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राज्य को कला एवं संस्कृति निदेशालय द्वारा आईएसओ 9001-2000 प्रमाणपत्र दिया गया है। गोवा में टाइट अकादमी की स्थापना की गई है। सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा कलाकारों को सहायता देने के लिए कला सम्मान, कलाकार कृतिदन्यता निधि जैसी विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं। | राज्य को कला एवं संस्कृति निदेशालय द्वारा आईएसओ 9001-2000 प्रमाणपत्र दिया गया है। गोवा में टाइट अकादमी की स्थापना की गई है। सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा कलाकारों को सहायता देने के लिए कला सम्मान, कलाकार कृतिदन्यता निधि जैसी विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं। | ||
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*[[19 नवंबर]], [[1982]] में 1 किलोवाट के ट्रांसमीटर ने गोवा में दूरदर्शन कार्यक्रमों को रिले करना आरंभ किया था। | *[[19 नवंबर]], [[1982]] में 1 किलोवाट के ट्रांसमीटर ने गोवा में दूरदर्शन कार्यक्रमों को रिले करना आरंभ किया था। |
07:29, 4 जनवरी 2011 का अवतरण
गोवा
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राजधानी | पणजी |
राजभाषा(एँ) | कोंकणी भाषा, मराठी भाषा |
स्थापना | 1987/05/03 |
जनसंख्या | 1347668 |
· घनत्व | 363 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 3,702sqkm |
भौगोलिक निर्देशांक | 15.493°N 73.818°E |
· ग्रीष्म | 35 °C |
· शरद | 20 °C |
ज़िले | 2 |
सबसे बड़ा नगर | पणजी |
महानगर | वास्कोडिगामा |
मुख्य पर्यटन स्थल | कोलवा,कालनगुटे, वागाटोर, बागा, हरमल, अंजुना |
लिंग अनुपात | 1000:960 ♂/♀ |
साक्षरता | 82.32% |
· स्त्री | 88.88% |
· पुरुष | 75.51% |
राज्यपाल | शिविंदर सिंह सिद्धु |
मुख्यमंत्री | दिगंबर कामथ |
विधानसभा सदस्य | 40 |
राज्यसभा सदस्य | 1 |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 16:21, 4 अप्रॅल 2010 (IST)
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गोवा भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। गोवा राज्य, उत्तर में महाराष्ट्र राज्य, पूर्व व दक्षिण में कर्नाटक राज्य और पश्चिम में अरब सागर से घिरा है और पणजी गोवा की राजधानी है। गोवा का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर है, यह समुद्र तट की ओर एक द्वीपयुक्त शहर है, जो मुंबई से 400 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मुख्यभूमि में स्थित है। गोवा क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने ख़ूबसूरत समुद्र के किनारों और मशहूर स्थापत्य कला के लिये जाना जाता है।
गोवा पहले पुर्तग़ाल का एक उपनिवेश था। पुर्तग़ालियों ने गोवा पर लगभग 450 साल तक शासन किया और दिसंबर, 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा दिया गया। और सन 1987 ई. से गोवा को राज्य का दर्जा मिला। इसके उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है। इसके दक्षिण में कर्नाटक का उत्तर कन्नड़ ज़िला और पूर्व में पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर है। पणजी, मडगाँव, वास्को, मापुसा, तथा पोंडा राज्य के प्रमुख शहर हैं।
इतिहास
गोवा प्राचीनकाल में गोमांचल, गोपकपट्टनम, गोपपुरी, और गोमांतक आदि कई नामों से विख्यात रहा है। इस प्रदेश की लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है। गोवा पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित भूतपूर्व पुर्तग़ाली बस्ती है, जो 1961 से भारत का अभिन्न अंग बन गई। गोआ अतिप्राचीन नगर है।
प्राचीन नाम
गोवा का प्राचीन हिन्दू शहर, जिसके अवशेष का एक अंश ही बचा हुआ है, का निर्माण द्वीप के सुदूर दक्षिणी बिन्दु पर हुआ था और यह आरम्भिक हिन्दू दन्तकथाओं और इतिहास में प्रसिद्ध था। पुराणों और अभिलेखों में इसका नाम गोवे, गोवपुरी व गोमत के रूप में आता है। मध्यकालीन अरबी भूगोलविद् इसे सिंदाबूर या संदाबूर के नाम से और पुर्तगाली वेल्हा गोवा के रूप में जानते थे।
शासन
दूसरी शताब्दी से 1312 तक गोवा पर कदम्ब वंश और 1312 से 1367 तक दक्कन के मुस्लिम आक्रमणकारियों का शासन रहा। इसके बाद गोवा पर विजयनगर के हिन्दू साम्राज्य का क़ब्ज़ा हो गया और बाद में बहमनी वंश ने गोवा को जीत लिया, जिन्होंने 1440 में पुराने गोवा की स्थापना की। 1482 के बाद बहमनी राज्य के विभाजन के बाद गोवा बीजापुर के मुस्लिम शासक यूसूफ़ आदिल ख़ाँ के अधीन आ गया, जो पुर्तगालियों के भारत आगमन के समय इसके शासक थे। इस शहर पर मार्च 1510 में अल्फ़ांसो दे अल्बुक़र्क़ के नेतृत्व में पुर्तग़ालियों का आक्रमण हुआ। गोवा बिना किसी संघर्ष के पुर्तग़ालियों के क़ब्ज़े में आ गया और अल्बुक़र्क़ ने एक विजेता की तरह इस शहर में प्रवेश किया।
तीन महीने के बाद यूसूफ़ आदिल ख़ाँ 60 हज़ार की सेना लेकर वापस लौटे और बंदरगाह के मार्ग पर क़ब्ज़ा कर लिया और पुर्तग़ालियों को मई से अगस्त तक अपने जहाज़ों पर रुकने पर मज़बूर कर दिया, इसके बाद ही मानसून की समाप्ति के कारण वे वापस समुद्र में पहुँच सके। नवम्बर में अल्बुक़र्क़ ज़्यादा बड़ी सेना के साथ लौटे और एक दुःसाहसी प्रतिरोध पर विजय प्राप्त कर उन्होंने शहर पर पुनः क़ब्ज़ा कर लिया और सभी मुसलमानों को मार डाला तथा एक हिन्दू तिमोजा को गोवा का प्रशासक नियुक्त किया।
गोवा पुर्तग़ालियों का एशिया में पहला क्षेत्रीय क़ब्ज़ा था। अल्बुक़र्क़ और उनके उत्तराधिकारियों ने द्वीप के 30 ग्रामीण समुदाय के संविधान और रीति-रिवाज़ों में लगभग सती प्रथा के अलावा किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया। सती प्रथा को उन्होंने समाप्त कर दिया।
गोवा का पतन
गोवा पूर्व दिशा में समूचे पुर्तग़ाली साम्राज्य की राजधानी बन गया। इसे लिस्बन के समान नागरिक अधिकार दिए गए और 1575 से 1600 के बीच यह उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा। इसके बाद भारतीय सीमा में डच आगमन के साथ गोवा का पतन होने लगा। 1603 और 1639 में डच बेड़े के द्वारा घेर लिया गया, हालाँकि इस पर कभी क़ब्ज़ा नहीं हो सका और 1635 में एक महामारी के कारण तबाह हो गया। 1683 में मुग़ल सेना ने इसे मराठा आक्रमणकारियों के क़ब्ज़े में जाने से बचाया और 1739 में पूरे क्षेत्र पर इन्हीं आक्रमणकारियों का हमला हुआ और नए वाइसराय के बेड़े के अनुपेक्षित आगमन के कारण ही बच सका।
प्रशासन के मुख्यालय को पहले मोर्मूगाँव (वर्तमान मर्मगाँव) और फिर 1759 में पंजिम (अब पणजी) ले जाया गया। गोवा के स्थानीय निवासियों के पुराने गोवा से नए गोवा के प्रवास का मुख्य कारण हैज़ा नामक महामारी थी। 1695 और 1775 के बीच पुराने गोवा की जनसंख्या 20,000 से 1,600 के बीच झूलती रही और 1835 में इस शहर में केवल कुछ पादरी, नन और गिरजाघरवासी ही रह गए।
अभियान दल
19वीं सदी में नेपोलियन के पुर्तग़ाल पर क़ब्ज़े के कारण 1809 में अंग्रेज़ों का अस्थायी अधिकार; कान्डे डि टोरेस नोवास का गवर्नर काल, 1855 से 1864, जिन्होंने कई सुधारों की शुरुआत की और शताब्दी के दूसरे अर्द्धांश में हुए सैनिक विद्रोह जैसी घटनाओं ने यहाँ की बस्तियों को प्रभावित किया।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण 3 दिसम्बर, 1895 में हुआ विद्रोह है, जिसने पुर्तग़ाल को एक अभियान दल भेजने पर मज़बूर कर दिया। इस अभियान दल के साथ आए अल्फ़ांसो हेनरीक्स डुक्यू डि ओपार्टो ने मार्च से मई 1896 में गवर्नर के अधिकारों का प्रयोग किया।
भारतीय गणराज्य मे शामिल
1948 और 1949 में भारत के गोवा पर दावे के बाद पुर्तग़ाल पर गोवा और इस उपमहाद्वीप में उसके अन्य सम्पत्तियों को छोड़ने का दबाव बढ़ता गया। 1954 के मध्य में गोवा के राष्ट्रवादियों ने दादरा तथा नगर हवेली की बस्तियों पर क़ब्ज़ा कर लिया और भारत समर्थक प्रशासन की स्थापना की। एक अन्य संकट की घड़ी तब आई, जब भारत के सत्याग्रहियों (अहिंसक प्रदर्शनकारी) ने गोवा में घुसने का प्रयास किया। पहले तो सत्याग्रहियों को वापस भेज दिया गया, लेकिन बाद में जब बहुत ज़्यादा संख्या में लोगों ने सीमा पार करने का प्रयत्न किया, तो पुर्तग़ाली अधिकारियों को बल का प्रयोग करना पड़ा और कई मौतें हुई। इससे 18 अगस्त, 1955 को पुर्तग़ाल और भारत के बीच राजनीतिक सम्बन्ध टूट गए। भारत और पुर्तग़ाल के बीच तनाव 18 सितम्बर, 1961 को अपने चरम पर पहुँचा और नौसेना एवं वायुसेना की मदद से भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव पर क़ब्ज़ा कर लिया। 1962 में संविधान संशोधन द्वारा पुर्तग़ाली भारत को भारतीय गणराज्य मे शामिल कर लिया गया।
वास्को द गामा
वास्को द गामा एक पुर्तग़ाली नाविक थे। वास्को द गामा के द्वारा की गई भारत यात्राओं ने पश्चिमी यूरोप से केप ऑफ़ गुड होप होकर पूर्व के लिए समुद्री मार्ग खोल दिए थे। इन्होंने विश्व इतिहास के एक नए युग की शुरुआत की थी। यह यूरोपीय खोज युग के सबसे सफल खोजकर्ताओं में से एक है, और यह यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों के कमांडर थे। वास्को द गामा ने पुर्तग़ाल को एक विश्व शक्ति बनाने में भी मदद की थी।
उल्लेख
महाभारत में गोवा का उल्लेख 'गोपराष्ट्र' अर्थात 'गाय चराने वालों का देश' के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण का उल्लेख गोवा राष्ट्र के रूप में मिलता है। संस्कृत के कुछ प्राचीन स्त्रोतों में गोवा को 'गोपकपुरी' और 'गोपकपट्टन' कहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा 'हरिवंशम्' और स्कन्द पुराण में प्राप्त होता है। गोवा को बाद में कहीं कहीं 'गोअंचल' भी कहा गया है। अन्य नामों में गोवे, गोवापुरी, गोप का पाटन, और गोमंत प्रमुख हैं। टॉलमी ने गोवा का उल्लेख ईस्वी सन 200 के लगभग 'गोउबा' के रूप में किया है। अरब के मध्ययुगीन यात्रियों ने इसे 'चंद्रपुर' और 'चंदौर' का नाम दिया है जो मुख्य रूप से एक तटीय नगर था। जिस स्थान का नाम पुर्तग़ालियों ने गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर 'गोअ-वेल्हा' है। कालान्तर में उस क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा जिस पर पुर्तग़ालियों ने क़ब्ज़ा किया।
रचना
जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी। कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था।
लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि है। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
भौतिक एवं मानव भूगोल
भू-आकृति
105 किलोमीटर समुद्री तट वाले गोवा में रेतीले तट, मुहाने व अंतरीप हैं। इसके भीतरी हिस्से में निचले पठार और लगभग 1,220 मीटर ऊँचे पश्चिमी घाटों (सह्यद्रि) का एक हिस्सा है। गोवा की दो प्रमुख नदियाँ, मांडोवी व जुआरी, के मुहाने में गोवा का द्वीप (इल्हास) स्थित है। इस त्रिकोणीय द्वीप का शीर्ष अंतरीप एक चट्टानी मुहाना है, जिस पर दो लंगरगाह हैं। यहाँ पर तीन शहर मर्मगाव या मार्मुगोवा (वास्को द गामा सहित) मडगाँव और पणजी (नवगोवा) हैं। पुराने गोवा शहर का ज़्यादातर हिस्सा अब ध्वस्त हो चुका है, लेकिन गोवा के शेष भारत में विलय के बाद से ही इसकी अच्छी देखरेख की जाती रही है। पुराने गोवा का ही एक उपनगर पणजी भी मंडोवी के बाएँ तट पर स्थित है। यह एक सुनियोजित शहर है, जो भव्य चर्चों, मुख्य पादरी के महल, सचिवालय, बाज़ार और कोंकण रेलमार्ग पर स्थित रेलवे स्टेशन से लगे एक विशाल बस अड्डे से युक्त है। पुराने गोवा में बाम जीसस का विशाल गिरजाघर (16वीं सदी में निर्मित) और एक विश्व स्मारक स्थित है, जिसमें सेन्ट फ़्राँसिस ज़ेवियर के अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं। यहाँ पर 16वीं शताब्दी में स्थापित धर्मपीठ भी है।
जलवायु
गोवा की जलवायु एकरूप है और यहाँ पर जून से सितम्बर के बीच दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से वर्षा होती है।
जनजीवन
गोवा की जनसंख्या में हिन्दुओं व ईसाईयों की संख्या सर्वाधिक है। प्रशासन व जनजीवन की भाषा पुर्तग़ाली थी। पुर्तग़ाली शासन और आर्थिक स्थितियों के कारण ही गोवावासियों ने न केवल भूतपूर्व पुर्तग़ाली-अफ़्रीकी बस्तियों की ओर, बल्कि शेष भारत की ओर भी प्रवास किया। पुर्तग़ाली संस्कृति का प्रभाव उनके नामों, उपनामों, चर्चों की शैलियों व मकानों में दिखता है। गोवा का सांस्कृतिक परिदृश्य दिलचस्प वैषम्य प्रस्तुत करता है। पश्चिमी समुद्री तट और मुहाने सड़क किनारे की सलीबों, चर्चों से चिह्नित है और रोमन कैथेलिक ईसाई जीवन पद्धति के कारण विशिष्ट लगते हैं; तो टीलेदार व पहाड़ीदार पूर्व हिन्दू मन्दिरों व वेदिकाओं और कुछ आदिवासियों सहित मुख्यतः हिन्दू आबादी से अलग दिखते हैं। निश्चित रूप से यहाँ एक मिश्रित 'गोवानी' संस्कृति विकसित हुई है, जो देदीप्यमान व पुनरुत्थानित कोंकणी भाषा में व्यक्त होती है।
कृषि
गोवा के कृषि उत्पादों में मुख्य खाद्य फ़सल चावल हैं। इसके अतिरिक्त दालें, रागी और अन्य खाद्य फ़सलें भी उगाई जाती हैं। नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्ने जैसी नकदी फ़सलों के साथ-साथ यहाँ अनन्नास, आम और केला भी होता है। राज्य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं। ये फ़सलें गोवा के जीवन व जीविका के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण हैं। निचले पठार और पश्चिमी घाट के ढलान वनाच्छादित हैं। सागौन, बाँस और काजू महत्वपूर्ण आर्थिक उत्पाद हैं। यद्यपि इन्हें फिर से उगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन लोह-अयस्क व मैंगनीज़ की खुली खदानें पर्यावरण के लिए गम्भीर ख़तरा पैदा करती हैं।
सिचाई और बिजली
राज्य में 'सेलाउलिम' और 'अंजुनेम' जैसे बांधों और अन्य लघु सिंचाई परियोजनाओं के होने से सिंचित क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। इन परियोजनाओं से अब तक कुल 43,000 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता उपलब्ध हो सकी है। गोवा तथा महाराष्ट्र की संयुक्त सिंचाई परियोजना तिलारी का उद्देश्य गोवा की 24618 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है। राज्य के सभी गाँवों में बिजली पहुँचाई जा चुकी है और शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है।
वन
गोवा राज्य के 34 प्रतिशत हिस्से पर वन हैं। यहाँ लगभग 30.18 लाख पौधे लगाए गए तथा 978.50 हेक्टेयर क्षेत्र पर पौधे लगाए गए।
अर्थव्यवस्था
उद्योग
गोवा में मत्स्य उद्योग महत्वपूर्ण है, सरकारी नीतियों व रियायतों ने औद्योगिक क्षेत्र के ज़रिये गोवा के तीव्र औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया है। उर्वरक, रसायन, दवा, लोहा और चीनी उद्योग यहाँ के बड़े उद्योग हैं। यहाँ पर मध्यम व लघु उद्योग भी हैं, जिनमें पारम्परिक हस्तशिल्प उद्योग भी शामिल है। औद्योगिक उत्पादों का भारत व विदेश में अच्छा बाज़ार है।
- राज्य में लघु उद्योगों की संख्या 7110 है।
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- 20 औद्योगिक परिसर हैं। राज्य के खनिज उत्पादों में फैरो मैंगनीज, बॉक्साइट, लौह-अयस्क आदि शामिल हैं और इनके निर्यात से राज्य की अर्थवस्था में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।
मत्स्यकी
गोवा में मत्स्यकी का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि गोवा की 90 प्रतिशत जनसंख्या मत्सय उद्योग में लगी हैं। एक लाख लोग लगभग मत्स्य उद्योग में कार्यरत हैं। 3220 मछुआरों को राज्य बीमा योजना में शामिल किया गया है। 718 मछुआरों को सेविंग-कम-रीलीफ फंड योजना में शामिल किया गया है।
प्रशासन एवं सामाजिक विशेषताएँ
प्रशासन
गोवा के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पाँच वर्ष के लिए की जाती है। वह दमन व दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली केन्द्रशाषित क्षेत्र का भी प्रशासक होता है। गोवा विधानसभा में 40 सीटें हैं। चुनाव द्वारा चुनी गई गोवा की लोकप्रिय सरकार प्रजातांत्रिक मूल्यों और जनता के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य
गोवा में लोगों के घरों तक स्वास्थ सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। गोवा का स्वास्थ्य तथा चिकित्सा सुविधाओं के मामले में प्रदर्शन बहुत अच्छा है। मोबाइल हेल्थ केयर तथा 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। गोवा में सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नवजात शिशुओं की पूरी देखभाल की व्यवस्था है।
शिक्षा
गोवा में स्कूल से लेकर कॉलेज व तकनीकी संस्थानों तक विभिन्न श्रेणी के शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान हैं। पणजी के नजदीक ही गोवा विश्वविद्यालय स्थित है। घाट और पोत गोदी गतिविधियों से परिपूर्ण हैं और इससे अलग मिरामर तट है। जहाँ दक्षिणी ध्रुव के बारे में अपने शोधों व अभियानों के लिए प्रसिद्ध समुद्र विज्ञान संस्थान स्थित है। अंतरीप पर भव्य सरकारी भवन स्थित है। यहाँ पर एशिया का विशालतम समुद्र विज्ञान भवन बनाने की योजना बनाई जा रही है। शहरी विकास में विस्तार हुआ है और मांडावी से पोर्वोरिम तक फैला है।
संस्कृति
कला
राज्य को कला एवं संस्कृति निदेशालय द्वारा आईएसओ 9001-2000 प्रमाणपत्र दिया गया है। गोवा में टाइट अकादमी की स्थापना की गई है। सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा कलाकारों को सहायता देने के लिए कला सम्मान, कलाकार कृतिदन्यता निधि जैसी विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
मनोरंजन
दूरदर्शन
- 19 नवंबर, 1982 में 1 किलोवाट के ट्रांसमीटर ने गोवा में दूरदर्शन कार्यक्रमों को रिले करना आरंभ किया था।
- 28 नवंबर, 1986 में संपूर्ण गोवा को कवर करते हुए इस ट्रांसमीटर को 10 किलोवाट की क्षमता में अपग्रेड किया गया।
- 23 जून, 1990 में दूरदर्शन केंद्र, पणजी ने कार्यक्रम निर्माण सुविधा केंद्र की हैसियत से सोमवार से शुक्रवार तक 30 मिनट की अवधि के स्थानीय कार्यक्रम प्रसारित करने आरंभ किए।
- अप्रैल, 1994 में स्थानीय कार्यक्रम निर्माण तथा प्रसारण की अवधि को 30 मिनट से बढ़ाकर 60 मिनट कर दिया गया था।
- अक्टूबर, 1996 में मराठी कार्यक्रम आरंभ किए गए। (मराठी कार्यक्रमों के प्रसारण के साथ प्रसारण अवधि बढ़ाकर 75 मिनट कर दी गई)
- 19 फरवरी, 2003 में भूकेंद्र स्थापित किया गया।
- 19 दिसंबर, 2008 में अतिरिक्त स्टुडियो सुविधाएँ आरंभ की गईं।
ज़िले
गोवा राज्य 2 जिलों में विभाजित है, जिनका क्षेत्रफल, जनसंख्या इस प्रकार है-
- उत्तरी गोवा - क्षेत्रफल 1,736 वर्ग कि.मी.- जनसंख्या 758,573 (2001 जनगणना के अनुसार) और मुख्यालय पणजी है।
- दक्षिणी गोवा - क्षेत्रफल 1,966 वर्ग कि.मी.- जनसंख्या 589,095 (2001 जनगणना के अनुसार) और मुख्यालय माडगांव है।
यातायात और परिवहन
गोवा में 31 दिसंबर, 2008 तक 4,40,152 ड्राइविंग लाइसेंस दिए गए तथा 6,59,012 वाहनों का पंजीकरण किया गया।
- सड़क मार्ग
राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 224 किलोमीटर तथा प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई 232 किलोमीटर है। इसके अलावा 815 किलोमीटर जिला मार्ग हैं।
- रेल मार्ग
गोवा कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई, मंगलौर और तिरुवनंतपुरम से जुड़ा है। इस रेलमार्ग पर अनेक तेज-रफ़्तार रेलगाडियाँ शुरू की गई हैं। वास्कोडिगामा दक्षिण मध्य रेलवे के बंगलौर और बेलगाँव स्टेशनों से जुड़ा है। इस मार्ग का इस्तेमाल फिलहाल माल यातायात के लिए हो रहा है।
- हवाई मार्ग
डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली, तिरूवनंतपुरम, कोच्चि, चेन्नई, अगाती और बंगलौर के लिए नियमित विमान सेवाएँ उपलब्ध हैं।
- बंदरगाह
मर्मगाव राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ मालवाहक जहाजों के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा पणजी, तिराकोल, चपोरा बेतूल और तालपोना में भी छोटे बंदरगाह हैं, मगर इनमें से पणजी प्रमुख व्यस्त बंदरगाह है। यहाँ जहाजों के लिए हाल में ही एक पत्तन (पोर्ट) चालू हुआ है। अंतरीप से परिलक्षित और आधुनिक जलरोधी व घाट से सुसज्जित मर्मगाव मुंबई व कोषिकोड (भूतपूर्व कालीकट, केरल) के बीच सबसे श्रेष्ठ बंदरगाह हैं। यह लोह-अयस्क व मैंगनीज़ के निर्यात के सर्वथा अनुकूल है।
वास्को द गामा शहरी क्षेत्र व मंडगाँव से गुज़रने वाली रेलवे लाइन इसे कर्नाटक में लोंडा होकर जाने वाली मुख्य दक्षिण रेलवे से जोड़ती है। उत्तर से दक्षिण को जाने वाली नई कोंकण रेलवे गोवा के अतिरिक्त आर्थिक विकास में सहायता करती है।
पर्यटन
गोवा में पर्यटन एक फलता-फूलता उद्यम है। इसके लम्बे रेतीले तट, तटीय वनस्पतियों व नारियल के पौधों से भरे समुद्री किनारे, पुराने होटल और डाबोलिम हवाई अड्डा भारी संख्या में विदेशी पर्यटकों, बल्कि अब तो भारतीय पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
लेकिन इससे गोवा के प्राकृतिक पर्यावरण के लिए ख़तरा भी पैदा होता है। प्रकृति की गोद में बसा ‘गोवा’ अपने कुदरती दृश्यों, प्राचीन धरोहरों व इतिहास को समेटे हुए ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल है।
क्रिसमस और नया साल
गोवा प्राकर्तिक सौंदर्य से से भरपूर स्थल है, यह अपने समुद्री तटों की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। गोवा एक साफ सुथरा शहर है। गोवा जाने के लिए पूरा साल उपयुक्त है किंतु अक्टूबर से मई तक का समय गोवा जाने के लिए सबसे सही रहता है और दिसम्बर में तो गोवा जाने का अलग ही मजा है क्योंकि गोवा में क्रिसमस और नया साल बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है नया साल मनाने के लिए गोवा में जगह-जगह से लोग आते हैं इसीलिए इस समय यहाँ की रोनक देखते लायक होती है।
खेल
भारत के अन्य क्षेत्रों से हटकर जहाँ क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है, गोवा का सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल है. गोवा में कई लोकप्रिय फुटबॉल क्लब भी स्थित हैं. फुटबॉल के अलावा गोवा के बहुत से खिलाड़ी हॉकी में भी दिलचस्पी रखते हैं।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार गोवा राज्य की कुल जनसंख्या 13,43,998 है, ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 6,75,129 है और शहर की जनसंख्या 6,68,869 है।
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वीथिका
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दूधसागर झरना, गोवा
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मोवोर तट, केवेलोसिम
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अंजुना तट, गोवा
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दूधसागर झरना के निकट की पहाड़ियाँ, गोवा
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चपोरा क़िला, गोवा
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अरामबोल तट, गोवा
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अंजुना तट, गोवा
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दूधसागर झरना के निकट की पहाड़ियाँ, गोवा
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मोवोर तट, केवेलोसिम
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गोवा तट
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इम्मेकुलेट कंसेप्शन चर्च, पणजी
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दूधसागर झरना, गोवा
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वागाटोर बीच, गोवा
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दूधसागर झरना के निकट की पहाड़ियाँ, गोवा
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सेंट थॉमस चर्च, अल्डोना, गोवा
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मोवोर तट, केवेलोसिम
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मंगेशी मन्दिर, गोवा
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अगुडा क़िला, गोवा
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संत जेरोम मापुसा चर्च, गोवा
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दूधसागर झरना के निकट की पहाड़ियाँ, गोवा
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कालांगुट तट, गोवा
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कैंडोलिम तट, गोवा
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कोलवा तट, गोवा
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चपोरा तट, गोवा
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मोजोर्डा तट, गोवा
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वरका तट, गोवा
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बागा तट, गोवा
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बेनाउलिम तट, गोवा
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बोगमोलो तट, गोवा
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मीरामर तट, गोवा
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हरमल तट, गोवा
बाहरी कडियाँ
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