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*[[महाभारत]] में [[विदर्भ]] देश के राजा भीमसेन का उल्लेख है जिसकी राजधानी कुण्डिनपुर में थी। इसकी पुत्री [[दमयंती]] निषध नरेश नल की महारानी थी <ref>ततो विदर्भान् संप्राप्तं सायाह्ने सत्यविक्रमम्, ॠतुपर्णं जना राज्ञेभीमाय प्रत्यवेदयन् --[[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]] 73,1 </ref>
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*[[पुराण|पुराणानुसार]] विदर्भ देश की एक राजकुमारी जो राजा भीमसेन की पुत्री थी और जिसका विवाह राजा नल से हुआ था।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?mean=28561|title=दमयंती|accessmonthday=3मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=हिन्दी}}</ref>
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[[विदर्भ]] देश के राजा भीमसेन की पुत्री दमयंती और निषध के राजा वीरसेन के पुत्र नल दोनों ही अति सुंदर थे। दोनों ही एक दूसरे की प्रशंसा सुनकर बिना देखे ही एक-दूसरे से प्रेम करने लगे थे। दमयंती के स्वयंवर का आयोजन हुआ तो [[इन्द्र]], [[वरुण]], [[अग्नि]] तथा [[यम]] भी उसे प्राप्त करने के इच्छुक हो गए। वे चारों भी स्वयंवर में नल का ही रूप धारण आए नल के समान रूप वाले पांच पुरुषों को देख दमयंती घबरा गई लेकिन उसके प्रेम में इतन आस्था थी कि उसने [[देवता|देवताओं]] से शक्ति मांगकर राजा नल को पहचान लिया और दोनों का विवाह हो गया।


नल-दमयंती का मिलन तो होता है पर, कुछ समय बाद वियोग भी हो जाता है। दोनों बिछुड़ जाते हैं। नल अपने भाई पुष्कर से जुए में अपना सब कुछ हार जाता है। दोनों बिछुड़ जाते है। दमयंती किसी राजघराने में शरण लेती है, बाद में अपने परिवार में पहुंच जाती है। उसके पिता नल को ढूंढने के बहाने दमयंती के स्वयंवर की घोषणा करते हैं।
दमयंती से बिछुड़ने के बाद नल को कर्कोटक नामक सांप ने डस लेता है, जिस कारण उसका रंग काला पड़ गया था। उसे कोई पहचान नहीं सकता था। वह बाहुक नाम से सारथी बनकर [[विदर्भ]] पहुंचा। अपने प्रेम को पहचानना दमयंती के लिए मुश्किल न था। उसने अपने नल को पहचान लिया। पुष्कर से पुनः जुआ खेलकर नल ने अपनी हारी हुई बाजी जीत ली।
दमयंती न केवल रूपसी युवती थी, बल्कि जिससे प्रेम किया, उसे ही पाने की प्रबल जिजीविषा लिए थी। उसे देवताओं का रुप-वैभव भी विचलित न कर सका, न ही पति कर विरूप हुआ चेहरा उसके प्यार को कम कर पाया।
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12:10, 7 मई 2011 का अवतरण

परिचय
  • महाभारत में विदर्भ देश के राजा भीमसेन का उल्लेख है जिसकी राजधानी कुण्डिनपुर में थी। इसकी पुत्री दमयंती निषध नरेश नल की महारानी थी [1]
  • पुराणानुसार विदर्भ देश की एक राजकुमारी जो राजा भीमसेन की पुत्री थी और जिसका विवाह राजा नल से हुआ था।[2]
कथा

विदर्भ देश के राजा भीमसेन की पुत्री दमयंती और निषध के राजा वीरसेन के पुत्र नल दोनों ही अति सुंदर थे। दोनों ही एक दूसरे की प्रशंसा सुनकर बिना देखे ही एक-दूसरे से प्रेम करने लगे थे। दमयंती के स्वयंवर का आयोजन हुआ तो इन्द्र, वरुण, अग्नि तथा यम भी उसे प्राप्त करने के इच्छुक हो गए। वे चारों भी स्वयंवर में नल का ही रूप धारण आए नल के समान रूप वाले पांच पुरुषों को देख दमयंती घबरा गई लेकिन उसके प्रेम में इतन आस्था थी कि उसने देवताओं से शक्ति मांगकर राजा नल को पहचान लिया और दोनों का विवाह हो गया।

नल-दमयंती का मिलन तो होता है पर, कुछ समय बाद वियोग भी हो जाता है। दोनों बिछुड़ जाते हैं। नल अपने भाई पुष्कर से जुए में अपना सब कुछ हार जाता है। दोनों बिछुड़ जाते है। दमयंती किसी राजघराने में शरण लेती है, बाद में अपने परिवार में पहुंच जाती है। उसके पिता नल को ढूंढने के बहाने दमयंती के स्वयंवर की घोषणा करते हैं।

दमयंती से बिछुड़ने के बाद नल को कर्कोटक नामक सांप ने डस लेता है, जिस कारण उसका रंग काला पड़ गया था। उसे कोई पहचान नहीं सकता था। वह बाहुक नाम से सारथी बनकर विदर्भ पहुंचा। अपने प्रेम को पहचानना दमयंती के लिए मुश्किल न था। उसने अपने नल को पहचान लिया। पुष्कर से पुनः जुआ खेलकर नल ने अपनी हारी हुई बाजी जीत ली।

दमयंती न केवल रूपसी युवती थी, बल्कि जिससे प्रेम किया, उसे ही पाने की प्रबल जिजीविषा लिए थी। उसे देवताओं का रुप-वैभव भी विचलित न कर सका, न ही पति कर विरूप हुआ चेहरा उसके प्यार को कम कर पाया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ततो विदर्भान् संप्राप्तं सायाह्ने सत्यविक्रमम्, ॠतुपर्णं जना राज्ञेभीमाय प्रत्यवेदयन् --वनपर्व 73,1
  2. दमयंती (हिन्दी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 3मई, 2011।


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