"रथ नवमी": अवतरणों में अंतर
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*दूसरे दिन प्रात: प्रतिमा का स्नान तथा दुर्गा के लिए रथ का समर्पण करना चाहिए। | *दूसरे दिन प्रात: प्रतिमा का स्नान तथा दुर्गा के लिए रथ का समर्पण करना चाहिए। | ||
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12:48, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कृत्यकल्पतरु के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी को रथनवमी होती है।
- हेमाद्रि के अनुसार कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि रथनवमी होती है।
- रथनवमी के उस दिन उपवास व दुर्गा पूजा की जाती है।
- ऐसी मान्यता है कि दर्पणों, चौरियों, वस्त्रों, छत्र, मालाओं आदि से सुसज्जित रथ पर भैंसे पर बैठी दुर्गा की स्वर्ण प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
- जनमार्ग से रथ को लाकर दुर्गा मन्दिर तक पहुँचाना, प्रकाश, नृत्य एवं संगीत से जागर किया जाता है।
- दूसरे दिन प्रात: प्रतिमा का स्नान तथा दुर्गा के लिए रथ का समर्पण करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि एक सुन्दर पलंग, बैल एवं शीघ्र ही बच्चा देने वाली गाय का दान करना चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 294-298); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 946-948, भविष्यपुराण से उद्धरण
संबंधित लेख
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