"राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "संगृहीत" to "संग्रहीत") |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
'''राष्ट्रीय संग्रहालय''' [[नई दिल्ली]] के दस जनपथ में स्थित है। नई दिल्ली का यह राष्ट्रीय संग्रहालय देश के सबसे अच्छे संग्रहालयों में से एक है। सन् [[1949]] में [[दिल्ली]] में स्थापित इस संग्रहालय में कई प्रकार की रोचक चीजें प्रदर्शित हैं। सांस्कृतिक मंत्रालय के अधीन कार्यरत यह मौलाना आज़ाद रोड और जनपथ के किनारे पर स्थित है और इसमें प्राग-ऐतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग की विभिन्न प्रकार की कलाओं को प्रदर्शित किया गया है। | '''राष्ट्रीय संग्रहालय''' [[नई दिल्ली]] के दस जनपथ में स्थित है। नई दिल्ली का यह राष्ट्रीय संग्रहालय देश के सबसे अच्छे संग्रहालयों में से एक है। सन् [[1949]] में [[दिल्ली]] में स्थापित इस संग्रहालय में कई प्रकार की रोचक चीजें प्रदर्शित हैं। सांस्कृतिक मंत्रालय के अधीन कार्यरत यह मौलाना आज़ाद रोड और जनपथ के किनारे पर स्थित है और इसमें प्राग-ऐतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग की विभिन्न प्रकार की कलाओं को प्रदर्शित किया गया है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
इस संग्रहालय की शुरुआत 1947-48 में [[लंदन]] में आयोजित भारतीय वस्तुओं की प्रदर्शिनी के साथ हुई। रॉयल अकादमी, लंदन में आयोजित इस प्रदर्शिनी के संचालक ने इस प्रदर्शिनी में प्रदर्शित अनोखी वस्तुओं को उनके मूल संग्रहालयों में वापस करने से पूर्व भारत में प्रदर्शित करने का निश्चय किया। जिसके परिणामस्वरूप ये सभी वस्तुयें दिल्ली के [[राष्ट्रपति भवन]] में प्रदर्शित की गईं। [[चित्र:National-Museum-Delhi-1.jpg|left|thumb|250px|राष्ट्रीय संग्रहालय, [[दिल्ली]]]] इस प्रदर्शिनी ने इतने अधिक पारखियों को आकर्षित किया कि दिल्ली में ही राष्ट्रीय संग्रहालय को बनाने का निश्चय किया गया। इस प्रकार राष्ट्रीय संग्रहालय उसी वर्ष अस्तित्व में आया और इसका उद्घाटन [[भारत]] के तत्कालीन गवर्नर [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]] ने किया था। हालाँकि, वर्तमान संग्रहालय की इमारत [[1960]] में बनकर तैयार हुई और उसके | इस संग्रहालय की शुरुआत 1947-48 में [[लंदन]] में आयोजित भारतीय वस्तुओं की प्रदर्शिनी के साथ हुई। रॉयल अकादमी, लंदन में आयोजित इस प्रदर्शिनी के संचालक ने इस प्रदर्शिनी में प्रदर्शित अनोखी वस्तुओं को उनके मूल संग्रहालयों में वापस करने से पूर्व भारत में प्रदर्शित करने का निश्चय किया। जिसके परिणामस्वरूप ये सभी वस्तुयें दिल्ली के [[राष्ट्रपति भवन]] में प्रदर्शित की गईं। [[चित्र:National-Museum-Delhi-1.jpg|left|thumb|250px|राष्ट्रीय संग्रहालय, [[दिल्ली]]]] इस प्रदर्शिनी ने इतने अधिक पारखियों को आकर्षित किया कि दिल्ली में ही राष्ट्रीय संग्रहालय को बनाने का निश्चय किया गया। इस प्रकार राष्ट्रीय संग्रहालय उसी वर्ष अस्तित्व में आया और इसका उद्घाटन [[भारत]] के तत्कालीन गवर्नर [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]] ने किया था। हालाँकि, वर्तमान संग्रहालय की इमारत [[1960]] में बनकर तैयार हुई और उसके पश्चात् इसे जनता के लिये खोला गया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/delhi/attractions/national-museum/ |title=राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली |accessmonthday=9 जनवरी |accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी नेटिव प्लेनेट |language= हिन्दी}}</ref> | ||
==उद्देश्य== | ==उद्देश्य== | ||
* ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व की पुरावस्तुओं एवं कलाकृतियों को प्रदर्शन, सुरक्षा, परिरक्षण और निर्वचन (शोध) के प्रयोजन हेतु संग्रहीत करना। | * ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व की पुरावस्तुओं एवं कलाकृतियों को प्रदर्शन, सुरक्षा, परिरक्षण और निर्वचन (शोध) के प्रयोजन हेतु संग्रहीत करना। | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
* [[भारत]] में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। वर्तमान में संग्रहालय में दो लाख से ज्यादा भारतीय और विदेशी मूल की वस्तुयें प्रदर्शित हैं। इनमें 2700 ईसा पूर्व के [[टेराकोटा]] और [[काँस्य]] से बनी वस्तुयें, [[मौर्य काल]] की लकड़ी की मूर्तियाँ, [[दक्षिण भारत]] के [[विजय नगर साम्राज्य|विजय नगर]] की कालात्मक वस्तुयें, [[गुप्तकाल]], [[सिन्धु घाटी सभ्यता]], [[मुग़ल काल]], गन्धर्वकाल और कई अन्य समय की प्राचीन वस्तुयें प्रदर्शित हैं। | * [[भारत]] में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। वर्तमान में संग्रहालय में दो लाख से ज्यादा भारतीय और विदेशी मूल की वस्तुयें प्रदर्शित हैं। इनमें 2700 ईसा पूर्व के [[टेराकोटा]] और [[काँस्य]] से बनी वस्तुयें, [[मौर्य काल]] की लकड़ी की मूर्तियाँ, [[दक्षिण भारत]] के [[विजय नगर साम्राज्य|विजय नगर]] की कालात्मक वस्तुयें, [[गुप्तकाल]], [[सिन्धु घाटी सभ्यता]], [[मुग़ल काल]], गन्धर्वकाल और कई अन्य समय की प्राचीन वस्तुयें प्रदर्शित हैं। | ||
* संग्रहालय के अन्दर ही बौद्ध कला भाग में [[उत्तर प्रदेश]] के [[बस्ती मण्डल|बस्ती]] से खुदाई में मिले [[बुद्ध]] से सम्बन्धित कई वस्तुयें भी प्रदर्शित हैं। | * संग्रहालय के अन्दर ही बौद्ध कला भाग में [[उत्तर प्रदेश]] के [[बस्ती मण्डल|बस्ती]] से खुदाई में मिले [[बुद्ध]] से सम्बन्धित कई वस्तुयें भी प्रदर्शित हैं। | ||
* कुछ रोचक प्रदर्शित वस्तुओं में [[मोहनजोदड़ो]] की नृत्य करती मूर्ति, जनजातीय कलायें और गहने, सूक्ष्मकला की वस्तुयें, भित्तिचित्र, कपड़े, वाद्ययन्त्र, हथियार और प्रसिद्ध | * कुछ रोचक प्रदर्शित वस्तुओं में [[मोहनजोदड़ो]] की नृत्य करती मूर्ति, जनजातीय कलायें और गहने, सूक्ष्मकला की वस्तुयें, भित्तिचित्र, कपड़े, वाद्ययन्त्र, हथियार और प्रसिद्ध मुग़ल शासक [[जहाँगीर]] द्वारा हस्ताक्षरित कुछ बहुत ही प्रभावशाली यादगार वस्तुयें शामिल हैं। | ||
* इस संग्रहालय में संग्रहित वस्तुयें चित्रकारी, गहनों, पुरातत्व, पांडुलिपियों, हथियार और औजार जैसी कई श्रेणियों के अन्तर्गत आते हैं। पूरे तीन मंजिलों पर के क्षेत्रफल पर फैले इस सुन्दर संग्रहालय की वस्तुओं को देखने और प्रशंसा करने के लिये एक दिन का समय शायद कम पड़ेगा। | * इस संग्रहालय में संग्रहित वस्तुयें चित्रकारी, गहनों, पुरातत्व, पांडुलिपियों, हथियार और औजार जैसी कई श्रेणियों के अन्तर्गत आते हैं। पूरे तीन मंजिलों पर के क्षेत्रफल पर फैले इस सुन्दर संग्रहालय की वस्तुओं को देखने और प्रशंसा करने के लिये एक दिन का समय शायद कम पड़ेगा। | ||
[[चित्र:National-Museum-New-Delhi.jpg|thumb|left|250px|राष्ट्रीय संग्रहालय, [[नई दिल्ली]]]] | [[चित्र:National-Museum-New-Delhi.jpg|thumb|left|250px|राष्ट्रीय संग्रहालय, [[नई दिल्ली]]]] | ||
पंक्ति 88: | पंक्ति 88: | ||
चित्र:Bharhut.jpg|[[भरहुत मूर्तिकला]], राष्ट्रीय संग्रहालय, [[दिल्ली]] | चित्र:Bharhut.jpg|[[भरहुत मूर्तिकला]], राष्ट्रीय संग्रहालय, [[दिल्ली]] | ||
चित्र:Weapons-National-Museum-Delhi-1.jpg|संग्रहालय में रखे [[अस्त्र शस्त्र]] | चित्र:Weapons-National-Museum-Delhi-1.jpg|संग्रहालय में रखे [[अस्त्र शस्त्र]] | ||
चित्र:Yogini-Vrishanana-National-Museum-Delhi.jpg|योगिनी प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली | |||
</gallery> | </gallery> | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
09:37, 18 अगस्त 2018 के समय का अवतरण
राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली
| |
विवरण | भारत में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। |
राज्य | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली |
नगर | दिल्ली |
स्थापना | 15 अगस्त, 1949 |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 28.611811°; पूर्व- 77.219262° |
मार्ग स्थिति | इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 20 किमी की दूरी पर है। |
गूगल मानचित्र | |
खुलने का समय | सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक |
अवकाश | सोमवार |
अन्य जानकारी | भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित पुस्तकें यहीं प्रवेशद्वार से ख़रीदी जा सकती हैं। |
बाहरी कड़ियाँ | राष्ट्रीय संग्रहालय |
अद्यतन | 14:49, 11 जनवरी 2015 (IST)
|
राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के दस जनपथ में स्थित है। नई दिल्ली का यह राष्ट्रीय संग्रहालय देश के सबसे अच्छे संग्रहालयों में से एक है। सन् 1949 में दिल्ली में स्थापित इस संग्रहालय में कई प्रकार की रोचक चीजें प्रदर्शित हैं। सांस्कृतिक मंत्रालय के अधीन कार्यरत यह मौलाना आज़ाद रोड और जनपथ के किनारे पर स्थित है और इसमें प्राग-ऐतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग की विभिन्न प्रकार की कलाओं को प्रदर्शित किया गया है।
इतिहास
इस संग्रहालय की शुरुआत 1947-48 में लंदन में आयोजित भारतीय वस्तुओं की प्रदर्शिनी के साथ हुई। रॉयल अकादमी, लंदन में आयोजित इस प्रदर्शिनी के संचालक ने इस प्रदर्शिनी में प्रदर्शित अनोखी वस्तुओं को उनके मूल संग्रहालयों में वापस करने से पूर्व भारत में प्रदर्शित करने का निश्चय किया। जिसके परिणामस्वरूप ये सभी वस्तुयें दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित की गईं।
इस प्रदर्शिनी ने इतने अधिक पारखियों को आकर्षित किया कि दिल्ली में ही राष्ट्रीय संग्रहालय को बनाने का निश्चय किया गया। इस प्रकार राष्ट्रीय संग्रहालय उसी वर्ष अस्तित्व में आया और इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने किया था। हालाँकि, वर्तमान संग्रहालय की इमारत 1960 में बनकर तैयार हुई और उसके पश्चात् इसे जनता के लिये खोला गया।[1]
उद्देश्य
- ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व की पुरावस्तुओं एवं कलाकृतियों को प्रदर्शन, सुरक्षा, परिरक्षण और निर्वचन (शोध) के प्रयोजन हेतु संग्रहीत करना।
- इतिहास, संस्कृति और कलात्मक उत्कृष्टता एवं उपलब्धियों के संबंध में कलाकृतियों के महत्व के बारे में जानकारी देना।
- कलात्मक और सांस्कृतिक कार्यकलाप के क्षेत्र में दर्शकों के आनंद और अन्योन्यक्रियात्मक संबंध हेतु सांस्कृतिक केंद्र की भूमिका निभाना।
- राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक के रूप में कार्य करना।
विशेषताएँ
- भारत में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। वर्तमान में संग्रहालय में दो लाख से ज्यादा भारतीय और विदेशी मूल की वस्तुयें प्रदर्शित हैं। इनमें 2700 ईसा पूर्व के टेराकोटा और काँस्य से बनी वस्तुयें, मौर्य काल की लकड़ी की मूर्तियाँ, दक्षिण भारत के विजय नगर की कालात्मक वस्तुयें, गुप्तकाल, सिन्धु घाटी सभ्यता, मुग़ल काल, गन्धर्वकाल और कई अन्य समय की प्राचीन वस्तुयें प्रदर्शित हैं।
- संग्रहालय के अन्दर ही बौद्ध कला भाग में उत्तर प्रदेश के बस्ती से खुदाई में मिले बुद्ध से सम्बन्धित कई वस्तुयें भी प्रदर्शित हैं।
- कुछ रोचक प्रदर्शित वस्तुओं में मोहनजोदड़ो की नृत्य करती मूर्ति, जनजातीय कलायें और गहने, सूक्ष्मकला की वस्तुयें, भित्तिचित्र, कपड़े, वाद्ययन्त्र, हथियार और प्रसिद्ध मुग़ल शासक जहाँगीर द्वारा हस्ताक्षरित कुछ बहुत ही प्रभावशाली यादगार वस्तुयें शामिल हैं।
- इस संग्रहालय में संग्रहित वस्तुयें चित्रकारी, गहनों, पुरातत्व, पांडुलिपियों, हथियार और औजार जैसी कई श्रेणियों के अन्तर्गत आते हैं। पूरे तीन मंजिलों पर के क्षेत्रफल पर फैले इस सुन्दर संग्रहालय की वस्तुओं को देखने और प्रशंसा करने के लिये एक दिन का समय शायद कम पड़ेगा।
- तीन विभिन्न मंज़िलों में बंटे इस संग्रहालय में ऐतिहासिक मानव सभ्यता के अवशेष, मौर्यकालीन, गांधार, गुप्त एवं अन्य राजवंशों के समय के भित्तिचित्र, प्रस्तर खण्ड, ताम्र पत्रादि एवं अनगिनत दुर्लभ कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं।
- यहीं पर हस्तशिल्प गैलेरी में कपड़ा एवं सजावटी वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर दिल्ली की खुदाई के अवशेष हैं। यहीं पास में पुराने काग़ज़ात एवं रिकार्ड संग्रहित हैं।
- भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित पुस्तकें यहीं प्रवेशद्वार से ख़रीदी जा सकती हैं। इसमें से कुछ चीज़ें प्रागेतिहासिक काल की हैं।
- यहाँ चोल काल के पत्थर और कांसे से बनी मूर्तियाँ रखी हुई हैं।
- यहाँ विश्व के सर्वाधिक लघु चित्रों का संग्रह है। इसके अलावा घर की सजावट और गहनों का प्रदर्शित करती दीर्घाएँ भी यहाँ हैं।
- इस राष्ट्रीय संग्रहालय में एक संरक्षण प्रयोगशाला है। इस प्रयोगशाला में अनेक कलाकृतियों को संभाल कर रखा जाता है और छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
- पूरी तरह से लैस छायाचित्रण अनुभाग द्वारा राष्ट्रीय संग्रहालय की कलाकृतियों का फोटो-प्रलेखन किया जाता है। विद्वानों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को कलाकृतियों के प्रिंट भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
- संग्रहालय आम लोगों के लिये प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से साँय 5 बजे तक खुला रहता है और सोमवार को यहाँ अवकाश रहता है।
संरक्षण प्रयोगशाला
राष्ट्रीय संग्रहालय की संरक्षण प्रयोगशाला ने अपने आरंभ से ही कलाकृतियों के संरक्षण और पुनर्स्थापन के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रयोगशाला बनने के लिए प्रयास किए हैं। आरंभ में इसका मुख्य कार्य था - राष्ट्रीय संग्रहालय के विशाल संग्रह की देखभाल करना। किन्तु वर्तमान में यह प्रयोगशाला तैलचित्रों और कलाकृतियों की पहचान, परीक्षण और वास्तविक पुनर्स्थापन में अन्य संस्थाओं, राजभवनों और अन्य सार्वजनिक एजेंसियों की भी सहायता कर रही है। विशाल और विविध संग्रह को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुपरिरक्षित रखने के अतिरिक्त प्रयोगशाला द्वारा शोध और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
शोध परियोजना
प्रयोगशाला द्वारा लिखित और ग्राफिक रिकॉर्ड; रेडियोग्राफिक प्रलेखन; सामान्य, तिर्यक, अवरक्त और पराबैंगनी प्रकाश में छायाचित्रण और परमाण्वीय अवशोषण और एक्सरे विवर्तन उपकरण द्वारा विश्लेषण कर कलाकृतियों का प्रलेखन किया जाता है। ये अध्ययन कलाकृतियों के फिंगर प्रिंट तैयार करने में सहायता करते हैं और बाद में इनका उपयोग कलाकृतियों को हुई किसी भी प्रकार की क्षति अथवा नकली कलाकृतियों की पहचान करने और पुरावस्तुओं की उपयुक्त सुरक्षा के लिए किया जाता है।
संरक्षण परियोजना
प्रयोगशाला द्वारा विभिन्न विभागों के संग्रह की कलाकृतियों का नियमित सर्वेक्षण और फिर प्राथमिकता के आधार पर उनका रासायनिक उपचार किया जाता है। ताड़पत्र, चर्मपत्र, कागज, लघुचित्र, वस्त्र और तैलचित्र जैसी कोमल प्रकृति की सामग्री और साथ ही धातु एवं उनके अयस्क, प्रस्तर, मृण्मूर्ति, सिरामिक और तैलचित्रों का अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार रासायनिक उपचार किया जाता है। वर्तमान में निम्न संरक्षण परियोजनाओं पर काम किया गया।
- भारतीयेतर मूल के तैलचित्रों और अन्य कलाकृतियों के पुनर्स्थापन की राष्ट्रीय परियोजना। विभिन्न राजभवनों और हवेलियों के भारतीयेतर मूल के तैलचित्रों और अन्य कलाकृतियों के सर्वेक्षण, प्रलेखन और संरक्षण हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1985 में यह परियोजना आरंभ की गई थी। बाद में राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधान प्रयोगशाला, लखनऊ और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, कोलकाता में दो और केन्द्रों से इसे और सुदृढ़ किया गया।
- प्रयोगशाला द्वारा झाला हवेली, कोटा, राजस्थान के तैलचित्रों के रासायनिक उपचार का काम लिया गया और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया। माउंटिंग के बाद इन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय की वीथिकाओं में प्रदर्शनार्थ रखा गया है।
- प्रयोगशाला द्वारा विद्यार्थियों, संग्रहाध्यक्षों और संरक्षकों के लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त संरक्षकों के मध्य विचार-विनिमय और सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण के प्रति जनचेतना जागृत करने हेतु कार्यशालाओं और सेमिनारों का भी आयोजन किया जाता है।[2]
प्रदर्शनी कक्ष
स्थायी और अस्थायी वीथिकाएं तैयार करने; वीथिकाओं, कार्यालयों और जनसुविधाओं का रखरखाव, आदि जैसे सभी तकनीकी कार्य प्रदर्शन विभाग द्वारा किए जाते हैं। इस विभाग में कारपेंट्रि यूनिट, टेलरिंग यूनिट, पेंटर यूनिट, आर्टिस्ट और ड्राफ्ट्समॅन, आदि हैं। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग की अनेक इकाइयों के साथ परामर्श और सहयोग से रखरखाव और मॉनीटरिंग संबंधी कार्यों का निष्पादन किया जाता है। राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली के प्रदर्शनी अनुभाग द्वारा भारत महोत्सव, समझौता ज्ञापन और सांस्कृतिक आदान- प्रदान कार्यक्रम के तत्वावधान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ में आयोजित किए जाने वाले भारत महोत्सवों का समारोह मनाने के लिए 1985 में प्रदर्शनी अनुभाग की स्थापना की गई। तदनुसार, प्रदर्शनी अनुभाग द्वारा इस अवसर पर दोनों देशों में 'अदिति' नामक प्रदर्शनी लगाई गई। इसके द्वारा अभी तक देश- विदेश में विभिन्न विषय-वस्तुओं पर अनेक प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया है। इन प्रदर्शनियों में से कुछ तो सभी वर्गों में प्रचलित रहीं और कुछ को विशेष रूप से स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों ने बहुत पसंद किया।[2]
पुस्तकालय
राष्ट्रीय संग्रहालय पुस्तकालय द्वारा विशेषीकृत शोध और संदर्भ हेतु इतिहास, कला और विश्व संस्कृति संबंधी पुस्तकों का संग्रह किया जाता है। इनमें मानव- शास्त्र, पुरातत्व, संरक्षण, सुसज्जा कलाएं, इतिहास, साहित्य, संग्रहालय अध्ययन, चित्रकला, दर्शन-शास्त्र और धर्म आदि विविध विषयों पर पुस्तकें सम्मिलित हैं। पुस्तकालय में साठ हजार से अधिक पुस्तकें, जिल्दबंद पत्रिकाएं और साथ-ही-साथ अनेक भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाएं भी हैं। पुस्तकालय को एल्विन संग्रह, सत्यम भाई संग्रह, डॉ. लक्ष्मी प्रसाद सिहारे संग्रह, देशिकाचार्य संग्रह और हीरामानेक संग्रह जैसे अनेक प्रतिष्ठित निजी संग्रह प्राप्त हुए हैं। यह पुस्तकालय वास्तविक शोध विद्वानों, विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों, प्रोफेसर, शिक्षकों और फेलोशिप धारकों के लिए उपलब्ध है।[2]
वीथिका
-
राष्ट्रीय संग्रहालय में बारूद रखने के सीप के खोल, दिल्ली
-
राष्ट्रीय संग्रहालय में रखी तलवारें, दिल्ली
-
राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे खंजर, दिल्ली
-
राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे ख़ूबसूरत ख़ंजर का मूठ और उसकी म्यान, दिल्ली
-
राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
बंदूक और बारूद रखने का खोल, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
अनेक प्रकार के वाद्य यंत्र, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
अनेक प्रकार के वाद्य यंत्र, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
चामुण्डा देवी, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
ब्राह्मी लिपि में लिखे अशोक के शिलालेख, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
भरहुत मूर्तिकला, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
-
संग्रहालय में रखे अस्त्र शस्त्र
-
योगिनी प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली (हिन्दी) हिन्दी नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 9 जनवरी, 2015।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली (हिंदी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 9 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख