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*होलिका के अंत की खुशी में [[होली]] का उत्सव मनाया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.holifestival.org/legend-holika-prahlad.html |title=The Legend of Holika and Prahlad |accessmonthday=[[15 मार्च]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=holifestival.org |language=[[अंग्रेज़ी]] }}</ref>
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
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09:40, 21 मार्च 2011 का अवतरण

प्रह्लाद को गोद में बिठाकर बैठी होलिका
  • होलिका हिरण्यकशिपु नामक दैत्य की बहन और प्रह्लाद नामक विष्णु भक्त की बुआ थी।
  • होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। इस वरदान का लाभ उठाने के लिए विष्णु-विरोधी हिरण्यकशिपु ने उसे आज्ञा दी कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर जाए, जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए।
  • होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया। ईश्वर कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई।
  • होलिका के अंत की खुशी में होली का उत्सव मनाया जाता है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. The Legend of Holika and Prahlad (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) holifestival.org। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2011

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