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08:35, 26 मार्च 2022 के समय का अवतरण

सुधेंद्र नारायण सिंह देव (अंग्रेज़ी: Sudhendra Narayan Singh Dev, जन्म- 1927; मृत्यु- 2001) सरायकेला शैली के छऊ नृत्य के एक कुशल कलाकार ही नहीं बल्कि, प्रशिक्षक, लेखक व शोधकर्ता भी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन छऊ के विकास व संरक्षण में ही व्यतीत कर दिया। इस कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के कारण ही वर्ष 1991 में उन्हें पद्म श्री का सम्मान मिला। छऊ के क्षेत्र में पद्म श्री का सम्मान प्राप्त करने वाले सुधेंद्र नारायण सिंह देव प्रथम कलाकार थे।

  • सुधेंद्र नारायण सिंह देव एक प्रमुख छऊ कलाकार थे। इनका जन्म 1927 में एकीकृत सिंहभूम (अब सरायकेला-खरसावां) जिले के सरायकेला में हुआ था।
  • आप सरायकेला के पूर्व महाराजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के सबसे छोटे बेटे थे। राज परिवार में सरायकेला शैली वाले छऊ आप के सबसे बड़े नर्तक थे।
  • उन्होंने अपने चाचा बिजय प्रताप सिंहदेव और बड़े भाई सुरेंद्र नारायण सिंहदेव से छऊ नृत्य सीखा था।
  • भारत की आजादी के बाद सुधेंद्र नारायण सिंह देव सरायकेला छऊ के प्रतिनिधि बन गए थे।
  • राजकुमार सुधेंद्र नारायण सिंह देव ने ना केवल पूरे देश में इस शैली को लोकप्रिय बनाया, बल्कि यूरोप में भी प्रदर्शन किया। तब वह सरायकेला में श्रीकलापीठ संस्थान का नेतृत्व करते थे।
  • सुधेंद्र नारायण सिंह देव को वर्ष 1963 में सरायकेला छऊ नृत्य के लिए 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला, जबकि 1991 में पद्म श्री सम्मान मिला था।
  • इनका निधन वर्ष 2001 में हुआ।
  • सुधेंद्र नारायण सिंह देव कोल्हान में पद्म पुरस्कार पाने वाले पहले शख्स थे।
  • आप सरायकेला के विधायक भी चुने गए थे, तब यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नहीं थी।


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