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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*[[आश्विन]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[नवमी]] पर [[सरस्वती]] को पुस्तकों में स्थापित किया जाता है।<ref>वर्षकृत्यदीपक (92-93 एवं 268-269 | *[[आश्विन]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[नवमी]] पर [[सरस्वती]] को पुस्तकों में स्थापित किया जाता है।<ref>वर्षकृत्यदीपक (92-93 एवं 268-269</ref> | ||
*[[तमिल]] देशों में एक विशिष्ट सरस्वती पूजा होती है, जिसमें बड़े-बूढ़ों एवं छोटों की पुस्तकें एकत्र की जाती हैं, कन्याएँ एवं विवाहित नारियाँ अपनी [[संगीत]] [[पुस्तक|पुस्तकें]] एवं [[वीणा]] लाती हैं और सब की पूजा सरस्वती के रूप में की जाती है। | *[[तमिल]] देशों में एक विशिष्ट सरस्वती पूजा होती है, जिसमें बड़े-बूढ़ों एवं छोटों की पुस्तकें एकत्र की जाती हैं, कन्याएँ एवं विवाहित नारियाँ अपनी [[संगीत]] [[पुस्तक|पुस्तकें]] एवं [[वीणा]] लाती हैं और सब की पूजा सरस्वती के रूप में की जाती है। | ||
*[[शिल्पकार|शिल्पकारों]] एवं [[श्रमिक|श्रमिकों]] में आज के दिन [[आयुघपूजा]]<ref> | *[[शिल्पकार|शिल्पकारों]] एवं [[श्रमिक|श्रमिकों]] में आज के दिन [[आयुघपूजा]]<ref>उनके व्यापारिक यन्त्रों की पूजा</ref> की जाती है। | ||
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13:01, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी पर सरस्वती को पुस्तकों में स्थापित किया जाता है।[1]
- तमिल देशों में एक विशिष्ट सरस्वती पूजा होती है, जिसमें बड़े-बूढ़ों एवं छोटों की पुस्तकें एकत्र की जाती हैं, कन्याएँ एवं विवाहित नारियाँ अपनी संगीत पुस्तकें एवं वीणा लाती हैं और सब की पूजा सरस्वती के रूप में की जाती है।
- शिल्पकारों एवं श्रमिकों में आज के दिन आयुघपूजा[2] की जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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