इब्राहिम अल्काज़ी
इब्राहिम अल्काज़ी
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पूरा नाम | इब्राहिम अल्काज़ी |
जन्म | 18 अक्टूबर, 1925 |
जन्म भूमि | पुणे, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 4 अगस्त, 2020 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | रंगमंच |
विद्यालय | सेंट जेवियर कॉलेज, मुंबई |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म विभूषण (2010), पद्मभूषण (1991) और पद्मश्री (1966), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1962) |
प्रसिद्धि | रंगमंच निर्देशक |
नागरिकता | भारतीय |
निर्देशित नाटक | 'तुगलक' (गिरीश कर्नाड), 'आषाढ़ का एक दिन' (मोहन राकेश), धर्मवीर भारती का 'अंधा युग' |
अन्य जानकारी | रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट से प्रशिक्षित इब्राहिम अल्काज़ी ने अपने शानदार कॅरियर के दौरान 50 से अधिक नाटकों का मंचन किया और 1950 में बीबीसी ब्रॉडकास्टिंग अवार्ड जीता। |
इब्राहिम अल्काज़ी (अंग्रेज़ी: Ebrahim Alkazi, जन्म- 18 अक्टूबर, 1925, पुणे, महाराष्ट्र; मृत्यु- 4 अगस्त, 2020) भारतीय रंगमंच के प्रसिद्ध निदेशक और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के पूर्व निदेशक थे। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। इब्राहिम अल्काज़ी ने अपने जीवन काल में कलाकारों की कई पीढ़ियों को अभिनय की बारीकियां सिखाईं। इन कलाकारों में नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी जैसे कई बड़े और दिग्गज कलाकारों के नाम शामिल हैं। इब्राहिम अल्काज़ी द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख नाटकों में 'तुगलक' (गिरीश कर्नाड), 'आषाढ़ का एक दिन' (मोहन राकेश), धर्मवीर भारती का 'अंधा युग' के अलावा कई ग्रीक ट्रेजडी और शेक्सपियर की कृतियां शामिल हैं। इब्राहिम अल्काज़ी पद्म विभूषण (2010), पद्मभूषण (1991) और पद्मश्री (1966) से सम्मानित थे।
परिचय
इब्राहिम अल्काज़ी का जन्म 18 अक्टूबर, 1925 को पुणे में हुआ था। उनके माता-पिता सऊदी अरब से थे, लेकिन पिता मुम्बई आ गये और पुणे में बस गये। इब्राहिम अल्काज़ी नौ भाई-बहन थे। जब वह पुणे के सेंट विसेंट हाईस्कूल में पढ़ रहे थे तभी उनमें रंगमंच के प्रति रुचि पैदा हुई। वह मुम्बई के सेंट जेवियर कॉलेज में सुल्तान ‘बॉबी’ पदमसी की अंग्रेजी थियेटर कंपनी से जुड़ गये। अपने बेटे में रंगमंच के प्रति रूचि देख उनके पिता ने उन्हें लंदन जाने की सलाह दी। उन्होंने 1947 में रॉयल एकेडेमी ऑफ ड्रमेटिक आर्ट में प्रशिक्षण लिया और नाम एवं कीर्ति पायी। वह भारत लौटने के बाद थियेटर ग्रुप से फिर जुड़ गये। हालांकि इब्राहिम अल्काज़ी की प्रांरभिक रुझान चित्रकारी में थी। बाद में वह रंगमंच को यथासंभव ऊंचाइयों तक ले गये।
इब्राहिम अल्काज़ी अपने जीवन में ही जीवंत किंवदंती बन गए थे। पर उन्होंने खुद को काम तक सीमित रखा। निरंतर सक्रियता और सकारात्मक ऊर्जा उनकी कार्यशैली का हिस्सा थी। सन 1977 में नाट्य विद्यालय छोड़ने के बाद लम्बे समय तक वापस मुड़कर नहीं देखा। इस दौरान पेंटिंग और कला संरक्षण के काम में ऐतिहासिक काम पर जुट गए। सफदर हाशमी का नुक्कड़ नाटक करते हुए हत्या के बाद हुई विरोध सभाओं में इब्राहिम अल्काज़ी ने सक्रिय भाग लिया। उसके बाद में एनएसडी रंगमंडल के साथ तीन नाटक करने के लिए वह थियेटर की दुनिया में वापस आए।
सख्त अनुशासक
उन्हें एक सख्त अनुशासक के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने एनएसडी (1962-1977) के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान थिएटर प्रशिक्षण के लिए एक ब्लू प्रिंट प्रदान किया था। इसके अलावा वह एक विलक्षण कला पारखी और गैलरी के मालिक भी थे। उन्होंने नई दिल्ली में आर्ट हेरिटेज गैलरी की स्थापना की थी।
नाट्य मंचन
रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट (राडा) से प्रशिक्षित इब्राहिम अल्काज़ी ने अपने शानदार करियर के दौरान 50 से अधिक नाटकों का मंचन किया और 1950 में बीबीसी ब्रॉडकास्टिंग अवार्ड जीता। उनके द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख नाटकों में 'तुगलक' (गिरीश कर्नाड), 'आषाढ़ का एक दिन' (मोहन राकेश), धर्मवीर भारती का 'अंधा युग' के अलावा कई ग्रीक ट्रेजडी और शेक्सपियर की कृतियां शामिल हैं।
सम्मान तथा पुरस्कार
रंगमंच के क्षेत्र में योगदान को लेकर इब्राहिम अल्काज़ी को 1966 में पद्म श्री, 1991 में पद्मभूषण और 2010 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें 1962 में ‘निर्देशन’ के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला और बाद में उन्हें रंगमंच के प्रति जीवनपर्यंत योगदान को लेकर 'संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप' से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
इब्राहिम अल्काज़ी का निधन 4 अगस्त, 2020 को हुआ। दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें एस्कोर्ट अस्पताल में भर्ती किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की कई जानी मानी हस्तियों ने भारतीय थियेटर के दिग्गज इब्राहिम अल्काज़ी के निधन पर शोक जताया। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा- "कला एवं संस्कृति जगत को उनका योगदान उल्लेखनीय है। श्री इब्राहिम अल्काज़ी, रंगमंच को कहीं अधिक लोकप्रिय बनाने और समूचे भारत में इसे पहुंचाने की अपनी कोशिशों को लेकर याद किये जाएंगे। उनके निधन से दु:खी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार एवं मित्रों के साथ हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले"।[1]
अस्मिता थियेटर ग्रुप के डायरेक्टर अरविंद गौर ने भी अल्काजी के निधन पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए एक लंबा पोस्ट लिखा। जिसके माध्यम से उन्होंने अल्काजी की शख्सियत को काफी हद तक बताने की कोशिश की। अरविंद गौर ने अपने पोस्ट में लिखा- "आधुनिक भारतीय रंगमंच के युग स्तम्भ और वरिष्ठ निर्देशक आदरणीय इब्राहिम अल्काजी को अंतिम सलाम। इब्राहिम अल्काजी का जाना भारतीय रंगमंच और कला जगत के लिए असहनीय क्षति है। आजादी के बाद समकालीन थियेटर को स्थापित करने में उनका अप्रतिम और ऐतिहासिक योगदान है"।[2]
एनएसडी के प्रभारी निदेशक सुरेश शर्मा ने कहा- "वह भारतीय आधुनिक रंगमंच के जनक थे। हम भारतीय रंगमंच को जिस रूप में जानते हैं, उसकी स्थापना उन्होंने ही की। उन्होंने न केवल रंगमंच में प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया, बल्कि यदि आप देश के सभी प्रसिद्ध कलाकारों को देखेंगे तो आप पायेंगे कि उनमें से कई उनके मार्गदर्शन में ही प्रशिक्षित हुए"।
फिल्म और नाट्य कलाकार अमोल पालेकर ने कहा कि- "अल्काज़ी ‘सच्चे पुनर्जागरण व्यक्ति’ व ‘अंतिम रोमन’ थे"। पालेकर के गुरु सत्यदेव दुबे को अल्काज़ी ने ही अभिनय का प्रशिक्षण दिया था।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा- "मुझ जैसे कई लोगों ने इन अजेय ज्ञानवान व्यक्ति से रंगमंच के प्रति जुनून सीखा। रंगमंच में सटीकता और नाट्य कार्य के हर पहलू में उनकी अनुशासन की भावना का कोई सानी नहीं था"।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय रंगमंच के दिग्गज इब्राहिम अल्काजी का निधन (हिंदी) navjivanindia.com। अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2020।
- ↑ इब्राहिम अल्काजी का निधन, पीएम नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2020।