"सोमायन व्रत": अवतरणों में अंतर

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*सात दिनों तक केवल तीन थनों के दूध पर रखना चाहिए।
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*आगे के सात दिनों तक एक थन के दूध पर तथा तीन दिनों तक उपवास रखना चाहिए।
*आगे के सात दिनों तक एक थन के दूध पर तथा तीन दिनों तक उपवास रखना चाहिए।
*इससे सभी पाप कट जाते हैं।<ref>मिताक्षरा (याज्ञवल्क्यस्मृति 3|324, [[मार्कण्डेयपुराण]] से उद्धरण)</ref>
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13:02, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत एक मास के लिए करना चाहिए।
  • सात दिनों तक एक गाय के चारों थनों के दूध पर निर्वाह करना चाहिए।
  • सात दिनों तक केवल तीन थनों के दूध पर रखना चाहिए।
  • आगे के सात दिनों तक एक थन के दूध पर तथा तीन दिनों तक उपवास रखना चाहिए।
  • इससे सभी पाप कट जाते हैं।[1]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मिताक्षरा (याज्ञवल्क्यस्मृति 3|324, मार्कण्डेयपुराण से उद्धरण

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