, तमिलनाडु |
अभिभावक | पिता- जयराम वेदवल्ली, माता- वेदावती |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | तमिल अभिनेत्री तथा राजनीतिज्ञ |
पार्टी | ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम |
पद | तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री |
कार्य काल | 24 जून 1991 – 12 मई 1996, 14 मई 2001 – 21 सितम्बर 2001, 2 मार्च 2002 – 12 मई 2006, 16 मई 2011 से 27 सितम्बर, 2014 तक। |
भाषा | तमिल, तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेज़ी, हिंदी |
विशेष | तमिलनाडु में जयललिता की लोकप्रियता ज़्यादा है, क्योंकि उनकी योजनाएं सीधे जनता से जुड़ती हैं। उनकी योजनाएं ग़रीबों के हित में हैं; और खास बात ये है कि उनकी योजनाओं को अम्मा ब्रांड कहा जाता है। |
अन्य जानकारी | जयललिता तमिल फ़िल्मों की अभिनेत्री भी थीं। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी भाषा की लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया था। |
अद्यतन | 01:58, 06 दिसम्बर-2016 (IST)
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जयललिता जयराम (अंग्रेज़ी: Jayalalithaa Jayaram, जन्म: 24 फ़रवरी, 1948, मैसूर; मृत्यु- 5 दिसम्बर, 2016, चेन्नई) तमिलनाडु की मुख्यमंत्री एवं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की प्रसिद्ध नेता थीं। वे तमिल फ़िल्मों की अभिनेत्री भी रही थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी जयललिता नारी शक्ति का प्राय: बन गई थीं।
परिचय
जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी सन 1948 को मैसूर[1] में मांडया ज़िले के पांडवपुर नामक तालुके के मेलुरकोट गाँव में एक 'अय्यर परिवार' में हुआ था। इनके पिता का नाम जयराम वेदवल्ली था तथा माता वेदावती थीं। जयललिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल और बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पाई। उन्होंने उच्च शिक्षा चेन्नई के चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कान्वेंट और स्टेला मारिस कॉलेज से प्राप्त की थी। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।[2]
फ़िल्मी कॅरियर
जयललिता ने सिर्फ़ 15 साल की उम्र में परिवार को चलाने के लिए फ़िल्मों का रुख़ कर लिया। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की थी। 1964 में जयललिता को कन्नड़ फ़िल्म 'चिन्नाड़ा गोम्बे' में लीड रोल मिला। जयललिता ने हिंदी, कन्नड़ और इंग्लिश फ़िल्मों में भी काम किया। उन्होंने जानेमाने निर्देशक श्रीधर की फ़िल्म 'वेन्नीरादई' से अपना फ़िल्मी कॅरियर शुरू किया और लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी फ़िल्मों में भी काम किया।
एम. जी. रामचंद्रन के साथ जोड़ी
सन 1965 में जयललिता ने तमिल फ़िल्म में काम किया, जो बहुत बड़ी हिट साबित हुई। इसी साल उन्होंने एम. जी. रामचंद्रन के साथ भी काम किया। एम. जी. रामचंद्रन तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और जयललिता के पॉलिटिकल मेंटर भी बनें। 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फ़िल्में एम. जी. रामचंद्रन के साथ कीं। 1970 में पार्टी के लोगों के दबाव में एम.जी. आर ने दूसरी अभिनेत्रियों के साथ भी काम करना शुरू कर दिया। वहीं जयललिता भी दूसरे अभिनेताओं के साथ फ़िल्में करने लगीं। करीब 10 सालों तक इन दोनों ने एक साथ कोई फ़िल्म नहीं की। 1973 में जयललिता और एम. जी. आर की जोड़ी आखिरी बार नजर आई थी। इन दोनों ने कुल मिलाकर 28 फ़िल्मों में साथ काम किया। 1980 में उन्होंने अपनी आखिरी तमिल फ़िल्म में काम किया।[3]
राजनीतिक जीवन
पार्टी के अंदर और सरकार में रहते हुए मुश्किल और कठोर फ़ैसलों के लिए मशहूर जयललिता को तमिलनाडु में 'आयरन लेडी' और तमिलनाडु की 'मारग्रेट थैचर' भी कहा जाता है। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद जयललिता को पूर्व अभिनेता और नेता एम. जी. रामचंद्रन 1982 में राजनीति में लाए। उसी साल वह ए.आई.ए.डी.एम.के. के टिकट पर राज्यसभा के लिए मनोनीत की गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।[4]
ब्राह्मण विरोधी मंच पर द्रविड़ आंदोलन के नेता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एम. करुणानिधि से जयललिता की लंबी भिड़ंत हुई। राजनीति में 1982 में आने के बाद औपचारिक तौर पर उनकी शुरूआत तब हुई, जब वह अन्नाद्रमुक में शामिल हुईं। वर्ष 1987 में एम. जी. रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी और उन्होंने व्यापक राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में 68 वर्षीय जयललिता को दो बार पद छोड़ना भी पड़ा, लेकिन दोनों मौके पर वह नाटकीय तौर पर वापसी करने में सफल रहीं। राजनीति में उनकी शुरुआत 1982 में हुई, जिसके बाद एमजीआर ने उन्हें अगले साल प्रचार सचिव बना दिया। रामचंद्रन ने करिश्माई छवि की अदाकारा-राजनेता को 1984 में राज्यसभा सदस्य बनाया, जिनके साथ उन्होंने 28 फ़िल्में की थीं। जयललिता ने 1984 के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभार का तब नेतृत्व किया, जब रामचंद्रन अस्वस्थता के कारण प्रचार नहीं कर सके थे।
मुख्यमंत्री का पद
वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आयीं, लेकिन अन्नाद्रमुक में फूट पड़ गयी। ऐतिहासिक राजाजी हॉल में एमजीआर का शव पड़ा हुआ था और द्रमुक के एक नेता ने उन्हें मंच से हटाने की कोशिश की। बाद में अन्नाद्रमुक दल दो धड़े में बंट गया, जिसे जयललिता और रामचंद्रन की पत्नी जानकी के नाम पर 'अन्नाद्रमुक जे' और 'अन्नाद्रमुक जा' कहा गया। एमजीआर कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री आर. एम. वीरप्पन जैसे नेताओं के खेमे की वजह से अन्नाद्रमुक की निर्विवाद प्रमुख बनने की राह में अड़चन आयी और उन्हें भीषण संघर्ष का सामना करना पड़ा। रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने 1990 में एकजुट कर 1991 में जबरदस्त बहुमत दिलायी।[5] 1991 में ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी और इसके बाद ही चुनाव में जयललिता ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा था। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था।[4]
जयललिता ने बोदिनायाकन्नूर से 1989 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं। इस दौरान राजनीतिक और निजी जीवन में कुछ बदलाव आया, जब जयललिता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ द्रमुक ने उन पर हमला किया और उनको परेशान किया। अलबत्ता, पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों, अपने दत्तक पुत्र के विवाह में जमकर दिखावा और उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने के चलते उन्हें 1996 में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी द्रमुक के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी। इसके बाद उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति सहित कई मामले दायर किये गए। अदालती मामलों के बाद उन्हें दो बार पद छोड़ना पड़ा- पहली बार 2001 में दूसरी बार 2014 में।
कार्यक्षमता
जयललिता 2001 में जब दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ़्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में चावल की क़ीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज़्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। लेकिन 2004 के लोक सभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ़्त बिजली भी बहाल हो गई। उन्हें अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं थी और इस वजह से उन्होंने कई समाचार पत्रों के ख़िलाफ़ मानहानि के मुक़दमे किये।[4]
जयललिता तथा एमजीआर
तमिलनाडु की राजनीति के दो नायक एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) और जयललिता के आपसी संबंध हमेशा चर्चा का विषय रहे। एमजीआर फिल्मी दुनिया में जयललिता के मेंटर थे तो राजनीति में उनके गुरु। एमजीआर जयललिता से बेहद लगाव रखते थे और वो उनका हर दम ख्याल भी रखते थे। एक बार एक फिल्म की शूटिंग के दौरान जयललिता नंगे पांव थीं और तेज धूप के कारण उनके पैर जलने लगे तो एमजीआर ने उन्हें तकलीफ से बचाने के लिए गोद में उठाकर कार तक पहुंचाया।
बाद में अपने एक इंटरव्यू में इस घटना का जिक्र करते हुए जयललिता ने कहा था कि- "एमजीआर कई बार असल जिंदगी में भी हीरो की भूमिका निभाते थे।"
वाकया उस समय का है जब जयललिता एमजीआर के साथ 'आदिमयप्पन' फिल्म की थार रेगिस्तान में शूटिंग कर रही थीं। फिल्म में वो गुलाम लड़की का रोल निभा रही थीं, इसलिए उन्हें नंगे पांव शूटिंग करनी थी। चूंकि फिल्म सेट पर बाकी लोगों ने जूते पहन रखे थे, इसलिए किसी को इस बात का अंदाजा नहीं हुआ कि धूप बढ़ने के साथ रेत तपने लगी है। कुछ ही घंटे बाद रेत इतनी गरम हो गई कि जयललिता के पांव बुरी तरह जलने लगे। फिल्म यूनिट के किसी सदस्य ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन एमजीआर ने भांप लिया कि रेत से जयललिता के पांव जल रहे हैं। उन्होंने तत्काल फिल्म की शूटिंग पैक अप करने के लिए कह दिया। जयललिता की जीवनी "अम्माः जयललिताज जर्नी फ्रॉम मूवीज स्टार टू पोलिटिकल क्वीन" लिखने वाली वासंती ने अपनी किताब में इस वाकये का जिक्र किया है। जयललिता की मुश्किल यहीं नहीं खत्म हुई। उनकी गाड़ी शूटिंग स्थल से थोड़ी दूरी पर खड़ी थी। वे तपती रेत पर नंगे पांव रखते हुए कार तक जाने लगीं, लेकिन धीरे-धीरे जलन उनकी सहनशक्ति से बाहर होने लगी और उन्हें लगने लगा कि वे चक्कर खाकर गिर पड़ेंगी। जयललिता ने बाद में एक इंटरव्यू के दौरान उस घटना को याद करते हुए कहा था- "वो नरक से गुजरने जैसा था।" इस बार भी जयललिता की हालत एमजीआर ने समझी और उन्होंने एक शब्द कहे-सुने बिना गोद में उठा लिया और कार तक ले गए। जयललिता ने अपने इंटरव्यू में कहा था- "मैं एक कदम नहीं बढ़ा पा रही थी। मैं गिरने ही वाली थी। मैंने एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन एमजीआर ने मेरा दर्ज समझ लिया होगा। वे पीछे से अचानक आए और मुझे अपनी बांहों में उठा लिया। वे कई बार असल जिंदगी में भी हीरो की भूमिका निभाते थे।"[6]
क्रिकेट से रिश्ता
'ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' की मुखिया जयललिता ने बॉलीवुड से अपना सफर शुरू किया था, लेकिन उनका एक खास रिश्ता क्रिकेट से भी रहा। जयललिता ने एक चैट शो के दौरान बताया था कि उनका पहला क्रश नरी कॉन्ट्रैक्टर थे, जबकि वे शम्मी कपूर की भी बहुत बड़ी फैन रहीं। नरी कॉन्ट्रैक्टर का पूरा नाम नरीमन जमशेदजी कॉन्ट्रैक्टर था। उन्होंने 1955 से 1962 के बीच भारत के लिए 31 टेस्ट मैच खेले। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक और 11 अर्द्ध शतक निकले थे। कॉन्ट्रैक्टर का जन्म 7 मार्च, 1934 को गुजरात के गोधरा में हुआ था। उन्होंने 52 टेस्ट पारियों में 31.58 की औसत से 1611 रन बनाए थे। दिल्ली में वेस्टइंडीज के खिलाफ 1958-1959 में 92 रनों की पारी खेलकर उन्होंने सनसनी मचा दी थी। 1960-1961 में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम की कमान संभाली थी। उस समय उनकी उम्र 26 साल की थी और वे उस समय भारत के सबसे कम उम्र में बने टेस्ट कप्तान थे। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को इंग्लैंड के खिलाफ जीत दिलाई थी। बल्लेबाज और कप्तान के तौर पर वे अपने कॅरियर के चरम पर थे। 1962 में इंडियन टूरिस्ट कॉलोनी और बारबाडोस के बीच खेले गए मैच में उन्हें चार्ली ग्रिफिथ की गेंद सिर में जा लगी। कुछ समय तक उनकी जिंदगी खतरे में थी। उनकी कई सर्जरी करनी पड़ी, जिसके बाद वे खतरे से बाहर निकले। इसके बाद उनका अंतरराष्ट्रीय कॅरियर खत्म हो गया। दो साल बाद उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वापसी तो की, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी नहीं कर सके। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके बल्ले से 138 मैचों में 39.86 की औसत से 8611 रन निकले थे।[7]
हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री रहीं शर्मिला टैगोर ने जयललिता को श्रद्धंजलि देते हुए बताया था कि उन्हें पटौदी को बल्लेबाज़ी करते देखना बहुत पसंद था और वे सिर्फ नवाब पटौदी को देखने के लिए मैदान पर जाती थीं। शर्मिला टेगौर का कहना था कि उन्होंने ये भी सुना था कि जयललिता मैदान पर दूरबीन लेकर जाती थीं ताकि वे पटौदी को पास से देख सके। वैसे यह भी उल्लेखनीय है कि जयललिता ने एक इंटरव्यू के दौरान ये भी कहा था कि उन्हें भारत के पूर्व कप्तान नरी कॉन्ट्रैक्टर भी बहुत पसंद थे।[8]
जनता की भगवान 'अम्मा'
जयललिता (अम्मा) को जनता भगवान की तरह पूजती है। 2014 में जब जयललिता को जेल भेजा गया तो उनके कई समर्थकों ने आत्महत्या कर ली। दरअसल जयललिता की लोकप्रियता इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि उनकी योजनाएं सीधे जनता से जुड़ती हैं। उनकी योजनाएं ग़रीबों के हित में हैं; और खास बात ये है कि जयललिता की योजनाओं को अम्मा ब्रांड कहा जाता है।[9]
- अम्मा कैंटीन
अम्मा कैंटीन में 1 रुपये में इडली सांभर और 5 रुपये में चावल मिलता है। राज्य के सभी बड़े शहरों में अम्मा कैंटीन खुली हुई हैं।
- अम्मा मिनरल वाटर
10 रुपये में मिनरल वाटर की बोतल मिलती है। चेन्नई समेत सभी प्रमुख शहरों तथा रेलवे स्टेशन-बस स्टैंड के आसपास ये बिकती है।
- अम्मा फार्मेसी
तमिलनाडु के प्रमुख अस्पतालों के पास खुले फार्मेसी में सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध हैं।
- अम्मा सीमेंट
गरीबों को घर बनाने के लिए सस्ते में सीमेंट बेचने की योजना को लोगों ने पसंद किया है।
- बेबी केयर किट
अम्मा बेबी केयर किट में मच्छरदानी, मैट्रेस, साबुन, कपड़े, नैपकीन, बेबी शैंपू 16 सामान मुफ़्त में दिये जाते हैं।
- अम्मा मोबाइल
इस योजना में तमिलनाडु के स्वयं सहायता समूहों को फ्री में स्मार्टफोन मिलता है। इसके अलावा अम्मा सॉल्ट, अम्मा सीड्स आदि बांड भी हैं।
- काफ़ी कुछ मुफ़्त में
गरीब औरतों को मिक्सर ग्राइंडर, लड़कियों को साइकिलें, छात्रों को स्कूल बैग, किताबें, यूनिफाॅर्म तथा मुफ़्त में मास्टर हेल्थ चेकअप की सुविधा भी मिलती है।
निधन
जयललिता का निधन 5 दिसम्बर, 2016 को चेन्नई में हुआ। उन्होंने सोमवार के दिन रात 11: 30 बजे आखिरी सांस ली। जयललिता को कार्डियक अरेस्ट (हृदय की गति रुकना) आने के बाद से उनकी हालत गंभीर थी। वे करीब दो माह से अस्पताल में भर्ती थीं और उनका इलाज चल रहा था।
अन्य द्रविड़ नेताओं के उलट जयललिता की पूरी आस्था भगवान में थी। वह नियमित रूप से प्रार्थना करती थीं और माथे पर आयंगर समुदाय के लोगों की तरह तिलक भी लगाती थीं। बावजूद इसके तमिलनाडु सरकार और शशिकला परिवार ने हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से दाह संस्कार करने की बजाय उनके शव को दफनाने का फैसला किया। जयललिता के शव को एम. जी. रामचंद्रन की समाधि के साथ ही दफनाया गया। राज्य सरकार के एक अधिकारी के अनुसार- "जयललिता हमारे लिए आयंगर नहीं थीं। वह किसी भी जाति या धर्म से ऊपर थीं। उनसे पहले पेरियार, अन्नादुराई और एम. जी. रामचंद्रन सहित अधिकतर द्रविड़ नेताओं को दफनाया गया है। हम मौत के बाद भी किसी को आग की लपटों के हवाले नहीं कर सकते। हम उन्हें स्मारक के रूप में याद रखना चाहते हैं। इसलिए चंदन और गुलाब जल के साथ उनके पार्थिव शरीर को दफनाने का फैसला लिया गया।"[10]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है।
- ↑ जयललिता (Jaylalita) (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.) अपने विचार। अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
- ↑ कुछ ऐसा है जयललिता का फ़िल्मी करियर (हिन्दी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2016।
- ↑ 4.0 4.1 4.2 अभिनेत्री से अम्मा तक जयललिता का सफर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
- ↑ तमिलनाडु की राजनीति में तीन दशकों तक लहराया जयललिता का परचम (हिंदी) एबीपी न्यूज। अभिगमन तिथि: 06 दिसम्बर, 2016।
- ↑ जब नंगे पांव चलती जयललिता का दर्द भांप एमजीआर ने गोद में उठाकर पहुंचाया कार तक (हिन्दी) jansatta.com। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2016।
- ↑ 'अम्मा' का पहला क्रश था ये क्रिकेटर, एक हादसे ने सब कर दिया ख़त्म! (हिन्दी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2016।
- ↑ इस क्रिकेटर ने किया था जयललिता के दिल पर राज, दूरबीन से देखती थीं बल्लेबाज़ी (हिन्दी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2016।
- ↑ जानें क्यों भगवान मानती है जनता (हिंदी) prabhatkhabar.com। अभिगमन तिथि: 06 दिसम्बर, 2016।
- ↑ दाह संस्कार के बजाय दफनाई गईं अम्मा (हिन्दी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
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