"कार्तवीर्य अर्जुन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''कार्तवीर्य अर्जुन''' या '''सहस्रार्जुन''' [[यदुवंश]] का एक प्राचीन राजा था। वह बड़ा वीर और प्रतापी था। उसने [[लंका]] के [[रावण|राजा रावण]] जैसे प्रसिद्ध योद्धा से भी संघर्ष किया था। कार्तवीर्य अर्जुन के राज्य का विस्तार [[नर्मदा नदी]] से [[हिमालय]] तक था, जिसमें [[यमुना]] तट का प्रदेश भी सम्मिलित था। | |||
{{लेख प्रगति | *कार्तवीर्य अर्जुन के वंशज कालांतर में '[[हैहय वंश|हैहय वंशी]]' कहलाये, जिनकी राजधानी '[[माहिष्मती]]' थी। | ||
|आधार= | *सहस्रार्जुन के 100 पुत्र थे, जिनमें एक का नाम '[[शूरसेन]]' था। '[[लिंग पुराण]]' में लिखा है उसी शूरसेन के नाम पर इस प्रदेश का नाम 'शूरसेन' प्रसिद्ध हुआ था। किन्तु [[मथुरा]] से इसका संबंध सीधे जोड़ने में कठिनाई है। | ||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | *[[इतिहास]] प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी माहिष्मती ही आधुनिक '[[महेश्वर (मध्य प्रदेश)|महेश्वर]]' है। इसका उल्लेख [[रामायण]] तथा [[महाभारत]] में भी मिलता है। | ||
|माध्यमिक= | *[[पुराण|पुराणों]] में प्रसिद्ध [[हैहय वंश]] कार्तवीर्य अर्जुन की परंपरा में माना जाता है। इसके संस्थापक महाराज कोक्कल ने ([[जबलपुर]] के पास) '[[त्रिपुरी]]' को अपनी राजधानी बनाया था, इसलिए यह वंश 'त्रिपुरी के कलचुरियों' के नाम से विख्यात है। | ||
|पूर्णता= | *[[कलचुरी वंश|कलचुरियों]] में लक्ष्मणदेव, गंगेयदेव, कर्ण, गयाकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि का शासनकाल समृद्धिपूर्ण माना जाता है। इन्होंने 500 [[वर्ष]] तक शासन किया, जिसे सन 1200 के आसपास [[देवगढ़]] के राजा ने समाप्त कर दिया और फिर [[चंदेल वंश|चंदेलों]] के अधीन आया। | ||
|शोध= | *[[हर्षवर्धन]] के समय चंदेल राज्य एक छोटी-सी इकाई थी, परंतु उसके बाद यह विस्तार पाकर दसवीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली राज्य बन गया। | ||
}} | |||
{{लेख प्रगति |आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पौराणिक चरित्र}} | {{पौराणिक चरित्र}} | ||
[[Category:पौराणिक चरित्र]][[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
14:12, 10 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
कार्तवीर्य अर्जुन या सहस्रार्जुन यदुवंश का एक प्राचीन राजा था। वह बड़ा वीर और प्रतापी था। उसने लंका के राजा रावण जैसे प्रसिद्ध योद्धा से भी संघर्ष किया था। कार्तवीर्य अर्जुन के राज्य का विस्तार नर्मदा नदी से हिमालय तक था, जिसमें यमुना तट का प्रदेश भी सम्मिलित था।
- कार्तवीर्य अर्जुन के वंशज कालांतर में 'हैहय वंशी' कहलाये, जिनकी राजधानी 'माहिष्मती' थी।
- सहस्रार्जुन के 100 पुत्र थे, जिनमें एक का नाम 'शूरसेन' था। 'लिंग पुराण' में लिखा है उसी शूरसेन के नाम पर इस प्रदेश का नाम 'शूरसेन' प्रसिद्ध हुआ था। किन्तु मथुरा से इसका संबंध सीधे जोड़ने में कठिनाई है।
- इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी माहिष्मती ही आधुनिक 'महेश्वर' है। इसका उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है।
- पुराणों में प्रसिद्ध हैहय वंश कार्तवीर्य अर्जुन की परंपरा में माना जाता है। इसके संस्थापक महाराज कोक्कल ने (जबलपुर के पास) 'त्रिपुरी' को अपनी राजधानी बनाया था, इसलिए यह वंश 'त्रिपुरी के कलचुरियों' के नाम से विख्यात है।
- कलचुरियों में लक्ष्मणदेव, गंगेयदेव, कर्ण, गयाकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि का शासनकाल समृद्धिपूर्ण माना जाता है। इन्होंने 500 वर्ष तक शासन किया, जिसे सन 1200 के आसपास देवगढ़ के राजा ने समाप्त कर दिया और फिर चंदेलों के अधीन आया।
- हर्षवर्धन के समय चंदेल राज्य एक छोटी-सी इकाई थी, परंतु उसके बाद यह विस्तार पाकर दसवीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली राज्य बन गया।
|
|
|
|
|