"त्रिनिदादी हिन्दी": अवतरणों में अंतर
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*यहाँ [[अंग्रेज़ी]] का अधिक प्रचार है, इसीलिए यहाँ की हिन्दी में 'तुम' को 'टुम', 'दाता' को 'डाटा', 'जगत के तारनहारे' को 'जगत को टारनहारे' जैसे प्रयोग भी सुनने को मिलते रहे हैं। | *यहाँ [[अंग्रेज़ी]] का अधिक प्रचार है, इसीलिए यहाँ की हिन्दी में 'तुम' को 'टुम', 'दाता' को 'डाटा', 'जगत के तारनहारे' को 'जगत को टारनहारे' जैसे प्रयोग भी सुनने को मिलते रहे हैं। | ||
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*हिन्दी शिक्षा के लिए यहाँ 'हिन्दी एजूकेशन बोर्ड' बना था। अब कई संस्थाएँ यह काम थोड़ा- बहुत कर रही हैं।*यहाँ के मुख्य कवि- गद्यकार प्रो. हरिशंकर आदेश, सुरभि आदेश, कुमार सत्यकेतु आदि हैं। | *हिन्दी शिक्षा के लिए यहाँ 'हिन्दी एजूकेशन बोर्ड' बना था। अब कई संस्थाएँ यह काम थोड़ा- बहुत कर रही हैं। | ||
*पहले यहाँ से कई हिन्दी पत्र निकलते थे, अब 'ज्योति' नाम की मासिक पत्रिका ही निकल रही है।{{प्रचार}} | *यहाँ के मुख्य कवि- गद्यकार प्रो. हरिशंकर आदेश, सुरभि आदेश, कुमार सत्यकेतु आदि हैं। | ||
*पहले यहाँ से कई हिन्दी पत्र निकलते थे, अब 'ज्योति' नाम की मासिक पत्रिका ही निकल रही है। | |||
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13:26, 22 जून 2011 का अवतरण
- वेस्टइंडीज के त्रिनिदाद और टोबैगो द्वीपों में भारतवंशी हिन्दी - भाषी रहते हैं।*इनके पूर्वज 1865 में भारत से वहाँ गए थे। इनकी कुल संख्या इस समय 13-14 लाख है।
- यहाँ अंग्रेज़ी का अधिक प्रचार है, इसीलिए यहाँ की हिन्दी में 'तुम' को 'टुम', 'दाता' को 'डाटा', 'जगत के तारनहारे' को 'जगत को टारनहारे' जैसे प्रयोग भी सुनने को मिलते रहे हैं।
- यहाँ की हिन्दी भी मूलत: भोजपुरी हिन्दी है।
- हिन्दी शिक्षा के लिए यहाँ 'हिन्दी एजूकेशन बोर्ड' बना था। अब कई संस्थाएँ यह काम थोड़ा- बहुत कर रही हैं।
- यहाँ के मुख्य कवि- गद्यकार प्रो. हरिशंकर आदेश, सुरभि आदेश, कुमार सत्यकेतु आदि हैं।
- पहले यहाँ से कई हिन्दी पत्र निकलते थे, अब 'ज्योति' नाम की मासिक पत्रिका ही निकल रही है।
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