"अंतरात्मा की सुनो -रश्मि प्रभा": अवतरणों में अंतर
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निरुत्तर ही रहूँगा …… | निरुत्तर ही रहूँगा …… | ||
तुम्हारे अनुमानों में मेरा जो भी रूप उभरे | तुम्हारे अनुमानों में मेरा जो भी रूप उभरे | ||
तुम्हारे | तुम्हारे हृदय से जो भी सज़ा निकले | ||
मुझे स्वीकार है | मुझे स्वीकार है | ||
क्योंकि मेरे जन्म के लिए तुम हर साल | क्योंकि मेरे जन्म के लिए तुम हर साल | ||
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09:53, 24 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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फिर आया वह दिन |
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