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*'[[रामायण]]' के अनुसार सुकेतु | *'[[रामायण]]' के अनुसार सुकेतु महान् पराक्रमी तथा सदाचारी था, किंतु इसके कोई संतान नहीं थी। | ||
*संतान प्राप्ति के लिए सुकेतु ने घोर तपस्या की। इसकी तपस्या से प्रसन्न होकर [[ब्रह्मा]] ने इसे ताड़का नाम की कन्या दी। | *संतान प्राप्ति के लिए सुकेतु ने घोर तपस्या की। इसकी तपस्या से प्रसन्न होकर [[ब्रह्मा]] ने इसे ताड़का नाम की कन्या दी। | ||
*ताड़का बड़ी ही शैतान निकली। वह [[विश्वामित्र]] की तपस्या में विघ्न डालती थी। उसका वध विश्वामित्र के अनुरोध पर [[राम]] ने किया।<ref>रामचरितमानस बालकाण्ड 208.22-3</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=523|url=}}</ref> | *ताड़का बड़ी ही शैतान निकली। वह [[विश्वामित्र]] की तपस्या में विघ्न डालती थी। उसका वध विश्वामित्र के अनुरोध पर [[राम]] ने किया।<ref>रामचरितमानस बालकाण्ड 208.22-3</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=523|url=}}</ref> |
11:03, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
सुकेतु | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सुकेतु (बहुविकल्पी) |
सुकेतु एक यक्ष था, जो ताड़का राक्षसी का पिता था। यह बिहार में बक्सर विश्वामित्र के आश्रम के ही निकट रहता था।
- 'रामायण' के अनुसार सुकेतु महान् पराक्रमी तथा सदाचारी था, किंतु इसके कोई संतान नहीं थी।
- संतान प्राप्ति के लिए सुकेतु ने घोर तपस्या की। इसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने इसे ताड़का नाम की कन्या दी।
- ताड़का बड़ी ही शैतान निकली। वह विश्वामित्र की तपस्या में विघ्न डालती थी। उसका वध विश्वामित्र के अनुरोध पर राम ने किया।[1][2]
इन्हें भी देखें: महाभारत, ताड़का, विश्वामित्र, राम एवं रामायण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख